अगर आपको भी एसिडिटी (Acidity) और हार्टबर्न (Heart Burn) की शिकायत रहती है तो आप इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ होंगे कि ये कितनी ज़्यादा तकलीफ देता है। इसे एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) भी कहा जाता है। एसिडिटी एक पाचन विकार होता है और ये एक लक्षण भी हो सकता है जोकि बहुत सामान्य होता है। अब तो युवा, बूढ़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी एसिडिटी की परेशानी से ग्रस्त हो रहे हैं और इस सबका कारण है उनकी अनियमित जीवनशैली (Life Style) और असंतुलित आहार (Unbalanced diet)। एसिड रिफ्लक्स एक ऐसी अवस्था है जिसमें पेट और लिवर (Liver) में पाचन एसिड्स और बाइल रस (Bile juice) का उत्पादन कुछ ज़्यादा ही हो जाता है जोकि पेट और आंतों की अंदरूनी लाइनिंग को दिक्कत देता है। हम में से कई लोग सोचते हैं कि पेट में बनने वाले एसिड बहुत ज़्यादा ताकतवर नहीं होते हैं।
हालांकि, पाचन रसायन बहुत शक्तिशाली होते हैं क्योंकि ये हमारे द्वारा खाए गए खाने को तोड़ने में मदद करते हैं। जब पाचन फ्लूइड और एसिड बहुत ज़्यादा बन जाते हैं तो ये शक्तिशाली एसिड पेट को दिक्कत देते हैं और जलन महसूस होती है और इस वजह से हार्ट बर्न भी होता है। कई लोगों के लिए एसिडिटी बहुत आम बात है इसलिए वो इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हालांकि, एसिडिटी को नज़रअंदाज़ करना कई सेहत संबंधित समस्याओं को बुलावा दे सकता है क्योंकि पाचन तंत्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और सक्रिय हिस्सा होता है। तो अगर आपको एसिडिटी है तो आपको तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए। एसिडिटी अपने आप में ही कोई बीमारी भी हो सकती है.
जानते एसिडिटी से होने वाली बीमारिया
पेट का अल्सर
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि पेट में बनने वाले पाचन एसिड्स बहुत मज़बूत होते हैं। एसिडिटी होने पर पेट में लगातार पाचन एसिड्स बनने लगते हैं और इस वजह से पेट की लाइनिंग को दिक्कत होने लगती है जोकि पेट के अल्सर का भी रूप ले सकती है। ये एक गंभीर बीमारी है।
ओसोफेगिटिस
ओसोफेगस एक मस्कुलर ट्यूब (Muscular tube) होती है जोकि गले और पेट को जोड़ती है और इसी के ज़रिए खाना और पानी हमारे शरीर के अंदर जाता है। जब एसिडिटी होती है तो पेट में बहुत ज़्यादा एसिड बनने लगता है और ये ओसेफेगस में भी पहुंच जाता हैं और इस ट्यूब को दिक्कत देने लगता है। इसमें जलन भी होती है। इस समस्या को ओसोफेगिटिस (Osophagitis) कहा जाता है। इस बीमारी के लक्षण हैं गले में खराश, निगलने में दिक्कत, सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, फ्लू आदि।
हर्निया जब
पेट की मांसपेशियों का एक हिस्सा पेट के क्षेत्र में डायाफ्राम (Diaphragm) (मांसपेशी परत जो छाती और पेट को अलग करता है) के माध्यम से ढकेलता है, तो यह हाइटल हर्निया बीमारी का कारण बनता है। इस बीमारी में खाना और पाचन एसिड पेट से वापस सीने में आने लगता है। इस वजह से एसिडिटी हो जाती है। अगर आपको हाइटल हर्निया है तो तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाएं।
पेट का कैंसर
अगर आपको लगातार एसिडिटी की शिकायत रहती है तो आपको नियमित चेकअप करवाते रहना चाहिए। पेट कैंसर का शुरुआती चरण एसिडिटी ही होता है क्योंकि कैंसर (Cancer) कोशिकाएं पेट की लाइनिंग को दिक्कत देती हैं और अत्यधिक पाचन फ्लूइड पैदा करती हैं। इसलिए एसिडिटी को नज़रअंदाज़ करना पेट के कैंसर का कारण भी बन सकता है। अगर आपको लगातार एसिडिटी की समस्या रहती है तो आपको तुरंत चैकअप करवा लेना चाहिए।
हार्ट अटैक
बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि एसिडिटी और हार्ट बर्न (Heart Burn) हार्ट अटैक (Heart Attack) का शुरुआती संकेत होता है। हार्ट अटैक से पहले सीने में जलन, छाती में कसावट, जी मितली आदि संकेत मिलते हैं। कुछ एसिडिटी को मामूली समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हार्ट अटैक आने से पहले आपको इस समस्या का निदान कर लेना चाहिए।
पित्ताशय की पथरी
पित्ताशय (Gall bladder) में पाचन फ्लूइड के जम जाने पर उसमें पथरी भी बन सकती है। एक से ज़्यादा पथरी होने पर ये बाइल को बंद कर देते हैं और इसके कारण पाचन फ्लूइड (Digestion fluid) पेट में ज़्यादा बढ़ने लगते हैं और एसिडिटी पैदा करते हैं इसलिए एसिडिटी को पथरी का कारक भी माना जाता है।
गैस्ट्रोईसोफेगियल रिफ्लक्स रोग
इसे जीईआरडी (GERD) भी कहा जाता है जोकि एसिडिटी की एक पेरेंट डिसीज़ (Parent disease) है। आमतौर पर ये दोनों बीमारियां साथ ही होती हैं। ये एक पाचन विकार है जिसमें पाचन में अत्यधिक फ्लूइड बनने की वजह से पेट में जलन होने लगती है और ये एसिडिटी का कारण बनता है। कभी-कभी एसिडिटी होने का मतलब ये नहीं है कि आप जीईआरडी से ग्रस्त हैं। ये अस्वस्थ आहार की देन है। हालांकि, स्वस्थ आहार लेने पर भी बार-बार एसिडिटी हो सकती है और यही जीईआरडी का लक्षण है और इसे तुरंत इलाज की ज़रूरत है।
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