लेप्रेसी (Leprosy) यानि कुष्ठ रोग से व्यक्ति न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित होता है। कुष्ठ रोगियों के प्रति दूसरे लोगों के असामान्य रवैये से यह रोगी निराश हो जाते हैं। कुष्ठ रोग शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
कुष्ठ रोग एक क्रोनिक, प्रोग्रेसिव बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्राई जीवाणु के कारण होता है। यह बीमारी मुख्य रूप से आंतों की नसों, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी श्वसन पथ को हानि पहुंचाता है। इस रोग को हैनसेन रोग भी कहा जाता है। अगर इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया जाता है, तो यह गंभीर कुरूपता और महत्वपूर्ण विकलांगता का कारण भी बन सकता है।
यह बीमारी सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है। कुष्ठ रोग कई देशों में आम है, लेकिन ज्यादार यह समस्या उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले स्थानों पर रहने वाले लोगो को होती है।
कुष्ठ रोग के लक्षण क्या हैं?
कुष्ठ रोग के मुख्य लक्षण हैं:
- त्वचा में घाव,
- पैरो के तलवे में अल्सर होना,
- त्वचा मोटी, कठोर और शुष्क होना,
- हाथ, बांह, पैर और टांगों का सुन्न होना,
- नाक से खून निकलना और नाक से पानी बहना,
कुष्ठ रोग होने के कारण
- यह रोग आमतौर पर दो प्रकार का होता है – पहले प्रकार का कुष्ठ रोग ट्यूबरकुलॉयड और दूसरे प्रकार का कुष्ठ रोग लैप्रोमैटस है। लैप्रोमैटस कुष्ठरोग बहुत ज्यादा खतरनाक होता है और इसके कारण शरीर की त्वचा में बड़े-बड़े उभार और गांठे बन जाती हैं।
- कुष्ठ रोग बीमारी अत्यधिक संक्रामक नहीं है, पर संक्रामक बीमारी है , इसलिए यह छींक और खांसी से निकलने वाली नाक के तरल पदार्थ की बूंदों (droplets) के फैलने के कारण अन्य व्यक्ति को भी हो जाता है। हालांकि यह बीमारी कुष्ठ रोगी को छूने से नहीं होती है।
- इस बिमारी के होने का कारण माइकोबैक्टीरियम जीवाणु बनता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस बीमारी की औसत ऊष्मायन अवधि (संक्रमण के बीच का समय और पांच साल के पहले लक्षण) 5 साल है। इसके लक्षण 20 वर्षों तक दिखाई नहीं देते। कुष्ठ रोग के लिए जिम्मेदार जीवाणु बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है।
कुष्ठ रोग के जोखिम इस प्रकार हैं-
- अधिक भीड़ भाड़ वाली जगहों पर यह बीमारी दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है।
- कुपोषण (malnutrition) के कारण भी कुष्ठ रोग हो सकता है।
- लंबे समय तक एक ही बिस्तर और चादर का उपयोग करने से भी यह बीमारी हो सकती है।
- खुले में नहाने से भी कुष्ठ रोग होने का खतरा बढ़ सकता है।
कुष्ठ रोग की जांच
- कुष्ठ रोग का निदान रोगी के शरीर में दिखने वाले लक्षणों और त्वचा के आधार पर किया जाता है। डॉक्टर रोगी के स्किन की जांच को न्यूरोलॉजिक परीक्षण से करते हैं।
- इसके अलावा प्रयोगशाला में स्किन बायोप्सी (skin biopsy) भी की जाती है।
- ब्लड टेस्ट, नाक के द्रव का टेस्ट और नर्व बायोप्सी भी की जाती है।
कुष्ठ रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
1995 में , W.H.O ने सभी प्रकार के कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए एक मल्टीड्रग थेरेपी विकसित की , जो की दुनिया भर में मुफ्त उपलब्ध है। इसके अलावा कई एंटीबायोटिक दवाओं के कारण होने वाले जीवाणुओं को मारकर कुष्ठ रोग का इलाज करते हैं। जैसे की –
- डैपसोन,
- रिफैम्पिन,
- क्लोफ़ाज़िमाइन,
- मिनोसाइक्लिन,
- ओफ़्लॉक्सासिन,
डॉक्टर आपको एस्पिरिन, प्रेडनिसोन, या थैलिडोमाइड जैसी एक एंटी-इंफ्लामेट्री लेने की सलाह दे सकते हैं। इसका इलाज लगभग 1 से 2 साल तक चल सकता है। और इस बात का ध्यान रखे की अगर आप गर्भवती हैं या हो सकती हैं तो आप कभी भी थैलिडोमाइड न ले। क्योंकि , यह गंभीर जन्म दोष पैदा कर सकता है।
कुष्ठ रोग के बचने के लिए कोई विशेष दवा उपलब्ध नहीं है , लेकिन बीसीजी का टीके (BCG vaccine) लगवाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
कुष्ठ रोग से बचने के घरेलू उपाय
हल्दी (Turmeric)
इसमें हाइडेकोटायल पाया जाता है। हल्दी को पट्टी पर लगाकर सूजन वाली जगह पर बाँधा जा सकता है। जिससे त्वचा की सूजन, रंजकता ये सारी समस्याएं कम हो जाती है।
नीम (Neem)
- इसकी पत्तियों में बैक्टीरिया से छुटकारा पाने के लिए उत्तम एंटीसेप्टिक एजेंट होता है। पत्तियों की पीसकर लेप के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ।और इस लेप को एक दिन में कम से कम दो बार सूजन वाली जगह पर लगाएं।
- बेहतर परिणाम के लिए नीम के पेस्ट में काली मिर्च का पाउडर मिलाएं। इसके अलावा नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से भी आराम मिलता है।
एरोमाथेरेपी (Aromatherapy)
कुष्ठ रोग के इलाज के लिए एरोमाथेरेपी भी ली जा सकती है। इस थेरेपी में विभिन्न गुणकारी तेलों का इस्तेमाल होता है जो कि शरीर के लिए टॉनिक की तरह काम करता है और एंटी-सेप्टिक एजेंट के रूप में भी शरीर को फायदा पहुंचाते हैं।
व्हीट ग्रास (Wheat Grass)
व्हीट ग्रास का इस्तेमाल करने से एक रात में ही आराम महसूस किया जा सकता है और लगातार तीन महीने तक इसके इस्तेमाल से लगभग कुष्ठ रोग को ठीक किया जा सकता है। इसका पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाया जा सकता है।
कालमोगरा का तेल (Kalmogra Oil)
- यह तेल भी कुष्ठ रोग के इलाज में बहुत फायदेमंद है। इसके तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो कि घाव को तेजी से भरते हैं और बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।
- इसके तेल में नींबू की कुछ बूंदे मिलाकर प्रभावित स्थान पर मालिश करने से बहुत आराम मिलता है।
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