सिस्टिक फाइब्रोसिस एक गंभीर आनुवंशिक बिमारी है जो श्वसन और पाचन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी के कारण बच्चों की आंत, लिवर, ओवरी और लंग्स बुरी तरह प्रभावित होते है। ये बीमारी ना सिर्फ बच्चों तक सीमित रहती है बल्कि आगे की जेनेरेशन में भी होती जाती है।
इस बिमारी में रोगियों को सांस की समस्या होती है। यह सीएफटीआर जीन के डिफेक्ट से होती है। जिसके कारण त्वचा नमकीन जैसा स्वाद देने लगती हैं।
सिस्टिक फाइब्रोसिस कोशिकाओं को प्रभावित करता है जो पसीने, बलगम और पाचन एंजाइमों का उत्पादन करते हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस उन कोशिकाओं को प्रभावित करता है जो पाचन, पसीना और श्लेष्म उत्पन्न करते हैं। आम तौर पर, ये स्रावित तरल पदार्थ जैतून के तेल की तरह पतले और चिकने होते हैं। जिन लोगों में सिस्टिक फाइब्रोसिस होता है, वे आमतौर पर मोटे होते हैं। यह बिमारी दोषपूर्ण जीन के कारण होता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल लगभग 1,000 लोगों को सिस्टिक फाइब्रोसिस का इलाज किया जाता है। हाल के वर्षों में स्क्रीनिंग टेस्ट और उपचार के तरीकों में सुधार हुआ है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण
सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण व्यक्ति और स्थिति की गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। समय के साथ इस बीमारी से होने वाली समस्यायें बेहतर या बदतर हो सकती है। कुछ बच्चों में इसके लक्षण जन्म से ही दिखने लगते है कुछ में ये किशोरावस्था में देखने को मिलते है।
इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण –
- त्वचा का नमकीन जैसा स्वाद हो जाना होता है। जिसके चलते बच्चों के पसीने में जरूरत से ज्यादा नमक होता है,
- सांस की समस्या,
- कमजोर पाचन तंत्र, आदि होते है,
- सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच,
- ब्लड टेस्ट,
- इम्यूनोरिएक्टिव ट्राईप्सिनोजेन,
- स्वैट क्लोराइड टेस्ट,
- जेनेटिक टेस्ट, स्पूटम टेस्ट,
- ऑर्गन टेस्ट,
- सीटी स्कैन,
- चेस्ट एक्सरे और लंग फक्शंन आदि के टेस्ट से की जा सकती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस से बचाव
- तरल पदार्थों का खूब सेवन करें क्योंकि वे फेफड़ों में बलगम को पतला करने में मदद कर सकते हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- धुंए से बचें।
- इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के टीकाकरण करवाएं।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन आनुवंशिक परीक्षण किया जाना चाहिए। आनुवंशिक परीक्षण प्रत्येक माता-पिता से रक्त या लार के नमूनों से लेकर कर सकते है।
- अगर परिवार में किसी को भी सिस्टिक फाइब्रोसिस की शिकायत को तो गर्भावस्था के दौरान इसकी नियमित जांच करानी चाहिए। इसे खून और थूक से जांचा जा सकता है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस का उपचार
- इस बिमारी का अभी तक कोई भी इलाज नहीं है। लेकिन इसके लक्षण और इससे होने वाले समस्याओं से बचा जा सकता है।
- ऐसी समस्याओं में कई तरह की एंटीबॉयोटिक ली जा सकती है, जो लंग को खराब होने से बचा सकती है। इसके अलावा म्यूकस थिंनिंग ड्रग्स, ब्रोनक्डिलेट्रस, बाउल सर्जरी, फीडिंग ट्यूब, लंग ट्रांसप्लांट आदि से इसका इलाज कर सकते है।
- बलगम को पतला करने वाली दवाएं बलगम को पतला और कम चिपचिपा बनाती हैं। यह फेफड़े की कार्यक्षमता में काफी सुधार करता है।
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), जैसे कि इबुप्रोफेन और इंडोमेथेसिन, सिस्टिक फाइब्रोसिस से जुड़े किसी भी दर्द और बुखार को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- ब्रोंकोडायलेटर्स फेफड़ों को हवा पहुंचाने वाली नलियों के आसपास की मांसपेशियों को आराम देते हैं, जिससे वायु प्रवाह को बढ़ाने में मदद मिलती है। आप इस दवा को इन्हेलर या नेबुलाइज़र के माध्यम से ले सकते हैं।
- बाउल सर्जरी एक आपातकालीन सर्जरी है, जिसमें आंत्र के एक हिस्से को निकालना शामिल होता है। यह आंतों में एक रुकावट को राहत देने के लिए किया जा सकता है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस होने से पाचन तंत्र में भी समस्या होती है , जो की भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण को रोक सकते हैं।
सिस्टिक फाइब्रोसिस में लिवर ट्रांसप्लांट भी करना पड़ सकता है। जब सिस्टिक फाइब्रोसिस वाले किसी व्यक्ति को सांस लेने में गंभीर समस्या होती है तब सर्जरी करना आवश्यक हो सकता है। निमोनिया में, दोनों फेफड़ों को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए डॉक्टर्स से नियमित रूप से जांच कराते रहे। किसी भी प्रकार की समस्या हो तो तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करके उनसे सलाह ले और लैब टेस्ट भी कराये।
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