यदि हम कड़े शब्दों में, आत्मघाती विचार का मतलब बताए तो इसका मतलब है, खुद की जान लेना, आत्महत्या करने के बारे में सोचना। वैसे तो आत्महत्या के दो प्रकार हैं पहला निष्क्रिय और दूसरा सक्रिय। जब कोई व्यक्ति ये कहता है की वह ख़ुदकुशी करने जा रहा है तो ये बहुत घातक विचार होता है। निष्क्रिय आत्महत्या की घटना तब होती है जब वो व्यक्ति चाहता है की वो मर चुका है या मर सकता है, लेकिन उस व्यक्ति के पास आत्महत्या करने की कोई योजना नहीं होती है।
वहीं आत्मघाती विचार के दूसरे विचार की ओर बढ़ते है सक्रिय आत्महत्या का विचार ये न केवल ऐसा सोच रहा है, बल्कि आत्महत्या करने का मन भी बना चूका है। आत्महत्या करने का विचार एक तरह से डिप्रेशन और द्विध्रुवी विकार में पाए जाने वाले डिप्रेशन होता है। आपने ये देखा होगा की छोटे बच्चे व किशोरों में बड़ों के मुकाबले आत्महत्या की प्रवृत्ति ज्यादा देखी गई है। जबकि पुरुषों की तुलना में स्त्रियों के मन में आत्महत्या करने के विचार ज्यादा बार आते हैं ।
आत्मघाती विचार क्या हैं ? (What are suicidal thoughts ?)
वो सारे विचार जो किसी भी व्यक्ति को जानबूझकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करते हैं। आत्महत्या का विचार किसी भी व्यक्ति के मन में तब आता है जब वह बहुत ज्यादा किसी भी चीज के बारे में नेगेटिव सोचता है। हालाँकि, आत्महत्या का विचार हमारी इच्छा के अनुसार ही आता हैं, सामान्य तौर पर जब कोई आत्मघाती विचार या आत्मघाती विचारों की बात करता है, तो इसे आमतौर पर मरने की इच्छा प्रकट होती है।
आत्मघाती विचार के कारण ? (Reasons for suicidal thoughts)
भावनाओं के परिणामस्वरूप जिसके कारण भारी जीवन की स्थिति का सामना नहीं किया जा सकता है|
- जब आप डिप्रेशन में हो
- मनोवस्था संबंधी विकार
- जब आप आशाहीन और अपने जीवन के नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं
- जब कोई व्यक्ति अकेला महसूस करता है
- घर में लड़ाई और झगड़ा भी इसका कारण हो सकता है
- किसी प्रकार का संकट
- काम का दबाव
- एक शारीरिक स्वास्थ्य मुद्दा
- वित्तीय कठिनाइयों जैसी परिस्थितियों के कारण भी हो सकता है
आत्मघाती विचार के लक्षण ? (Symptoms of suicidal thoughts?)
आत्मघाती विचार ये आपके व्यवहार पर निर्भर करते है क्यों आत्महत्या का विचार हमारे व्यवहार पर तब निर्भर करता है जब कोई भी व्यक्ति किसी भी चीज के बारे में अधिक सोचता है और जब उसे लगता है की उसके सोचने का कोई निष्कर्ष नहीं निकला है तभी उस व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आता है। यदि आपको अपने आसपास के किसी भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण देखने को मिलते है तो आप हमारे डॉक्टर की सलाह ले सकते है। इसके लक्षण इस प्रकार है।
- मानसिक स्वास्थ्य ख़राब होना
- निराशाजनक, अकेला महसूस करना
- शादी न होना
- समलैंगिक, उभयलिंगी या ट्रांसजेंडर होना
- शिरीर में किसी पुराना दर्द का होना
- एक दर्दनाक मस्तिष्क की चोट
- आत्महत्या का पारिवारिक इतिहास रहा हो
- नशीली दवाओं या अल्कोहल का दुरुपयोग करना
- बचपन के दुर्व्यवहार या आघात का अनुभव होना
- क्रोध या चिड़चिड़ापन
क्या है इसके उपाए ? (What is the solution?)
संकेत को पहचानें : ऐसी स्थिति को पहचाने जो आपको आत्महत्या के विचार पर सोचने के लिए मजबूर कर रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह ले।
भावनाएं पर ध्यान कम दें : आप लोग अपनी भावनाएँ पर कम ध्यान दें क्यों की ये आपके मन में आती जाती रहती है और स्थायी नहीं होतीं। यहां तक कि जब जीवन निराशाजनक लगता है, तो आप उपचार के साथ बेहतर महसूस करने के लिए सड़क पर आ सकते हैं या पार्क में टहले।
अपना ध्यान रखे : नियमित रूप से स्वस्थ और पौष्टिक भोजन ही करने की कोशिश करें, तनाव को दूर करने और अपने शरीर को अतीत से बाहर निकलने में मदद करने के लिए बहुत आराम और विश्राम प्राप्त करें।
आराम करें: यदि आपको तनाव रहता है तो उससे निकलने के उपाए सोचे। साथ ही व्यायाम का भी सहारा लें इसके अलावा, आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, आराम करने के लिए कुछ रणनीतियों का उपयोग कर सकते।
खुश रहने की कोशिश करें : जब आप अकेलापन महसूस कर रहे हो, तो उस समय कुछ अच्छी यादों के बारे में सोचे इससे आपको खुश रहने में मदद मिलेगी।
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