फेफड़ों का कैंसर क्या है? जानिए लक्षण और बचने के उपाय

 

 

फेफड़ों का कैंसर शरीर के फेफड़ों वाला कैंसर है। जो की शरीर के फेफड़ों में शुरू होता है और शरीर के बाकि अंगों में फैल सकता है। इसकी शुरुआत फेफड़ों के वायुमार्गों में होती है। फेफड़ों के कैंसर के 20 से अधिक प्रकार हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि फेफड़ों के कैंसर का कारण धूम्रपान करना होता है। जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं उन लोगों को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

 

 

शरीर में मौजूद सेल यानि कोशिकाओं की अपनी एक विशेषता होती है वो ये है की एक उम्र के बाद वो अपने आप ही नष्ट हो जाती है। लेकिन कैंसर जैसी बीमारी में उस अंग के सेल की वो विशेषता खत्म हो जाती है। वो कोशिकाएं मरती नहीं बल्कि दो से चार,चार से आठ के हिसाब से बढ़ती रहती हैं। उनके खुद से नष्ट होने की क्षमता खत्म हो जाती है। शरीर के जिस अंग की कोशिकाओं में ये परेशानी आती है, उसी अंग में कैंसर के होने का खतरा बढ़ता है।

 

 

फेफड़ों का कैंसर होने के लक्षण

 

 

 

  • कुछ भी खाते वक़्त उसको निगलने में कठिनाई होना

 

  • चेहरे और गर्दन पर सूजन होना

 

  • शरीर में दर्द और थकान होना

 

  • बलगम में खून आना

 

  • सीढ़ियां चढ़ते उतरते वक़्त सांसों का फूलना

 

 

फेफड़ों के कैंसर होने के कारण

 

 

तम्बाकू का सेवन या स्मोकिंग, सिगरेट पीने और तम्बाकू के सेवन का सीधा असर आपके फेफड़ों पर पड़ता है जिससे फेफड़ों का कैंसर होता है और भी कई बीमारियाँ होती हैं। हवा में मौजूद प्रदुषण भी फेफड़ों में कैंसर होने का एक कारण है। फैक्टरीयों से बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैल रहा है और साथ ही डीजल गाड़ियों से भी बहुत ज्यादा धुआँ निकलता है। यही धुआँ बैंजीन गैस होती है, जो हवा को प्रदूषित करती है और फेफड़ों में कैंसर होने का कारण बनती है।

 

फेफड़ों में कैंसर होने का एक और कारण है जेनेटिक या अनुवांशिक, मतलब की शरीर में मौजूद जीन्स की वजह से भी फेफड़ों का कैंसर होता है।

 

 

फेफड़ों के कैंसर (Lungs Cancer) के प्रकार

 

 

डॉक्टर्स की माने तो लंग्स कैंसर दो प्रकार के होते हैं

 

  1. स्माल सेल कैंसर
  2. नॉन स्माल सेल कैंसर

 

 

फेफड़ों के कैंसर से बचने के उपाय

 

 

अगर फेफड़ों के कैंसर से बचना है तो आपको अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखना होगा। अगर आप नियमित तौर पर अपने फेफ़ड़ों का ख्याल रखते हैं तो आप फेफड़ों के कैंसर से अपना बचाव कर सकते हैं।

 

 

  • सबसे पहले तो आपको स्मोकिंग यानी की सिगरेट पीने की आदत को छोड़ना होगा।

 

  • अगर आप ऐसे शहर में रह रहे है जहाँ की हवा बहुत ज्यादा प्रदूषित है तो वहां आपको मास्क लगाकर चलना चाहिए।

 

  • एक बात का ध्यान और रखे अगर आपको अपने फेफड़ों को मजबूत करना है तो आपको नियमित तौर पर एक्सरसाइज करनी होगी।

 

 

फेफड़ों को मजबूत करनी वाली एक्सरसाइज

 

 

ब्रीदिंग

 

यह एक्सरसाइज करते वक़्त आपको अपनी सांस पर फोकस करना होता है जिससे दिमाग शांत और रिलैक्स होता है। इसे करने के लिए 4 सेकंड तक सांस लें ताकि आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन भर जाये। उसके अगले 4 सेकंड के बाद ऑक्सीजन को निकल दें। इस एक्सरसाइज को रोज़ाना 5 मिनट तक करें।

 

 

योगा

 

अगर फेफड़ों को मजबूत बनाना है तो योगा करना बहुत फायदेमंद होता है। योगा करते वक्त जब आप गहरी सांस लेते हैं तो इससे आपका रक्त प्रवाह बेहतर होता है जिस वजह से फेफड़ों में ज्यादा देर तक के लिए ऑक्सीजन रह पाती है।

 

 

स्विमिंग

 

पानी के अंदर सांस रोक कर रखने से हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। स्विमिंग करते वक़्त पानी श्व्सन मांसपेशियों पर दबाव डाल कर उन्हें मजबूत बनाता है। स्विमिंग करना फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमंद एक्सरसाइज है।

 

 

कार्डियो

 

रनिंग जैसी एरोबिक्स एक्सरसाइज फेफड़ों के लिए बहुत अच्छी होती है। क्यूंकि ये एक्सरसाइज करते वक़्त आपके फेफड़ों को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, जिस वजह से फेफड़ों को ज्यादा काम करने की जरूरत पड़ती है। शारीरिक तौर पर एक्सरसाइज न करना आपके फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुँचाती है। इसलिए जॉगिंग, जुम्बा वर्कआउट करते रहना चाहिए।

 

 

अगर आपको ऊपर बताये गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण नजर आ रहे हो, तो बताये गए उपायों का इस्तेमाल करे, लेकिन इससे पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले

 


Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।