क्या आपने कभी सोचा हैं कि खराब हुई गई कोशिकाओं को दुबारा ठीक किया जा सकता हैं ? बिल्कुल यह संभव हैं ख़राब हुई गई कोशिकाओं को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से ठीक किया जा सकता हैं। यह एक ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया हैं जिसमे क्षतिग्रस्त रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं के साथ बदल दिया जाता हैं। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की ज़रूरत कई बीमारियों में पड़ती हैं जैसे की रक्त कैंसर,ल्यूकेमिया और लिम्फोमा। आइए आज हम इस ब्लॉग में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट क्या होता हैं ?
स्टेम सेल शरीर में ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो कि अलग होकर नए प्रकार की कोशिकाएं बना सकती हैं। ये कोशिकाएं शरीर के अनेक अंगों और ऊतकों को दुबारा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के प्रकार कितने होते हैं ?
ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट: एक व्यक्ति के शरीर में बची हुई स्वस्थ कोशिकाओं का उपयोग करके किया जाने वाला ट्रांसप्लांट है। इस तरह का ट्रांसप्लांट ब्लड कैंसर जैसी बीमारी में भी किया जा सकता है।
अलोजेनिक ट्रांसप्लांट: अलोजेनिक ट्रांसप्लांट एक तकनीक है जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति की कोशिकाएं दूसरे व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जाती हैं। इस तकनीक का उपयोग थेलेसिमिया, एनीमिया जैसी बीमारियों में किया जाता है। इसमें डोनर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो स्वस्थ कोशिकाएं मरीज को दान करते हैं। कोशिकाएं दान करने के लिए व्यक्ति में विशेष गुण होने चाहिए।
जाने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया किस प्रकार होती हैं ?
अगर मरीज स्वयं स्टेम सेल प्राप्त कर रहे हैं, तो चिकित्सक मरीज के शरीर से ही रक्त लेंगे ताकि स्वस्थ स्टेम सेल निकाल सकें ट्रांसप्लांट के लिए। इसके लिए, वे मरीज की दोनों हाथों की नसों को सेल सेपरेटर मशीन से जोड़ते हैं। मशीन एक हाथ से खींचकर खून को फिल्टर करती है और फिर इसे मरीज के दूसरे हाथ से शरीर में वापस भेजेंगे। यह प्रक्रिया चोट नहीं पहुंचाती है।
एक व्यक्ति को डॉक्टर सुनिश्चित करने के लिए कई बार रक्त लेने की आवश्यकता हो सकती है ताकि उनके पास पर्याप्त स्टेम सेल हो सके ट्रांसप्लांट के लिए। स्टेम सेल्स उनके सीवीसी से प्राप्त होनी चाहिए और डॉक्टरों को इसमें शामिल होना चाहिए। अगर मरीज अस्वस्थ होता है, तो डॉक्टर डोनर की सलाह दे सके।
मरीज को नए रक्त कोशिकाओं की उत्पादन के लिए नये स्टेम सेल की आवश्यकता होगी। यदि आपको डोनर स्टेम सेल मिले हैं, तो वे अस्वस्थ स्टेम सेल की जगह ले लेंगे और एक नई प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण समय लेगा।
भारत में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का खर्च कितना हैं ?
भारत में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की लागत INR 15 से INR 40 लाख रुपये तक होती है, जो ट्रांसप्लांट के प्रकार और अस्पताल पर निर्भर करती है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की विशेषताएं क्या होनी चाहिए ?
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की विशेषताएं निम्नलिखित होनी चाहिए जैसे की-
- डोनर की उम्र 18 से 50 साल के बीच में होनी चाहिए।
- मरीज के ब्लड ग्रुप को डोनर के ब्लड ग्रुप के साथ मिलना चाहिए।
- डोनर को किसी भी प्रकार की बीमारी न हो।
- डोनर को खून की कमी नहीं होनी चाहिए।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट अधिकतर किन -किन बीमारियों मे किया जाता हैं ?
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की आवश्यकता अधिकतर इन बीमारियों के लिए पड़ती हैं जैसे की-
- अप्लास्टिक एनिमिया
- ल्यूकेमिया
- लिंफोमा
- एक्यूट लिम्फोटिक ल्यूकेमिया
- ब्लड कैंसर
- मसल्स या लिवर से जुडी समस्या
- किडनी समस्या
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया किस प्रकार होती हैं ?
दोनों डोनर और मरीज को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के दौरान मानसिक रूप से परामर्श दिया जाता है। इस प्रक्रिया के आदि में लोकल एनेस्थीसिया लगायी जाती है ताकि सर्जरी के दौरान दर्द कम हो। एक या दो यूनिट रक्त लेने के बाद स्टेम सेल बनने के बाद रक्त वापस दिया जाता है। मरीज को एंटीबायोटिक दिया जाता है ताकि संक्रमण का खतरा कम हो।
किसी भी शरीर के कैंसर को खत्म करने के लिए मरीज को कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी दी जाती है। ब्लड स्टेम सेल नष्ट होने के कारण सामान्य ब्लड सेल उत्पादन शुरू हो जाता है। यह प्रक्रिया 2 से 3 घंटे तक चलती है लेकिन दर्द नहीं होता। जिसके बाद मरीज को लगता है कि उन्हें फ्लू जैसे लक्षण हो रहे हैं जो बाद में ठीक हो जाते हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की सर्जरी होने के बाद मरीज को कोई समस्या नहीं आती हैं वह कुछ समय में ही ठीक हो जाता हैं और अच्छा महसूस करने लगता हैं, परन्तु डॉक्टर अधिक दिनों तक अस्पताल में इसलिए रखते हैं ताकि वह अच्छे से रिकवर हो पाए।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए बेस्ट अस्पताल-
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली
- फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर, ओखला, नई दिल्ली
- फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग़, नई दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, नई दिल्ली
- वेंकटेश्वर अस्पताल, द्वारका, नई दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल, द्वारका, नई दिल्ली
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