साइनस इन्फेक्शन क्या है, जानिए इसके लक्षण और उपचार

साइनस एक तरीके का संक्रमण है और ये एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। इसे अंग्रेजी में साइनसाइटिस (Sinusitis)के रूप में जाना जाता है। जिन लोगों को एलर्जी, अस्थमा, नाक या साइनस में संरचनात्मक रुकावट है, या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग होते है उन्हें इसके होने का खतरा अधिक होता है।

 

साइनसाइटिस साइनस को फैलाने वाली एक प्रकार की सूजन है। जब अच्छे साइनस में हवा भर जाती हैं और जब वे पूरी तरह भर जाते है तो इसमें रोगाणु बढ़ सकते हैं और यही संक्रमण का कारण बन जाते हैं। जैसे  सांस लेने में रुकावट, नाक की हड्डी का बढ़ना और तिरछा होना, एलर्जी होना इसकी आम समस्या है।

 

 

साइनस कितने प्रकार का होता है ?

 

 

  • एक्यूट साइनस (Acute sinusitis) : आमतौर पर जुकाम के लक्षण होते है जैसे कि नाक से पानी बहना, भरी हुई नाक और चेहरे के दर्द से शुरू होता है। यह अचानक और 2-4 सप्ताह से शुरू हो सकता है। दरअसल एक्यूट साइनस केवल थोड़े समय के लिए रहता है, एक तीव्र संक्रमण आमतौर पर एक ठंड या अन्य सांस की बीमारी का हिस्सा होता है।

 

 

  • सबस्यूट साइनस (Subacute sinus) : क्रोनिक साइनस संक्रमण बारह सप्ताह से अधिक समय तक रहता है या फिर से हो जाता है। विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि साइनसाइटिस चेहरे का दर्द, संक्रमित नाक स्राव और जमाव जैसी चीजें होती हैं। इसकी सूजन आमतौर पर 4 से 12 सप्ताह तक रहती है।

 

 

  • पुरानी सूजन (Chronic inflammation) के लक्षण पिछले 12 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहते हैं।

 

 

  • रिकारेंट साइनसाइटिस (Recurrent sinusitis) वर्ष में कई बार होता है।

 

 

साइनस को कैसे पहचाने ?

 

 

ज्यादातर आपने यही देखा होगा की जुकाम अक्सर अपना पूरा वक्त लेकर ही ठीक हो जाता है। अगर ठंड की बात करें तो यह ज्यादा-से-ज्यादा एक हफ्ते का समय लेकर ठीक हो जाता है। आपने खुद ये देखा होगा की तीसरे-चौथे दिन से जुकाम कम होने लगता है। लेकिन अगर जुकाम एक या दो दिन में ही बहते-बहते अचानक रुक जाए या अपने आप ठीक हो जाए तो हो सकता है कि जुकाम बाहर न निकलकर अंदर ही जम गया है। जोकि आगे चलकर साइनस होने का कारण भी बन सकता है। अगर जुकाम करीब एक हफ्ता रहे और अपना पूरा टाइम लेकर ठीक हो तो मरीज को आगे जाकर साइनस होने का खतरा नहीं होता। क्योंकि बलगम आदि नाक के जरिए बाहर निकल जाता है। मगर जब किसी व्यक्ति को जुकाम बार-बार होता है तो ये साइनस के लक्षण होते है।

 

 

साइनस के लक्षण

 

 

सिरदर्द और भारीपन : जब बिना वजह आपके सिर में दर्द रहता है या सिर में भारीपन रहता है तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलह लेनी चाहिए।

 

 

बेचैनी रहना : कई बार आपको बेचैनी होती है और ये अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन जब आपको बेचैनी हमेशा रहने लगे तो ये इस बीमारी के लक्षण होते है

 

 

भौं में दर्द होना : साइनस होने पर आपके आँखों के ऊपर भौं में दर्द होता है और ये धीरे-धीरे बहुत तेज होने लगता है।

 

 

