विश्व जनसंख्या दिवस
आज विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है, इस दिन को मनाने के पीछे कारण ,हर सेकंड बढ़ रही आबादी (Population) के मुद्दे पर लोगों का ध्यान खींचना है। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme) की शासी परिषद द्वारा पहली बार 1989 में तब हुई जब आबादी का आंकड़ा करीब पांच बिलियन के आस-पास पहुंच गया था। संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल के फैसले के अनुसार, वर्ष 1989 में विकास कार्यक्रम में, विश्व स्तर पर समुदाय की सिफारिश के द्वारा यह तय किया गया कि हर साल 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
विश्व जनसंख्या दिवस 2018
पूरे विश्व में लोगों द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई, 2018 बुधवार को मनाया जायेगा।
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास
11 जुलाई को सालाना पूरे विश्व में विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में एक महान कार्यक्रम मनाया जाता है। पूरे विश्व में जनसंख्या मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के द्वारा वर्ष 1989 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई। लोगों के हितों के कारण इसको आगे बढ़ाया गया था जब वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 अरब (बिलीयन) के आसपास हो गयी थी।
2012 विश्व जनसंख्या दिवस उत्सव के थीम (विषय) के द्वारा पूरे विश्व भर में ये संदेश “प्रजनन (Reproduction) संबंधी स्वास्थ सुविधा के लिये सार्वभौमिक पहुँच” दिया गया था जब पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 7,025,071,966 थी। लोगों के चिरस्थायी भविष्य के साथ ही ज्यादा छोटे और स्वस्थ समाज (Healthy society) के लिये सत्ता द्वारा बड़े कदम उठाये गये थे। प्रजनन संबंधी स्वास्थ देख-रेख की माँग और आपूर्ति पूरी करने के लिये एक महत्वपूर्णं निवेश किया गया है। जनसंख्या घटाने के द्वारा सामाजिक गरीबी को घटाने के साथ ही जननीय स्वास्थ्य बढ़ाने के लिये कदम उठाये गये थे।
ये विकास के लिये एक बड़ी चुनौती थी, जब वर्ष 2011 में पूरे धरती की जनसंख्या 7 बिलीयन के लगभग पहुँच गयी थी। वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद के फैसले के अनुसार, ये अनुशंसित किया गया था कि हर साल 11 जुलाई को वैश्विक तौर पर समुदाय द्वारा सूचित करना चाहिये और आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाना चाहिये तथा जनसंख्या मुद्दे का सामना करने के लिये वास्तविक समाधान पता करना चाहिये। जनसंख्या मुद्दे के महत्व की ओर लोगों का जरुरी ध्यान केन्द्रित करने के लिये इसकी शुरुआत की गयी थी।
विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है
समुदायिक लोगों के जननीय स्वास्थ्य समस्याओं की ओर महत्वपूर्णं ध्यान दिलाना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद का लक्ष्य है क्योंकि खराब स्वास्थ्य का ये मुख्य कारण है साथ ही पूरे विश्व में गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) की मृत्यु का भी कारण है। ये आम हो गया है कि एक बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया में रोजाना लगभग 800 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जननी स्वास्थ्य और परिवार नियोजन की ओर विश्व जनसंख्या दिवस का अभियान पूरे विश्व के लोगों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है।
लगभग 18 बिलीयन युवा अपने जननीय वर्ष में प्रवेश कर रहें है और ये बहुत जरुरी है कि जननीय स्वास्थ्य के मुख्य भाग की ओर उनका ध्यान दिलाया जाये। ये ध्यान देने योग्य है कि 1 जनवरी 2014 को विश्व जनसंख्या 7,137,661,1,030 तक पहुँच गयी। सच्चाई के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये ढ़ेर सारे क्रियाकलाप और कार्यक्रम के साथ सालाना विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की योजना बनायी जाती है।
इस विशेष जागरुकता उत्सव के द्वारा, परिवार नियोजन के महत्व जैसे जनसंख्या मुद्दे के बारे में जानने के लिये कार्यक्रम में भाग लेने के लिये लोगों को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता, माता और बच्चे का स्वास्थ्य, गरीबी, मानव अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, लैंगिकता शिक्षा, गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल और सुरक्षात्मक उपाय जैसे कंडोम, जननीय स्वास्थ्य, नवयुवती गर्भावस्था, बालिका शिक्षा, बाल विवाह, यौन संबंधी फैलने वाले इंफेक्शन आदि गंभीर विषयों पर विचार रखे जाते हैं।
ये बहुत जरुरी है कि 15 से 19 वर्ष के किशोरों के बीच लैंगिकता (Sexuality) से संबंधित मुद्दे को सुलझाया जाये क्योंकि एक आँकड़ों के अनुसार ये देखा गया कि इस उम्र के लगभग 15 मिलीयन महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया साथ ही 4 मिलीयन ने गर्भपात (Abortion) कराया।
विश्व जनसंख्या दिवस कैसे मनाया जाता है
बढ़ती जनसंख्या के मुद्दों पर एक साथ कार्य करने के लिये बड़ी संख्या में लोगों के ध्यानाकर्षण के लिये विभिन्न क्रियाकलापों और कार्यक्रमों को आयोजित करने के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। सेमिनार, चर्चा, शैक्षिक प्रतियोगिता, शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, गायन, खेल क्रियाएँ, भाषण, कविता, चित्रकारी, नारें, विषय और संदेश वितरण, कार्यशाला, लेक्चर, बहस, गोलमोज चर्चा, प्रेस कॉन्प्रेंस के द्वारा खबर फैलाना, टीवी और न्यूज चैनल, रेडियो और टीवी पर जनसंख्या संबंधी कार्यक्रम आदि कुछ क्रियाएँ इसमें शामिल हैं। कॉन्प्रेंस, शोधकार्य, सभाएँ, प्रोजेक्ट विश्लेषण आदि को आयोजित करने के द्वारा जनसंख्या मुद्दों का समाधान करने के लिये विभिन्न स्वास्थ्य संगठन और जनसंख्या विभाग एक साथ कार्य करते हैं।
जनसंख्या भारत के लिए अहम चुनौती
आंकड़ों की मानें तो केवल भारत में हर मिनट 25 बच्चे पैदा होते हैं, ये वो आंकड़ा है जो कि अस्पतालों में दर्ज है लेकिन भारत में अभी भी बहुत सारे बच्चे अस्पताल में पैदा नहीं होते हैं इसलिए उनका आंकड़ा कहीं पर मौजूद नहीं है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर भारत ने अपनी तेजी से बढ़ रही जनसंख्या की दर कम करने के लिए जल्दी कुछ ठोस कदम नहीं उठाए तो 2030 तक वह विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला देश कहलाएगा।
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