गठिया को अंग्रेजी में अर्थराइटिस कहते हैं, इस रोग में शरीर के जोड़ों में सूजन आ जाती है। गाउट के मरीज घुटनों, टखनों, पीठ, कलाई और गर्दन के आसपास के जोड़ों में सूजन और दर्द की शिकायत करते हैं। गठिया रोग में घुटनों के जोड़ों में बहुत दर्द होता है, इससे पीड़ित व्यक्ति का चलना भी मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं, अगर शुरुआत में ही गठिया की पहचान और इलाज न किया जाए तो यह समय के साथ-साथ हड्डियों को भी नुकसान पहुंचाता है।
कितने प्रकार का होता है गठिया?
बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि गठिया दो प्रकार के होते हैं जिनका अक्सर परीक्षण के बाद निदान किया जाता है और उसी के अनुसार इलाज किया जाता है।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): ऑस्टियोआर्थराइटिस का शिकार होने पर पीड़ित व्यक्ति की कार्टिलेज या तो टूट जाती है या घिस जाती है, जिससे व्यक्ति को चलने में बहुत कठिनाई (जोड़ों का दर्द) होती है।
- रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): रूमेटाइड आर्थराइटिस अक्सर उन्हीं लोगों को होता है जिनकी उम्र 40 से 50 साल के बीच होती है। इस रोग में इससे पीड़ित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
- सेप्टिक गठिया:इसे संक्रामक गठिया भी कहा जाता है जो जोड़ों के ऊतकों और तरल पदार्थ का संक्रमण है। सेप्टिक आर्थराइटिस बच्चों में भी पाया जाता है और इसके होने का मुख्य कारण रक्षा तंत्र का कमजोर होना है।
- गाउट: गाउट का दूसरा नाम गाउट है जो हमारे पैरों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में जोड़ों में दर्द और सूजन महसूस होती है, खासकर पैर के अंगूठे में। पैर में अचानक दर्द होना गाउट का लक्षण है।
- रिएक्टिव आर्थराइटिस (reactive arthritis): इस प्रकार के गाउट में व्यक्ति के जोड़, आंखें, त्वचा और मूत्र पथ प्रभावित होते हैं। आमतौर पर रिएक्टिव आर्थराइटिस का असर 20 से 40 साल की उम्र के बीच देखा जाता है और इसकी समस्या ज्यादातर पुरुषों में देखी जाती है।
- जुवेनाइल इडियोपेथिक आर्थराइटिस: यह एक प्रकार का गठिया है जो बच्चों में पाया जाता है। ऐसे में हाथों, घुटनों, टखनों, कोहनी और कलाइयों में दर्द या सूजन की शिकायत देखी जाती है। हालाँकि, यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है।
- रीढ़ के जोड़ों की गतिविधि-प्रतिबंधित सूजन (Ankylosing Spondylitis): इस प्रकार का गठिया किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन अधिकतर यह रीढ़ की हड्डी में होता है। ऐसे में व्यक्ति को आराम करते समय या रात को सोते समय भी कमर दर्द हो जाता है।
भारत में कराएं गठिया का इलाज | Best arthritis treatment in India
गठिया जैसी स्थिति में समय पर उपचार बहुत जरूरी है। यह कदम स्थिति को बिगड़ने से पहले ही रोक सकता है। साथ ही जोड़ों को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है।
दवा और फिजिकल थेरपी
अब बात करते हैं गठिया के इलाज की, शुरुआती दौर में डॉक्टर आपको तरह-तरह की दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं। ये दवाएं गठिया के प्रकार पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, दर्द निवारक, गैर-स्टेरायडल विरोधी भड़काऊ दवाएं, विरोधी उत्तेजक, आदि। इसके अलावा, गठिया के इलाज के लिए भौतिक चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर रोगी को व्यायाम करने की सलाह दे सकते हैं।
ऑपरेशन
यदि ऊपर बताए गए उपचारों से रोगी को लाभ नहीं होता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकता है। गठिया के लक्षण कभी-कभी बद से बदतर हो जाते हैं और दर्द असहनीय हो जाता है। ऐसे समय में डॉक्टरों को उन्नत इलाज का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे समय में सबसे लोकप्रिय सर्जरी घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी है। इस सर्जरी में, क्षतिग्रस्त जोड़ को हटा दिया जाता है और एक कृत्रिम जोड़ के साथ बदल दिया जाता है। यह कृत्रिम जोड़ वास्तविक जोड़ की तरह काम करता है। इस प्रकार के उपचार से व्यक्ति को न केवल दर्द से राहत मिलती है, बल्कि चलने-फिरने और उठने-बैठने में भी आसानी हो जाती है। यह सर्जरी आमतौर पर घुटने, कूल्हे और कंधे के जोड़ों के लिए उपयोग की जाती है।
गठिया के लक्षण