दांतों में दर्द : ऐसा होने पर आपके दांतों में भी दर्द शुरू होने लगता है और यह दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में होता है और अपने आप बंद हो जाता है।

 

 

सूंघने और स्वाद की क्षमता कम होना : जब ऐसा होता है तो उस व्यक्ति की नाक से सूंघने की शक्ति और जीभ से स्वाद लेने में भी दिक्कत होने लगती है और सांस लेने में और बोलने में भी दिक्कत होती है ।

 

 

खांसी : तेज खांसी को भी साइनस का मुख्य लक्षण माना गया है। साइनस से गले व फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिससे मरीज खांसी की चपेट में आ जाता है। इसलिए, इन लक्षणों को हल्के में न लें।

 

 

नाक से पीला लिक्विड गिरने की शिकायत : जब आपको बहुत तेज जुकाम होता है, तो  नाक और मुँह से पीला लिक्विड निकलता है। इसका निकलना भी बहुत जरुरी है अगर ये आपके फेफड़ो में जमा रहेगा तो आपको और भी कई तरह के संक्रमण हो सकते है।

 

 

साइनस का मुख्य कारण है वायु प्रदूषण इसकी वजह से साइनस पैदा होता है। दरअसल ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोग इस बीमारी की चपेट में बहुत जल्दी आ सकते हैं। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या को और भी बढ़ाती है। ये इंसान के स्वस्थ के लिए बहुत हानिकारक होते है। ये कण सीधे आपकी सांस की नली पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इससे धीरे-धीरे जुकाम, नाक का बहना व सिर में दर्द आदि समस्या होने लगती है।

 

जिन्हें धूल और धुंए से एलर्जी होती है उन लोगों को ये एलर्जी बहुत जल्दी होती है, ऐसे लोगों को ठंड के मौसम में उन्हें अपना बहुत ध्यान रखना पड़ता है। सर्दियों के मौसम में नाक का बहना, नाक की नलि का बंद हो जाना, गले में दर्द, आवाज में बदलाव, सिरदर्द आदि होता है।

 

साइनस से बचने के उपाए

 

 

तेल : साइसन को दूर करने के लिए विभिन्न प्राकृतिक तेलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें लैवेंडर, पुदीना, नींबू, पाइन व लौंग आदि के तेल शामिल हैं। इनमें से किसी भी तेल को लगाने से आपको काफी लाभ होगा, जिनसे छाती, नाक व सिर की मालिश करने से आराम मिलता है। यदि आप नियमित रूप से इन तेलों का इस्तेमाल करेंगे तो आपको काफी आराम मिल जाएगा।

 

 

सेब का सिरका : वैसे तो सेब का सिरका कई चीजों के लिए लाभ दायक होता है। लेकिन एक साइनस रोगी के लिए भी ये बहुत लाभदायक दवा है। सेब के सिरके में ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो साइनस की समस्या को दूर करने में मदद करते है। सेब का सिरका एक सटीक घरेलू उपचार है। सेब का सिरका बनाना बेहद आसान भी है।

 

 

प्याज : इससे निजात पाने के लिए आप प्याज का रस निकल लें उसके बाद इसका इस्तेमाल करें। आपको बता दें की प्याज में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, जो साइनस संक्रमण के इलाज के लिए उपयोगी माने गए हैं। साइनस का इलाज करने की यह एक बहुत ही असरदार तरीका है।

 

 

लहसुन : लहसुन भी साइनस के लिए एक अच्छा इलाज है, इसके इस्तेमाल से साइनस रोगी को काफी हद तक फायदा होता है। इसका इस्तेमाल आप दो प्रकार से कर सकते हैं। एक सूप बनाकर या प्रतिदिन लहसुन की कलियों का सीधे सेवन करके।

 

 

साइनस एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन ये महिलाओं की अपेक्षा पुरषों में ज्यादा देखने को मिलती है,यदि आप भी इससे परेशान है तो आप हमारे डॉक्टर से संपर्क कर सकते है। क्योंकि यह एक ऐसी स्थिति होती है जो उस व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन जाती है।


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