अक्सर लोग आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या अंतर नहीं समझ पाते। आमतौर पर 50 से 60 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, ज्यादातर लोगों को इस वजह से जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच यह अंतर है की – अर्थराइटिस में हड्डियों से जुडी लगभग 100 तरह की बीमारियां शामिल होती हैं। इस समस्या में जोड़ों में हल्का या तेज दर्द हो सकता है, जिसके लक्षण हैं, जोड़ों में अकड़न, सूजन और चलने-फिरने में परेशानी आदि। जबकि ऑस्टियोपोरोसिस में अधिक उम्र होने पर हड्डियों की डेनसिटी (घनत्व) कम हो जाती है।
आज यहां हम अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच के अंतर के बारे में जानेंगे।
क्या होता है अर्थराइटिस
अर्थराइटिस जोड़ों के ऊतकों की जलन और क्षति के कारण होता है। जलन के कारण ही ऊतक लाल, गर्म, दर्दनाक और सूज जाते हैं। यह सारी समस्या यह दर्शाती है की आपके जोड़ों में कोई समस्या है। जोड़ वह जगह होती है जहां पर दो हड्डियों का मिलन होता है जैसे कोहनी या घुटना । कुछ तरह के अर्थराइटिस में जोड़ों की बहुत ज्यादा क्षति होती है।
अर्थराइटिस के लक्षण
- बार-बार बुखार आना
- मांसपेशियों में दर्द
- हमेशा थकान महसूस होना
- भूख कम लगना
- शरीर के तमाम जोड़ों में दर्द होना
- लाल चकत्ते पड़ना और जलन की शिकायत भी होना
- जोड़ों में जहां-जहां दर्द होता है, वहां सूजन आना भी इस बीमारी में आम है
- शरीर के किसी भी अंग को हिलाने पर दर्द, जलन और सूजन होना
- जोड़ों के आस-पास गोलाकार गांठें होना
जानें क्या है ऑस्टियोपोरोसिस
यह एक हड्डियों का रोग है, जिसमे हड्डी अंदर से खोखली और कमजोर हो जाती है। जिसे हम हिंदी में भंगुर भी कहते है। हमारी हड्डी कैल्शियम , फॉस्फेट और कोलोजेन प्रोटीन से मिलकर बनी होती है। लेकिन अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। कई बार तो हड्डिया इतनी कमजोर हो जाती है की छोटी सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है।
यह समस्या परुषो की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस होने के कई कारण होते हैं – आनुवंशिक, प्रोटीन की कमी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी, व्यायाम न करना, बढ़ती उम्र, धूम्रपान, डायबिटीज, थाइरॉयड तथा शराब का सेवन आदि शामिल होते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
- रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर हो जाता है।
- बहुत जल्दी थक जाना
- शरीर में बार-बार दर्द होना
- खासकर सुबह के वक्त कमर में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं।
- पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज हो जाता है।
आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के उपाय
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीना
- बथुआ के ताजा पत्तों का रस
- एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसका जेल दर्द होने वाली जगह पर लगाएं। इससे काफी राहत मिलेगी।
- ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस होने पर हर दिन खाना खाने से पहले से दो आलूओं का रस निकाल लें और पिएं।
- इस समस्या से ग्रषित रोगियों को हमेशा हरे पत्तेदार सब्जी का सेवन करना चाहिए, इससे बॉडी में ऊर्जा मिलती है और दर्द भी नहीं होता।
- गठिया का दर्द होने पर स्टीम बॉथ लें और उसके तुरंत बाद जैतून के तेल की मालिश कर लें। इससे बेहद आराम मिलेगा।
ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस दोनों ही अलग अलग प्रकार के रोग होते हैं। इनके लक्षण और कारण भी काफी अलग हैं, लेकिन कई चीजें समान होती हैं। यह रोग आमतौर पर 50 या उससे अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। ये बीमारियां हड्डियों से जुड़ी हैं। अगर आपके जोड़ो में बहुत अधिक दर्द हो रहा हो, तो तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श ले।
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