जोड़ों में दर्द के कारण गठिया की पहचान नहीं हो पाती है। केवल जोड़ों का दर्द ही गठिया का लक्षण है, लेकिन जोड़ों में सूजन के कारण दर्द होना गठिया का लक्षण है। गठिया के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
- जोड़ों के दर्द के साथ लालिमा, गर्मी और सूजन
- संयुक्त जलन (joint irritation)
- हाथ और पैर हिलाने पर हल्का या गंभीर जोड़ों का दर्द
- वजन घटना
- सांस लेने में कठिनाई
- घुटने में हमेशा दर्द रहना
गठिया के कारण
गठिया का कोई एक मुख्य कारण नहीं है। बल्कि कई गतिविधियां इसके होने की संभावना को बढ़ा देती हैं। जैसे कि:
1. हमारे शरीर में जोड़ों में एक मुलायम और लचीला ऊतक मौजूद होता है जिसे कार्टिलेज कहते हैं। जब हम चलते हैं तो जोड़ों पर दबाव पड़ता है। ऐसे में उपास्थि दबाव और झटके को अवशोषित करके हमारे जोड़ों की रक्षा करती है। जब किसी व्यक्ति को गठिया जैसी बीमारी हो जाती है तो उपास्थि की मात्रा में कमी आ जाती है जिससे एक हड्डी दूसरी हड्डी से रगड़ खा जाती है और कुछ समस्या उत्पन्न हो जाती है।
2. अगर आपके परिवार में किसी व्यक्ति में गठिया पाया जा रहा है तो संभव है कि यह रोग अन्य लोगों को भी हो सकता है।
3. मोटापा भी गठिया होने की संभावना को बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मोटापे के कारण शरीर के जोड़ ज्यादा वजन नहीं सह पाते हैं और जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या हो जाती है।
गठिया के लिए कौन से टेस्ट किये जाते हैं?
याद रखें जोड़ों के दर्द की समस्या कई समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसलिए स्थिति बिगड़ने से पहले सही इलाज कराने की कोशिश करें। यदि आप डॉक्टर से सलाह लेते हैं, तो वह शारीरिक परीक्षण के माध्यम से स्थिति की जांच कर सकता है। जरूरत पड़ने पर कुछ टेस्ट भी किए जा सकते हैं। जैसे कि:
1. लैब टेस्ट: रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण, या संयुक्त द्रव टेस्ट।
2. इमेजिंग टेस्ट: एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड।
गठिया के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल
यदि आप गठिया का इलाज कराना चाहते हैं, तो आप हमारे द्वारा इन सूचीबद्ध अस्पतालों में से किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकते हैं:
- सर्वोदय अस्पताल, मुंबई
- श्री रामचंद्र मेडिकल सेंटर, चेन्नई
- एमजीएम हेल्थकेयर प्रा. लिमिटेड, चेन्नई
- फोर्टिस अस्पताल, मुंबई
- सीके बिड़ला अस्पताल, कोलकाता
- रेनबो हॉस्पिटल, दिल्ली
- अपोलो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, चेन्नई
- साइटकेयर कैंसर अस्पताल, बैंगलोर
- ब्लैक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली
- केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, अहमदाबाद
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नोएडा
- मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम
- फोर्टिस अस्पताल, अहमदाबाद
यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) या आप हमे (+919599004811) इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं।
गठिया से बचाव के लिए क्या करें!
गठिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए कुछ तरीकों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है। गठिया से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
जीवन शैली में परिवर्तन
- नियमित रूप से स्वस्थ आहार खाने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, जिससे गठिया से बचा जा सकता है। गठिया से बचने के लिए आप कैल्शियम, आयरन, ओमेगा थ्री फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
- वजन पर नियंत्रण नियंत्रित वजन रखने से घुटनों पर दबाव कम होता है, जिससे गठिया से बचा जा सकता है।
- पोस्चर का रखें ध्यान लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठने या खड़े होने से बचें क्योंकि इससे जोड़ों में दर्द और सूजन हो सकती है।
यदि आप गठिया का इलाज (Best thyroid treatment in India) कराना चाहते हैं, या इस बीमारी से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकता हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724, +919599004811) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।