ऑटोइम्‍यून बीमारी क्या है जाने इसके बचाव

आज के समय में ऐसी-ऐसी बीमारी फैली हुई है। जिनके बारें में आपने कभी सुना भी नहीं होगा। इसी में से एक बीमारी है ऑटोइम्यून बीमारी। जी हां यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होती है। ऑटोइम्यून बीमारी आपके पूरे शरीर में होती है। इतना ही नहीं इस बीमारी के कारण आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस, टाइप1 डायबिटीज, थायराइड समस्‍या, ल्‍यूपस, सोराइसिस, जैसी कई बीमारियां हो सकती है। जानिए क्या है ये बीमारी और कैसे पहचानें।

 

ऑटोइम्‍यून रोग क्या है

 

यह बीमारी एक ऐसी बीमारी है। जिसमें एक साथ कई बीमारी आपको हो जाती है। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। इस बीमारी के कारण आपका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है। जिसके कारण आपको अनेक बीमारियों की चपेट में आ जाते है।

 

इस कारण होती है ये बीमारी

यह बीमारी आपको तब होती है। जब शरीर में मौजूद विषाक्‍त पदार्थों, संक्रमणों और खाने में मौजूद विशुद्धिओं को दूर करने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता संघर्ष करती है। इस बीमारी के होने के बाद शरीर के ऊतक ही शरीर को बीमार और कमजोर बनाते हैं।

 

लक्षण

 

 

  • किसी काम में दिमाग न लगना।

 

 

  • हेयरफाल होना

 

 

  • मुंह में छाले होना

 

  • हाथ और पैरों में झुनझुनी होना या सुन्‍न हो जाना

 

  • ब्लड के थक्‍के जमना

 

 

 

 

  • अनिद्रा की शिकायत होना

 

  • दिल की धड़कन अनियंत्रित होना

 

  • स्किन अधिक सेंसिटिव हो जाना

 

  • स्किन पर धब्‍बे पड़ना

 

 

ऑटोइम्यून बीमारी को दूर करने उपाय

 

जीवनशैली में बदलाव

यदि आपको पता चल जाये कि इस बीमारी से आप ग्रस्‍त हैं तो सबसे पहले आप चिकित्‍सक से संपर्क करें और इसके उपचार के बारे में सलाह लें। इसके अलावा तुरंत अपने खानपान में बदलाव करें, और ऐसे आहार का सेवन करें जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हों। इसके लिए सबसे साबुत अनाज का सेवन अधिक मात्रा में करें, इसमें मौजूद लेक्टिन आपकी प्रतिरोधक क्षमता को तुरंत बढ़ायेगा। खाने में ताजे फल और सब्जियों को शामिल कीजिए। इसके अलावा नियमित व्‍यायाम को अपनी दिनचर्या बनाइए।

 

तनाव से दूर रहें

तनाव भी अप्रत्यक्ष रूप से आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। तनाव से पाचन तंत्र प्रभावित होने के कारण इम्यून सिस्‍टम कमजोर होने लगता है। और आप ऑटोइम्‍यून डिजीज का शिकार होने लगते हैं। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्‍थ के अनुसार, तनाव के कारण उत्‍पन्‍न कोर्टिसोल नामक हार्मोंन मोटापा, हृदय रोग, कैंसर और अन्य बीमारियों के जोखिम में डाल सकता है। इसलिए तनाव को दूर करने की कोशिश करें। तनावमुक्त होकर हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है।

 

संतुलित आहार

 

हम जैसा खाएंगे आहार वैसा ही बनेगा मन और शरीर। अगर हम पौष्टिक व संतुलित आहार लेते हैं तो शरीर में ऐसे लोगों के मुकाबले ज्यादा बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता होगी जो संतुलित व पौष्टिक भोजन नहीं लेते। पौष्टिक और संतुलित आहार हमें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। संतुलित आहार ऐसा आहार होता है जिसमें सब्जियों और प्रोटीन का अच्छा मिश्रण हो। और पौष्टिक आहार ऐसा आहार है जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन व मिनरल मौजूद हों ताकि शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता को मजबूत किया जा सके। जिन फूड्स में विटामिन ए, बी, सी व ई, फोलेट और कैरोनाइड्स व मिनरल जैसे जिंक, क्रोमियम व सेलिनियम होते हैं वे न केवल इम्यूनिटी बढ़ाते हैं बल्कि स्वस्थ इम्यून सिस्टम के लिए भी जरूरी हैं।

 

विटामिन डी

 

विटामिन डी एक ऐसा पोषक तत्‍व है जो 200 से अधिक जीनों से प्रभावित होता है। इसकी जिम्‍मे‍दारियों में से एक बहुत अधिक सूजन और ऑटोइम्‍यून डिजीज सहित संक्रमण से लड़ने के लिए आपके शरीर की क्षमता को विनियमित करना है। विटामिन डी की पर्याप्‍त मात्रा ऑटोइम्‍यून डिजीज को रोकने और इलाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। और विटामिन डी लेने का सबसे सुरक्षित तरीका नियमित रूप सूरज की रोशनी में कुछ देर बिताना है।

 

जरूरत से ज्‍यादा प्रोटीन लेने से बचें

ऑटोइम्‍यून डिजीज के महत्‍वपूर्ण कारणों में एंटीजेन-एंटीबॉडी का जटिल गठन भी शामिल है। जो खून में बहकर ऊतकों में जमा होकर अक्‍सर बेचैनी के साथ-साथ सूजन का कारण भी बनता है। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि क्‍या प्रतिरक्षा परिसरों के गठन का कारण बनता है? इसके लिए आप रक्‍त में अधूरे पचे प्रोटीन को दोषी ठहरा सकते हैं। इसलिए भोजन को अच्‍छी तरह से चबाने के साथ-साथ आवश्‍यकता से अधिक प्रोटीन लेना भी महत्‍वपूर्ण होता है।

 

ग्रीन टी और मछली के तेल का सेवन

ग्रीन टी ऑटोइम्‍यून अर्थराइटिस के खिलाफ रक्षा करने के लिए जाना जाता है। ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोलिक नामक तत्‍व में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह अर्थराइटिस से संबंधित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा मछली के तेल में महत्वपूर्ण ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है। ये फैट शरीर में सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम करने में मददगार होता है।


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