ब्लैडर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मूत्राशय के नाम से भी जाना जाता हैं। ब्लैडर एक पेशाब को संग्रहित करने वाला अंग होता हैं जो मनुष्य की किडनी से बने हुए मूत्र को समय-समय पर बाहर निकालने में मदद करता हैं। ब्लैडर को एक मस्कुलर ऑर्गन कहा जाता हैं यह शरीर को नियंत्रण रखने में भी अधिक सहायक होता हैं। ब्लैडर में रोग और समस्या भी हो सकती हैं जो की अधिक दर्दनाक होती हैं इसलिए किसी भी मनुष्य को ब्लैडर में किसी भी प्रकार की समस्या होती हैं वह डॉक्टर से अवश्य जाँच करवाए और उनकी सलाह अनुसार बीमारी का इलाज करवाए।
ब्लैडर में सूजन क्या हैं ?
ब्लैडर में सूजन एक आम समस्या होती हैं ब्लैडर में सूजन आने का मतलब होता हैं कि मनुष्य की मूत्राशय की दीवार में संचयित मूत्र के कारण ब्लैडर का आकर बढ़ जाना तथा यह समस्या और भी कई कारणों से हो सकती है। ब्लैडर में सूजन होने के कारण व्यक्ति अधिक परेशान होने लगता हैं इसलिए समस्या के होने पर डॉक्टर के पास अवश्य जाए नज़रअंदाज़ न करे।
ब्लैडर में सूजन आने के लक्षण क्या होते हैं ?
ब्लैडर में सूजन होने के लक्षण अन्य होते हैं जैसे की –
- मूत्राशय में जलन
- बार-बार पेशाब आना
- अचानक बहुत तेज से पेशाब आना
- पेशाब के समय जलन होना
- पेशाब पीले रंग का होना
ब्लैडर में सूजन के कारण क्या-क्या हो सकते हैं ?
ब्लैडर में सूजन के कई कारण हो सकते हैं जैसे की –
- इन्फेक्शन: ब्लैडर में इन्फेक्शन होना बहुत आम होता हैं जिसके कारण बैक्टीरिया होते हैं जो मूत्रनली के माध्यम से ब्लैडर में पहुंचते हैं और सूजन का कारण बनते हैं।
- पथरी: मूत्रनली में पथरी जिसे की किडनी स्टोन भी कहा जाता हैं। पथरी की समस्या भी ब्लैडर में सूजन का कारण बन सकती हैं।
- मूत्रनली में समस्या: मूत्रनली में किसी भी प्रकार की समस्या जैसे की पेशाब की यात्रा में रुकावट या कोई अन्य बीमारी भी सूजन का कारण अवश्य बन सकती हैं।
- कैंसर: यदि ब्लैडर में कैंसर का विकास होता हैं तो ब्लैडर सूजन का कारण बन सकता हैं।
- रक्तवाहिनी का ब्लॉकेज: कई बार रक्तवाहिनी ब्लॉकेज के कारण ब्लैडर में सूजन आ जाती हैं।
- अन्य अनियमिताएं: कई बार अन्य अनियमिताएं जैसे ब्लैडर में ट्यूमर, ब्लैडर की संरचना में बदलाव सूजन का कारण बन सकता हैं।
ब्लैडर में सूजन आने के निदान किस प्रकार होते हैं ?
- अल्ट्रासाउंड: इस टेस्ट में, ध्वनि तरंगें आंतरिक अंगों की एक छवि बनाती हैं। यह टेस्ट त्वचा के ऊपर किया जाता है और इसमें दर्द नहीं होता है और इसके लिए आमतौर पर किसी तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है।
- सिस्टोस्कोपी: यह टेस्ट मूत्रमार्ग से मूत्राशय के अंदर देखने के लिए एक लेंस और एक प्रकाश स्रोत (सिस्टोस्कोप) के साथ लगे एक विशेष उपकरण का उपयोग करता है।
- सीटी स्कैन: एक अन्य इमेजिंग टेस्ट, सीटी स्कैन एक प्रकार का एक्स-रे है जो शरीर के क्रॉस सेक्शन (जैसे स्लाइस) लेता है। यह टेस्ट सामान्य एक्स-रे की तुलना में बहुत अधिक सटीक है।
ब्लैडर में सूजन को कम करने के लिए क्या करना चाहिए ?
