ज्यादातर लोगों की अक्ल दाढ़ (विस्डम टुथ) 17 से 25 साल के बीच में आ जाती है लेकिन कई लोगों में ये 25 के बाद भी आती है । ये हमारे मुंह के सबसे आखिरी, मजबूत दांत होते हैं और सबसे अंत में आते हैं ।
अगर आपकी अक्ल दाढ़ आ चुकी है तो आपको इसके दर्द का अंदाजा होगा और अगर आपकी अक्ल दाढ़ अभी तक नहीं आई है तो आपको बता दें कि ये काफी दर्दभरा अनुभव होता है।
सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि विस्डम टुथ आने के पहले दर्द क्यों होता है। दरअसल, विस्डम टुथ सबसे अंत में आते हैं और इसके चलते उन्हें मुंह में पूरी जगह नहीं मिल पाती। इसकी वजह यह है कि, जब ये दांत आते हैं तो बाकी के दांतों को भी पुश करते हैं। इसके साथ ही मसूड़ों पर भी दवाब बनता है। इस वजह से दांतों में दर्द, मसूड़ों में सूजन और असहजता की शिकायत हो जाती है।
इस दौरान न केवल तेज दर्द होता है बल्कि कई बार मुंह से दुर्गंध, खाने में तकलीफ और सिर दर्द की शिकायत भी हो जाती है। अक्ल दाढ़ का दर्द कभी भी हो सकता है और ये कम से कम एक या दो दिन तक तो रहता ही है।
क्या समस्याएं हो सकती हैं?
अक्सर यह दाढ़ टेढ़ी निकती है। जिस कारण न सिर्फ काफ़ी दर्द होता है बल्कि खाने में भी तकलीफ़ होती है। जब यह दाढ़ निकलती है तो कुछ गंभीर मामलों में इसके चारों तरफ के मसूड़े में संक्रमण हो जाता है, मसूड़ा फूल जाता है और उसमें से मवाद आने लगती है जिसे पेरीकोरोनाइटिस कहा जाता है। ऐसा होने पर दंत रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
अक़्ल दाढ़ के बारे में कुछ चीज़ें जिनका ध्यान रखना ज़रूरी है
दर्द और सूजन
जब अक़्ल दाढ़ का मामला हो, तो बारबार होने वाले दर्द और सूजन को गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे में दर्द कम करने की दवा या पेनकिलर लेने के बजाय डेंटिस्ट के पास जाएँ। दर्द की मदद से शरीर समस्या की तरफ़ इशारा करता है। पेनकिलर दर्द को सिर्फ़ दबाने का काम करती हैं, जिससे असली समस्या सुलझने के बजाय बढ़ जाती है।
टेढ़े दाँत
कई लोगों के जबड़ों में अक़्ल दाढ़ के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती, जिसकी वजह से ये दाँत टेढ़े निकलते हैं। ऐसी स्थिति में डेंटिस्ट इन दाँतो को निकालने की सलाह देते हैं। इन दाँतों को निकलवाने में देरी नहीं करनी चाहिए, क्यूँकि उम्र के साथ इन्हें निकालना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूँकि दाँत के आसपास की हड्डी उम्र के साथ सख़्त हो जाती है और आसानी से दाँत को निकलने नहीं देती। उम्र जितनी कम हो घाव उतनी ही जल्दी भर भी जाता है और परेशानी कम होती है।
मसूड़े का दाँत को ढकना
पेरिकोरोनाइटिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें मसूड़े आधी निकली हुई अक़्ल दाढ़ के ऊपर रह जाते हैं। इसकी वजह से मसूड़े और दाँत के बीच की जगह में खाना इकट्ठा हो जाता है, जिससे उस जगह पे इन्फ़ेक्शन, दर्द, सूजन के अलावा मुँह खोलने में तकलीफ़ होती हैं। खाना खाने पर ये दर्द बढ़ जाता है।
अगर पेरिकोरोनाइटिस हो जाए, तो डेंटिस्ट उस जगह को डिसिन्फ़ेक्टंट से साफ़ करते हैं, और दर्द कम करने के लिए उचित दवा देते हैं। अगर ये तकलीफ़ बारबार होने लगे, तो इसका मतलब ये हो सकता है कि अक़्ल दाढ़ के निकलने के लिए जबड़ों में जगह नहीं है। ऐसे में इन्फ़ेक्शन को फैलने से बचाने के लिए इन दाँतों को जल्द से जल्द निकालना उचित होता है।
खाना फँसना
कई बार अक़्ल दाढ़ के साथ के दाँत की सीध में नहीं निकलते। इससे दोनो दाँतों के बीच में खाना फ़सने लगता है, और इनमे से एक या दोनो दाँत सड़ सकते हैं। अगर सड़न दाँत की नसों तक पहुँच जाए, तो दर्द शुरू हो जाता है।
अक़्ल दाढ़ के साथ वाला दाँत खाना चबाने के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है। इस दाँत को बचाने के लिए सड़े दाँतों को समय से ठीक करना और कई बार अक़्ल दाढ़ को निकालना ज़रूरी होता है। इलाज में देरी होने से तकलीफ़ तो बढ़ती ही है, इलाज भी मुश्किल और खर्चीला हो जाता है।
जब अक्ल दाढ़ का दर्द सताए तो अपनाएं ये घरेलू उपाय
ऐसे में आप चाहें तो इन घरेलू उपायों को अपनाकर इस दर्द से राहत पा सकते हैं।
लौंग
दांत के दर्द के लिए हममें से ज्यादातर लोग लौंग का इस्तेमाल करते हैं। अक्ल दाढ़ निकलने के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका अनेस्थेटिक (anesthetic) और एनाल्जेसिक (analgesic) गुण दर्द को शांत करने में मददगार होता है। इसके अलावा इसका एंटी-सेप्टिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी इंफेक्शन नहीं होने देता है। आप चाहें तो कुछ लौंग मुंह में रख सकते हैं या फिर उसके तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
नमक
दांत दर्द में नमक का इस्तेमाल करना भी बहुत फायदेमंद होता है। ये मसूड़ों की जलन को कम करने में मददगार है। इसके अलावा नमक के इस्तेमाल से इंफेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है।
लहसुन
लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant), एंटीबायोटिक (antibiotic), एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और दूसरे कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो अक्ल दाढ़ के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। ये मुंह के बैक्टीरिया को भी पनपने नहीं देता।
प्याज
प्याज में एंटी-सेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल और दूसरे कई गुण पाए जाते हैं। इसके इस्तेमाल से दांत दर्द में आराम मिलता है। ये मसूड़ों को भी इंफेक्शन से सुरक्षित रखने में मददगार है।
अमरूद की पत्तियां
अमरूद की पत्तियां दांत दर्द में दवा की तरह काम करती हैं। अमरूद की पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटी-माइक्रोबियल (anti-microbial) गुण भी पाया जाता है जो दांत दर्द में फायदेमंद है।
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