किडनी फेल्योर दो प्रकार के होते हैं। पहला होता है, एक्यूट किडनी फेल्योर। इसका मतलब होता है कि आपकी किडनी अस्थायी रूप से बंद हो गई है। ये किडनी फेल्योेर आमतौर पर पूरी तरह ठीक हो जाता है और इसमें डायलसिस और किडनी प्रत्योरोपण की जरूरत नहीं पड़ती है।
एक्यूट किडनी फेल्योैर का सबसे सामान्य कारण डायरिया होता है। डायरिया के कारण शरीर से पानी निकल जाने की वजह से किडनी को हानि होती है।
दूसरे होता है, क्रोनिक किडनी फेल्योर। इसे ‘सीकेडी’ या क्रोनिक किडनी डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार के किडनी फेल्योर में समय के साथ साथ किडनियां पूरी तरह खराब हो जाती हैं।
इसके इलाज के दो ही विकल्प होते हैं। पहला, या तो आप किडनी प्रत्यारोपण कराएं , या फिर सारी उम्र डायलसिस पर रहें। डायबिटीज और हाई ब्लडप्रशेर क्रोनिक किडनी डिजीज के मुख्य कारण हैं।
आजकल तो किशोरों में भी किडनी फेल होने की समस्या आने लगी है। तो आइये जानते है , किशोरों में किडनी फेल होने के क्या कारण है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
किशोरों में किडनी फेल होने के क्या कारण है
- आजकल के लोग जो किशोरावस्था में होते है, वो जिम जाने के लिए अधिक प्रवण होते हैं और मांसपेशियों में सूजन के लिए कृत्रिम प्रोटीन आहार पर निर्भर रहते हैं, जिससे किशोरों पर दुष्प्रभाव होता है। जो किडनी के लिए हानिकारक होते हैं और किडनी फेल्योर का कारण भी बन सकता हैं। भोजन में प्रोटीन सामग्री की अधिकता ज्यादातर मामलों में किडनी नुकसान होने का कारण हो सकती हैं।
- विशेषज्ञों के अनुसार, प्रोटीन शेक से किडनी फेल्योर हो सकता है, जो यौगिकों के क्रिस्टलीकरण के कारण बनते हैं। ये किडनी के काम में रुकावट करता हैं और गंभीर दर्द का कारण बनता हैं।
- वैसे हमेशा सलाह दी जाती है कि, किडनी से संबंधित रोग से बचने के लिए प्रोटीन शेक मात्रा कम हो, क्योंकि प्रोटीन शेक का एक और दुष्प्रभाव ये है कि, किडनी फेल्योर के लिए तनाव पैदा कर सकता हैं।
- जब किशोर अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं, तो किशोरों में किडनी फेल होने के कारण हो सकते है।
- अधिक मात्रा में ऐलकोहल का सेवन करना, किशोरों में किडनी फेल होने के मुख्य कारण है।
किडनी ख़राब होने के कारण
- अधिक मात्रा में एलकोहल का सेवन करना।
- प्रोटीन को ज्यादा मात्रा में लेना।
- पेशाब को बहुत देर तक रोकना।
- पानी की मात्रा कम पीने से भी किडनी खारब हो सकती है।
- नमक का खाने में इस्तेमाल ज्यादा करना।
- ब्लड प्रेशर हाई होने पर लापरवाही करने से भी किडनी ख़राब हो सकती है।
- शुगर के इलाज़ में लापरवाही इससे भी हो सकती है किडनी खराब।
- मांस अधिक मात्रा में खाने से किडनी कमजोर हो सकती है।
- अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक या सोडा पीने से भी हो सकती है किडनी खराब।
किडनी ख़राब होने लक्षण
- पीठ में बहुत तेज दर्द होना
- पैरों में सूजन आना
- त्वचा पर चकत्ते या खुजली होना
- एकाग्रता की कमी होना
- पेशाब ज्यादा मात्रा में होना
- मूत्र के रंग में परिवर्तन होना
- पेशाब करते वक़्त दर्द का होना और झाग का आना।
किडनी रोग में क्या खाना चाहिए
फूलगोभी
किडनी रोग में इसका सेवन करना चाहिए। इसमें विटामिन ए ,विटामिन बी ,विटामिन के ,और विटामिन फोलेट शामिल है।
ब्लूबेरी
ब्लूबेरी पोषक तत्वों से भरपूर हैं और एंटीऑक्सीडेंट के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है। ब्लूबेरी में सोडियम, फास्फोरस और पोटेशियम कम मात्रा में होता है, इसलिए किडनी के लिए यह बहुत ही अच्छी डाइट है।
लाल अंगूर
अंगूर में फ्लेवोनोइड्स नामक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो सूजन को कम करता हैं। इसलिए लाल अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा में पायी पाई जाती है।
अनानास
अनानस किडनी की समस्याओं वाले लोगों के लिए मीठा और कम पोटेशियम वाला फल है। इसके अलावा, अनानास फाइबर, बी विटामिन, मैंगनीज और ब्रोमेलैन में समृद्ध है। ब्रोमेलैन एक एंजाइम है जो सूजन को कम करने में मदद करता है और इसे दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
किडनी रोग में इन चीजों की सावधानी बरतें
प्रोटीन
प्रोटीन की मात्रा कम करे। ज्यादा प्रोटीन बीमारी बढ़ा सकता है। चूंकि प्रोटीन कोशिकाओं और शारीरिक क्रियाकलापों के लिए जरूरी है। किडनी रोग में 0.5-0.8 मिग्रा/ किलोग्राम रोज के हिसाब से प्रोटीन युक्त फूड ले सकते है।
सोडियम
एक चम्मच नमक दिन भर के लिए काफी है। प्रोस्सड फूड, जंक फूड आदि में ज्यादा मात्रा में सोडियम होते हैं। इनसे बचना चाहिए। दो ग्राम नमक में 400 मिग्रा सोडियम होता है।
पोटैशियम
किडनी की बीमारियों में पोटैशियम की मात्रा बढ़ने लगती है, जो खतरनाक है। भोजन में पोटैशियम की मात्रा का सेवन कम करना चाहिए।
फॉस्फोरस
ज्यादा मात्रा में फॉस्फोरस किडनी फेल्योर के साथ-साथ हड्डी रोग या हृदय रोग के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। इसकी मात्रा भी संतुलित होनी चाहिए।
ये सारे लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसकी नियमित जाँच पड़ताल करा लेना चाहिए। जाँच के दौरान डॉक्टर के द्वारा मरीज के पेशाब में प्रोटीन की हानि, वजन रक्तचाप, दवा के दुष्प्रभाव और किसी भी प्रकार की समस्या नज़र आये तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले। और एलकोहल का सेवन अधिक मात्रा में न करे, ये मुख्य कारण है किडनी फ़ैल होने के।
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