जानें अस्थमा अटैक का कारण,लक्षण और इलाज

जिन लोगो को सांस की समस्या होती है उन्हें गर्मी के मौसम में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि जरा सी लापरवाही की वजह से अस्थमा अटैक का खतरा हो सकता है। सांस के मरीजों को गर्मी के मौसम में ज्यादा तेर तक बाहर नहीं रहना चाहिए। और जब भी घर से बाहर निकले तो एन-95 मास्क को लगाकर ही निकलें।

 

अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। जब सांस की नली में सूजन हो जाती है, तब सांस की समस्या होती है। यह समस्या होने पर व्यक्ति को सांस लेने में बहुत ही तकलीफ होती है। प्रदूषण और बदलते मौसम की वजह से अस्थमा अटैक होने का खतरा बना रहता है। इसलिए अस्थमा के मरीजों को बदलते मौसम में अपना ख्याल रखना चाहिए।

 

अस्थमा के प्रकार 

 

बाहरी अस्थमा

 

इस प्रकार के अस्थमा में एलर्जी की समस्या होती है, जो कि पराग, जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण से होता है।

 

आंतरिक अस्थमा

 

आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों के श्‍वसन द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है, जैसे कि – सिगरेट का धुआं आदि।

 

अस्थमा अटैक का कारण

 

  • बदलते मौसम में बहुत देर तक बाहर रहने से अस्थमा अटैक का खतरा हो सकता है।

 

  • धूल और मिट्टी वाले कमरे में पंखा चलाना, इससे शरीर में धूल-मिट्टी जाती है, जिससे अस्थमा अटैक हो सकता है।

 

  • धुएं वाले जगह में निकलना या फिर दीवाली जैसे मौकों पर पटाखों के बीच ज्यादा रहने से भी अस्थमा अटैक का खतरा रहता है।

 

  • ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ न करना।

 

  • गंदगी वाले जगहों पर रहना।

 

  • अधिक मात्रा में नमक खाना।

 

 

  • खांसी-ज़ुकाम का ठीक से इलाज न करना।

 

  • पेट में अम्‍ल की मात्रा अधिक होने से भी अस्‍थमा हो सकता है।

 

  • अत्‍यधिक व्‍यायाम से भी अस्थमा रोग हो सकता है।

 

  • यह समस्‍या आनुवांशिक भी हो सकती है।

 

अस्थमा अटैक के लक्षण

 

  • लगातार सूखी खांसी होना या फिर बलगम वाली खांसी होना।

 

  • सीने में जकड़न जैसा महसूस होना।

 

  • सांस लेने में परेशानी होना।

 

  • सांस लेते वक़्त घरघराहट की आवाज आना।

 

  • ठंडी हवा में भी अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है।

 

  • व्यायाम के दौरान स्‍वास्‍थ्‍य और ज्‍यादा खराब होना।

 

  • थकान महसूस होना।

 

  • सांस फूलना।

 

 

  • सीने में दर्द होना और जकड़न महसूस होना।

 

अस्थमा के मरीजों को इन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए

 

  • बाहर निकलने पर एन-95 मास्क जरूर लगाए।

 

  • खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

 

  • धूल-धुंआ वाली जगहों पर जाने से बचे।

 

  • धूम्रपान से बचना चाहिए।

 

  • गर्म मसाले, लाल मिर्च, अचार, चाय आदि के सेवन से परहेज करें।

 

  • व्यायाम करते समय भी सावधानी रखनी चाहिए।

 

  • नियमित रूप से इंफ्लूएंजा का वैक्सीनेशन लेना चाहिए।

 

अस्‍थमा के इलाज के लिए परीक्षण

 

डॉक्‍टर अस्‍थमा की जांच के लिए तकनीक का सहारा लेते हैं, जिसके माध्‍यम से बीमारी के बारें में पूरी जानकारी मिल जाती है, जिसके आधार पर रोग का इलाज कर मरीज को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

 

अस्‍थमा में खासतौर से फेफड़ों की जांच की जाती है, जिसके अंतर्गत –

 

  • स्‍पायरोमेट्री (Spirometry),

 

  • पीक फ्लो (Peak flow), और

 

  • फेफड़ों के कार्य का परीक्षण शामिल है।

 

इन जांचों को अलग-अलग स्थितियों में किया जाता है। अस्‍थमा के इलाज के लिए और भी कई टेस्‍ट किए जाते हैं, जैसे की –

 

  • नाइट्रिक ऑक्‍साइड टेस्‍ट (Nitric oxide test),

 

  • इमेजिंग टेस्‍ट (Imaging test),

 

  • एलर्जी टेस्टिंग (Allergy testing),

 

  • स्प्‍यूटम ईयोसिनोफिल्‍स टेस्‍ट किया जाता है।

 

अस्‍थमा का उपचार

 

अस्‍थमा अटैक का उपचार अस्‍थमा के लक्षणों को जानकर तुरंत ही डॉक्‍टर से इलाज करा लेना चाहिए, नहीं तो बाद में बहुत गंभीर समस्या हो सकती है।

 

  • अस्‍थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं।

 

  • अस्‍थमा अटैक से बचने के लिए आमतौर पर इन्‍हेल्‍ड स्‍टेरॉयड (नाक के माध्‍यम से दी जाने वाली दवा) और अन्‍य एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं अस्‍थमा के लिए जरूरी मानी जाती हैं।

 

  • ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं।

 

  • इन्‍हेलर के माध्‍यम से फेफड़ों में दवाईयां पहुंचाने का काम किया जाता है।

 

  • अस्‍थमा नेब्‍यूलाइजर का भी प्रयोग उपचार में किया जाता है।

 

अस्थमा अटैक ऐसी स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति के वायुमार्ग में सूजन, संकीर्ण  हो जाती है और अतिरिक्त बलगम का उत्पादन होता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अगर आपको सांस से जुडी किसी भी तरह की परेशानी हो रही हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें


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