जानिए काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का घरेलू उपचार

काला मोतियाबिंद, जिसे ग्लूकोमा भी कहा जाता है, एक गंभीर नेत्र रोग है जिसमें आंखों के भीतर के दबाव बढ़ जाता है और यह दृष्टि को प्रभावित कर सकता है। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और अगर समय पर इलाज न हो तो दृष्टिहीनता का कारण बन सकता है। हालांकि काला मोतियाबिंद का प्राथमिक इलाज चिकित्सा और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है, कुछ घरेलू उपचार भी हैं जो इसकी रोकथाम और लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

 

काला मोतियाबिंद एक गंभीर नेत्र रोग है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। हालांकि चिकित्सा उपचार और सर्जरी आवश्यक हो सकते हैं, कुछ घरेलू उपचार और सावधानियाँ भी इसकी रोकथाम और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। हमेशा यह याद रखें कि नियमित नेत्र परीक्षण और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप अपनी आंखों का ख्याल रख सकते हैं और काला मोतियाबिंद के खतरे को कम कर सकते हैं।

 

 

काला मोतिया कैसे ठीक होता है?

 

काला मोतियाबिंद, जिसे ग्लूकोमा भी कहा जाता है, का इलाज विभिन्न तरीकों से किया जाता है। इसका उपचार रोग के प्रकार, उसकी गंभीरता और रोगी की चिकित्सा स्थिति पर निर्भर करता है। मुख्यतः इसके उपचार के निम्नलिखित तरीके होते हैं:

 

चिकित्सा उपचार (Medications): चिकित्सा उपचार में आँखों की दबाव को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं या तो आँखों की तरल पदार्थ (अक्वस ह्यूमर) के उत्पादन को कम करती हैं या उसके बहाव को बढ़ाती हैं। दवाओं में मुख्यतः आई ड्रॉप्स और गोलियां शामिल होती हैं।

 

लेज़र थेरेपी (Laser Therapy): लेज़र थेरेपी काला मोतियाबिंद के इलाज के लिए एक आधुनिक और प्रभावी तरीका है। इसमें लेज़र बीम का उपयोग करके आँखों के दबाव को कम किया जाता है।

 

प्रमुख लेज़र उपचार:

 

  • लेज़र ट्राबेकुलोप्लास्टी: यह ओपन-एंगल ग्लूकोमा के इलाज के लिए उपयोगी है। इसमें लेज़र का उपयोग करके ट्राबेकुलर मेषवर्क में सुधार किया जाता है जिससे तरल पदार्थ का बहाव बढ़ता है।

 

  • लेज़र इरिडोटॉमी: यह एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा के लिए उपयोगी है। इसमें आईरिस (पुतली) में एक छोटा छेद बनाया जाता है जिससे तरल पदार्थ का बहाव बढ़ता है।

 

  • लेज़र साइक्लोफोटोकोगुलेशन: इसमें सिलिअरी बॉडी के ऊतकों को नष्ट किया जाता है ताकि तरल पदार्थ का उत्पादन कम हो सके।

 

सर्जरी (Surgery): जब दवाएं और लेज़र थेरेपी से पर्याप्त सुधार नहीं होता, तो सर्जरी का सहारा लिया जाता है। सर्जरी का उद्देश्य आँखों के भीतर के दबाव को स्थायी रूप से कम करना होता है।

 

प्रमुख सर्जिकल प्रक्रियाएँ:

 

  • ट्राबेकुलेक्टॉमी: इसमें एक नया ड्रेनेज पाथवे बनाया जाता है जिससे तरल पदार्थ का बहाव बढ़ता है।

 

  • ट्यूब शंट इम्प्लांटेशन: इसमें एक छोटी ट्यूब डाली जाती है जो आँख के भीतर से तरल पदार्थ को बाहर निकालती है।

 

  • माइक्रोइनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी (MIGS): यह नई तकनीक है जिसमें छोटी और कम जोखिम वाली प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं।

 

 

काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का घरेलू उपचार

 

काला मोतियाबिंद, जिसे ग्लूकोमा भी कहा जाता है, एक गंभीर नेत्र रोग है जिसमें आंखों के अंदर का दबाव बढ़ जाता है और यह दृष्टि को प्रभावित कर सकता है। चिकित्सा उपचार और सर्जरी के अलावा, कुछ घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव भी ग्लूकोमा के लक्षणों को कम करने और आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं:

 

  • एलोवेरा का उपयोग: एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आंखों की सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं। एलोवेरा जेल को आंखों के आसपास लगाने से आराम मिलता है और सूजन कम होती है।

 

  • ग्रीन टी: ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। ग्रीन टी का नियमित सेवन आंखों की सूजन और दबाव को कम कर सकता है। इसे दिन में 1-2 बार पीना लाभकारी हो सकता है।

 

  • बादाम और किशमिश: बादाम और किशमिश का सेवन आंखों के लिए लाभकारी होता है। रात में 5-6 बादाम और किशमिश पानी में भिगोकर सुबह खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और काला मोतियाबिंद के लक्षण कम हो सकते हैं।

 

  • त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण को आयुर्वेद में आंखों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसे रोजाना सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से आंखों की समस्याएं कम होती हैं।

 

  • गाजर और पत्तेदार सब्जियाँ: गाजर और पत्तेदार सब्जियों में विटामिन A और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करते हैं। इनका नियमित सेवन आंखों के लिए लाभकारी होता है।

 

  • व्यायाम और योग: नेत्रों के लिए विशेष योग और व्यायाम जैसे अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, और त्राटक करने से आंखों का दबाव कम होता है और रक्त संचार बेहतर होता है। योग और ध्यान आंखों के तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।

 

  • बिलबेरी का सेवन: बिलबेरी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसका सेवन आंखों की रोशनी बढ़ाने और मोतियाबिंद के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।

 

  • अरंडी का तेल: अरंडी का तेल (Castor Oil) आंखों के लिए लाभकारी माना जाता है। इसे रात में सोने से पहले एक बूंद आंखों में डालने से आंखों की सूजन कम होती है और आराम मिलता है।

 

  • ताजे फल और सब्जियाँ: आहार में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। विशेषकर वे फल और सब्जियाँ जिनमें विटामिन C, E और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, आंखों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।

 

  • पर्याप्त नींद और आराम: आंखों के लिए पर्याप्त नींद और आराम बहुत महत्वपूर्ण हैं। रोजाना 7-8 घंटे की नींद लेने से आंखों को आराम मिलता है और उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है। आंखों को थकान से बचाने के लिए दिन में कुछ समय के लिए आंखों को बंद करके आराम करना भी फायदेमंद हो सकता है।

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