ब्लैडर में सूजन होने पर डॉक्टर के पास अवश्य जाए तथा उनके अनुसार दी गई दवाइयों का सेवन करे। इसके अलावा कुछ पदार्थो का सेवन करे जो ब्लैडर की सूजन को कम करने में मदद करे जैसे की –
- तुलसी: तुलसी के पत्तों को मिश्री के साथ मिलाकर बार-बार पीने से मूत्राशय की जलन के रोग में लाभ होता है।
- जंगली अजमोद: जंगली अजमोद का काढ़ा सिरका और शहद के साथ मिलाकर नाभि के नीचे सूजन और दर्द को ठीक करता है।
- चंदन: बेताशे पर चंदन के तेल की 5 से 15 बूंदें डालकर दिन में 3 बार खाने से मूत्राशय की जलन ठीक हो जाती है।
- गुग्गुल: लगभग आधा से एक ग्राम गुग्गुल गुड़ के साथ लेने से मूत्राशय की सूजन समाप्त हो जाती है।
- लोबान: लगभग आधा से एक ग्राम लोबान को बादाम और गोंद के साथ सुबह-शाम लेने से पेशाब में आराम मिलता है।
- शिलारस: गिलोय के साथ शिलारस का आधा से एक ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से मूत्राशय की सूजन और पेशाब की जलन ठीक हो जाती है।
- गाथिबान (बंटुलसी): गितिबन (बंटुलसी) के पत्तों को पीसकर मूत्राशय की सूजन पर लगाएं।
- दालचीनी: आधा ग्राम दालचीनी का चूर्ण दूध के साथ या आधा ग्राम फिटकरी के साथ रोजाना तीन बार खाने से मूत्राशय की सूजन ठीक हो जाती है। इस पेस्ट को नाभि के नीचे लगाने से फायदा होता है।
- छोटे गोखरू: छोटे गोखरू का काढ़ा दिन में दो बार लेने से मूत्राशय की सूजन में आराम मिलता है।
- अपराजिता: मूत्राशय की सूजन में अपराजिता का फांट या घोल दिन में दो बार खाने से लाभ होता है।
- अतीबाला: 4 से 8 ग्राम अतीबला के बीजों को सुबह-शाम खाने से नाभि के सभी रोग और सूजन ठीक हो जाते हैं।
- कुश: कुश की जड़ को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में पीसकर सुबह-शाम पीने से मूत्राशय से संबंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- डाभी: 3 से 6 ग्राम दाबजी की जड़ को पीसकर सुबह-शाम पीने से मूत्राशय के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।
- हरिदूब: हरिदूब की जड़ का 40 ग्राम काढ़ा सुबह और शाम लेने से जलन और पेशाब की सूजन समाप्त हो जाती है।
- ग्वारपाठा की जड़: 40 ग्राम चूर्ण या ग्वारपाठा की जड़ का घोल सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन समाप्त हो जाती है।
- अपामार्ग: अपामार्ग की जड़ 5 ग्राम से 10 ग्राम या 15 ग्राम से लेकर 50 ग्राम तक काढ़ा दिन में दो बार पीने से मूत्राशय की सूजन समाप्त होती है।
- तालमखाना: तालमखाना की जड़ का 40 ग्राम काढ़ा या 2 से 4 ग्राम बीज सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मूत्राशय की सूजन समाप्त हो जाती है।
- पाताल गरूड़ी: पाताल गरूड़ की 3 से 6 ग्राम जड़ को सुबह और शाम देने से मूत्राशय की सूजन समाप्त होती है।
- खलिहान की छाल: 20 ग्राम से 40 ग्राम काढ़ा, बरन की छाल, अपामार्ग, पुनर्नवा, यवक्षार, गोखरू, मुलेठी को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से मवाद दर्द, मधुमेह, मूत्रकृच्छ (पेशाब) का इलाज होता है। जलन या उससे पीड़ित) रोगों में फायदेमंद है।
- खीरा: आधा से 10 ग्राम खीरे के बीजों को पीसकर सिरप की तरह रोजाना 2 और 3 बार पीने से मूत्राशय का दर्द ठीक हो जाता है।
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