प्लास्टिक प्रदूषण के कारण, प्रभाव और समाधान

वर्तमान में प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution) एक गंभीर वैश्विक समस्या बन गया है। दुनिया भर में अरबों प्लास्टिक के बैग हर साल फेंके जाते हैं। ये प्लास्टिक बैग (Plastic Bag) नालियों के प्रवाह को रोकते हैं और आगे बढ़ते हुए वे नदियों और महासागरों तक पहुंचते हैं। चूंकि प्लास्टिक स्वाभाविक रूप से विघटित नहीं होता है इसलिए यह प्रतिकूल तरीके से नदियों, महासागरों आदि के जीवन और पर्यावरण को प्रभावित करता है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लाखों पशु और पक्षी वैश्विक स्तर पर मारे जाते हैं जो पर्यावरण (Environment) संतुलन के मामले में एक अत्यंत चिंताजनक पहलू है।

 

यह गहरी चिंता का विषय है कि फिलहाल 1500 मिलियन टन का प्लास्टिक पूरे ग्रह पर एकत्र हो गया है जो लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। आज प्रति व्यक्ति के प्लास्टिक का उपयोग 18 किलोग्राम है जबकि इसकी रीसाइक्लिंग (Recycling) केवल 15.2 प्रतिशत है। इसके अलावा प्लास्टिक रीसाइक्लिंग इतना सुरक्षित नहीं माना जाता है क्योंकि प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग के माध्यम से अधिक प्रदूषण फैलता है।

 

आज हर जगह प्लास्टिक दिखता है जो पर्यावरण को दूषित कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग 10 से 15 हजार यूनिट पॉलीथीन (Polyethylene) का उत्पादन हो रहा है। 1990 के आंकड़ों के मुताबिक देश में इसकी खपत बीस हजार टन थी जो अब तीन से चार लाख टन तक पहुंच गई है – यह भविष्य के लिए एक अशुभ संकेत है। चूंकि पॉलीइथिलीन परिसंचरण में आया तो सभी पुराने पदार्थ अप्रचलित हो गए क्योंकि कपड़ा, जूट और पेपर को पॉलिथीन द्वारा बदल दिया गया था। पॉलीथीन निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने के बाद फिर से इनका उपयोग नहीं किया जा सकता इसलिए उन्हें फेंक दिया जाना चाहिए।

 

क्यों हानिकारक हैं प्लास्टिक वायु प्रदूषण में

 

प्लास्टिक अपशिष्ट कई जहरीली गैसों का उत्पादन करता है। नतीजतन गंभीर वायु प्रदूषण (Air Pollution) का उत्पादन होता है जो कैंसर को बढ़ावा देता है, शारीरिक विकास को रोकता है और भयंकर बीमारी का कारण बनता है। प्लास्टिक के उत्पादन के दौरान एथिलीन ऑक्साइड, बेंजीन और जाईलीन जैसी खतरनाक गैसें उत्पन्न होती हैं। डाईऑक्सीन (Dioxin) भी इसे जलाने पर उभरता है जो बहुत ही जहरीला है और कैंसर (Cancer) पैदा करने वाला तत्व है।

 

गड्ढों में प्लास्टिक के कारण पर्यावरण खराब हो जाता है, मिट्टी और भूजल विषाक्त हो जाते हैं और धीरे-धीरे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ना शुरू हो जाता है। प्लास्टिक उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य (Health) की भी एक सीमा होती है जो विशेष रूप से उनके फेफड़े (Lungs), किडनी और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।

 

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण

 

यद्यपि प्लास्टिक निर्मित सामान गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की जिंदगी की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायक होते हैं पर साथ ही वे इसके लगातार उपयोग से उत्पन्न खतरे से अनजान हैं। प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु बन गई है जो पूजा, रसोईघर, बाथरूम, बैठक कमरे और पढ़ने के कमरे में इस्तेमाल होने लगा है। इतना ही नहीं अगर हमें बाजार से राशन, फलों, सब्जियां (Vegetables), कपड़े, जूते, दूध, दही, तेल, घी और फलों का रस आदि जैसे किसी भी वस्तु को लेकर आना पड़े तो पॉलीथीन का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। आज की दुनिया में बहुत सारे फास्ट फूड (Fast Food) है जिन्हें पॉलिथीन में पैक किया जाता है। आदमी इतना प्लास्टिक का आदी बन गया है कि वह जूट या कपड़े से बने बैग का उपयोग करना भूल गया है। दुकानदार भी हर प्रकार के पॉलिथीन बैग रखते हैं क्योंकि ग्राहक ने पॉली को रखना अनिवार्य बना दिया है। ऐसा चार से पांच दशक पहले नहीं था जब बैग कपड़े, जूट या कागज से बने बैग इस्तेमाल में लाये जाते थे जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद थे।

 

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव

 

प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है। वैज्ञानिक वर्षों से इसके प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चेतावनी देते रहे हैं। यह समस्या इसलिए भी विशेष रूप से गंभीर है क्योंकि विभिन्न व्यापक-प्रचारित स्वच्छता अभियान के बावजूद प्लास्टिक कचरे से कुछ भी अछूता नहीं है। इसने गांवों, कस्बों, शहरों, महानगरों यहां तक ​​कि देश की राजधानी को भी नहीं छोड़ा बावजूद इस तथ्य के यह कि पॉलीथीन का उपयोग निषिद्ध है। इस संबंध में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बार-बार अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उसने राज्य सरकारों को पूरे देश में प्लास्टिक (plastic) के अंधाधुंध इस्तेमाल पर फटकार लगाई है।

 

प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान

 

यह समाज का कर्तव्य है कि वे इस कहावत को सही साबित करें कि प्रकृति भगवान का अनोखा उपहार है। इसलिए लोगों को पॉलीथीन की वजह से प्रदूषण (Pollution) को रोकने के लिए आगे आना होगा और हर किसी को अपने स्तर पर इसका निपटान करने में शामिल होना होगा। चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग, शिक्षित हो या अशिक्षित, समृद्ध हो या गरीब, शहरी हो या ग्रामीण सभी को प्लास्टिक के खतरे से छुटकारा पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। परिवार के पुराने सदस्यों को पॉलीथीन का उपयोग नहीं करना चाहिए और अन्य सभी सदस्यों को इसका प्रयोग करने से भी रोकना चाहिए। इसके अलावा यदि आप इसके बारे में लोगों को उचित जानकारी प्रदान करते हैं तो यह पॉलीथीन के इस्तेमाल को रोकने का सबसे बड़ा कदम होगा। जब आप बाजार में खरीदारी करते हैं तो अपने साथ कपड़े से बना एक जूट या बैग ले लीजिए और अगर दुकानदार पाली बैग देता है तो उसे पेश करने से प्रबल होता है। अगर उपभोक्ताओं ने इसे बंद कर दिया है तो इसकी आवश्यकता दिन-प्रति दिन कम हो जाएगी और एक समय आएगा जब पर्यावरण से पॉलीथीन का सफाया हो जाएगा। सरकारी मशीनरी को भी पॉलीथीन (Polyethylene) के निर्माण में लगे इकाइयों को बंद करना होगा।


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