भारत में पिछले साल यानी 2017 में आठ में से एक इंसान की मौत वायु प्रदूषण से हुई है. 6.7 लाख लोग आउटडोर वायु प्रदूषण के शिकार हुए हैं वहीं 4.8 लाख लोगों को इंडोर एयर पॉल्यूशन की वजह से जान से हाथ धोना पड़ा है .
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ICMR), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI), इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME), ने हेल्थ मिनिस्ट्री के सहयोग से किए गए रिसर्च में पाया कि पिछले साल 2017 में वायू प्रदूषण (Air Pollution) से हुई मौत में आधे लोगों की उम्र 70 साल से कम थी.
वायु प्रदूषण के कारण, वर्ष 2017 के दौरान देश में 12.4 लाख लोग मारे गए थे। इनमें से 6.7 लाख बाहरी और 4.8 लाख लोगों की मौत घर के प्रदूषण के कारण हुई थी। फेफड़ों में कैंसर, दिल का दौरा और पुरानी बीमारियों के प्रसार के कारण प्रदूषण के कारण ये लोग मारे गए हैं। हालात यह है कि देश में हर आठवीं मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार है। मृत्यु दर 21 से 70 साल के बीच थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के माध्यम से जहरीले हवा के स्वास्थ्य पर इस प्रभाव का खुलासा किया है।
विश्व प्रसिद्ध लॉज़ेंट में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, भारत में मृत्यु दर प्रति व्यक्ति 89.9 प्रतिशत पर दर्ज की गई है। देश में 36 9 निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों के बाद, वैज्ञानिकों ने पीएम 2.5 और गृह प्रदूषण पर रिपोर्ट तैयार की है। इतना ही नहीं, प्रदूषित हवा के कारण देश के लोगों की जीवन प्रत्याशा में 1.7 साल की कमी आई है। आईसीएमआर के महानिदेशक, बलराम भार्गव ने अमर उजाला से कहा कि प्रदूषण के बारे में देश में एक गंभीर स्थिति है।
जबकि लोग गैर संक्रामक बीमारियों का शिकार कर रहे हैं, मौत का कारण भी चिंता का कारण है। घर और बाहर दोनों प्रदूषण लोगों के लिए घातक हो गए हैं। प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के तहत, घर के अपघटन में भी काफी गिरावट देखी गई है। ठोस ईंधन के उपयोग में कमी। घर में प्रदूषण में कमी, सीओपीडी जैसी बीमारियों पर नियंत्रण देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए, सरकार और जनता दोनों को आगे आने की जरूरत है। अन्यथा, अगले 10 से 15 वर्षों में, देश में प्रदूषण के कारण लाखों मौतें हो सकती हैं।
इन चार राज्यों में सबसे जहरीली हवा
सबसे जहरीली हवा दिल्ली, हरियाणा, यूपी और बिहार में दर्ज की गई है। यहां निगरानी केंद्रों और अस्पतालों के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण की वजह से सबसे अधिक मौतें 2.6 लाख रही हैं। हरियाणा में 28 9 65, पंजाब में 26 9 4, दिल्ली में 12322, उत्तराखंड में 12 हजार, हिमाचल में 7485, जम्मू-कश्मीर में 10476 मौतें 2017 के दौरान दर्ज की गईं। घर में प्रदूषण के बारे में बात करते हुए उत्तर प्रदेश में 78888 है, हरियाणा में 6751, जम्मू-कश्मीर में 34 9 6, उत्तराखंड में 3570, पंजाब में 6139, हिमाचल प्रदेश 2 9 86 और दिल्ली में 52 लोग हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट मानते हैं कि राज्यों के हिसाब से मिली जानकारियां संबंधित राज्यों को नीति निर्धारण करने में मदद करेंगी जिससे आउटडोर और इनडोर पॉल्यूशन की वजहों पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा. रिसर्च पेपर के मुताबिक सरकार की उज्जवला योजना से वायु प्रदूषण को और बढ़ने देने पर रोक लगाने में काफी मदद मिली है.
सरकार साल 2018 में 5 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन मुहैया करा चुकी है जो अब साल 2019 में 8 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन से लाभान्वित करने की योजना है. दरअसल सॉलिड फ्यूल के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण काफी ज्यादा होता है.
इतना ही नहीं वायू प्रदूषण से लंग कैंसर,डायबिटीज, क्रोनिक फेफड़े की बीमारी,इस्केमिक दिल का रोग (Ischemic Heart Disease) उसी पैमाने पर होता है जितना की तंबाकू के प्रयोग से इस तरह की बीमारियां होती हैं.
भारत सरकार में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्वास्थ सचिव का कहना है, ‘भारत के सभी राज्यों के वायु प्रदुषण के दुष्प्रभाव का सही आकलन मिलने से स्थितियों में सुधार हो सकेगा. देश के राजनीतिक गलियारों में आजकल वायु प्रदुषण के दुष्प्रभाव को लेकर जोरों की चर्चा हो रही है . स्टडी रिपोर्ट में अलग अलग राज्य में वायू प्रदूषण के दुष्प्रभाव की विस्तृत चर्चा वायू प्रदुषण को कम करने में बेहद मददगार साबित होगी.
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