गर्भवती महिलाओं में क्यों बढ़ रहे है High Blood Pressure के मामले

 

आजकल गर्भवती महिलाओं में हाई बीपी यानी उच्च रक्त चाप (high blood pressure) के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है, जो की बहुत ही चिंता का विषय है। हाल ही में किये गए एक नए अध्ययन (study) में शोधकर्ताओं ने इस बात का दावा किया है कि वर्ष 1970 के बाद 35 वर्ष की गर्भवती महिलाओं में ब्लड प्रेशर, क्रॉनिकल हाइपरटेंशन (chronic hypertension) के मामलों में 75 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

 

 

अध्ययन के अनुसार 

 

 

हाइपरटेंशन (Hypertension) नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने वर्ष 1970 से 2010 के बीच 151 मिलियन यानी 15.1 करोड़ गर्भवती महिलाओं के रिकॉर्ड का अध्ययन कर यह दावा किया है की रटगर्स यूनिवर्सिटी (Rutgers University) में भारतीय मूल के शोधकर्ता और इस अध्ययन के नेतृत्व करने वाले वी. अनंत (V. Anant) ने कहा कि अध्ययन के दौरान पता चला कि जिन महिलाओं के बच्चे वर्ष 1970-80 के बीच हुए थे, वे महिलाएं गर्भावस्था के दौरान सबसे ज्यादा हाइपरटेंशन से ग्रस्त थीं।

 

 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, मातृत्व की आयु और क्रॉनिकल हाइपरटेंशन (Chronic hypertension) के बीच के एक संबंध होने के कारण ये मामले हर साल औसतन छह फीसद बढ़ जाते हैं।

 

 

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो महिलाएं हाइपरटेंशन का शिकार थीं, उनमें अन्य के मुकाबले मोटापे की शिकायत भी अधिक देखने को मिली। हाइपरटेंशन का जोखिम धूम्रपान और ड्रग्स (Drugs) लेने के कारण क्रॉनिकल (Chronicle) और अधिक बढ़ जाता है। अनंत ने कहा कि क्रॉनिकल हाइपरटेंशन (Chronic hypertension) से निपटने के लिए महिलाओं को चाहिए कि व गर्भवती होने से पहले अपने रक्तचाप (blood pressure) को नियंत्रित रखें, धूमपान छोड़ें। इससे गर्भावस्था के दौरान महिला और बाद में उनके नवजात शिशु का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

 

 

गर्भवती महिलाओं में हाई बीपी होने के संभावित कारण

 

 

  • गर्भवती महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत गर्भावस्था की वजह से होती है।

 

  • हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत कुछ महिलाओं में  गर्भावस्था के पहले से ही होती है।

 

  • गर्भवती महिलाओं में हाई बीपी उच्च रक्तचाप की शिकायत किडनी से संबंधित बीमारी, मोटापा, चिंता और मधुमेह आदि के कारण होती है।

 

  • विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में उच्च रक्तचाप और एक्लंप्षण के जोखिम को कम करने के लिए गर्भाधारण से पहले और गर्भाधारण के दौरान बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए।

 

 

नेशनल हार्ट, लंग और ब्‍लड इंस्टिट्यूट के अनुसार, गर्भावस्‍था के दौरान ब्‍लड प्रेशर कई संभावित कारणों से बढ़ सकता है, जैसे की –

 

  • अस्‍वस्‍थ जीवनशैली

 

  • मोटापा

 

  • शारीरिक गतिविधियों की कमी

 

 

इन बातों का ध्‍यान रखें

 

 

  • गर्भावस्‍था के दौरान, अगर आपका सिस्टोलिक दबाव 140 (Systolic pressure 140) से अधिक और डायस्टोलिक प्रेशर 90 (Diastolic pressure 90) से अधिक हो जाता है, यह एक समस्या का संकेत हो सकता है।

 

  • प्रीक्‍लेम्‍पसिया (Preeclampsia) का हाई ब्‍लड प्रेशर (High blood pressure) के रूप में निदान करना उतना आसान नही है।

 

  • डॉक्‍टर,  भ्रूण (Fetus) की नॉर्मल हार्ट रेट और मूवमेंट (Heart rate and movement) को जानने के लिए नॉन-स्‍ट्रेस टेस्‍ट (Non-stress test) करवाता है।

 

  • भ्रूण के स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करने के लिए अल्‍ट्रासाउंड (Ultrasound) भी किया जा सकता है।

 


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