सिगरेट एक ऐसी लत है, जिससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। आज के समय में तो महिलाएं भी सिगरेट पीने में पुरुषों से पीछे नहीं है। लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी के जरिये ये बताया गया है की, ई-सिगरेट , सिगरेट की लत से छुटकारा दिलाने में बहुत अच्छा विकल्प है।
शोध में दावा किया गया है कि 900 लोगों पर किए इस प्रयोग में इस बात का पता चला है कि निकोटिन की मदद से सिगरेट पीने की लत जल्दी छूट सकती है। अगर आप सिगरेट की लत छुड़ाने में लगभग 1 साल तक निकोटिन या ई-सिगरेट का सेवन करते रहे तो आपकी सिगरेट पीने की लत बिल्कुल छूट जाएगी।
अगर आप धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं तो निकोटिन या इलेक्ट्रोनिक सिगरेट, जिसे आम तौर पर ई-सिगरेट के रूप में जाना जाता है यह सिगरेट की लत छोड़ने में आपकी मदद कर सकती है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, ई-सिगरेट निकोटिन प्रतिस्थापन उपचार की तुलना में धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करने में लगभग दोगुना प्रभावी है।
इस शोध में 900 स्मोकर शमिल हुए थे, जिन्हें निकोटीन छोड़ने संबंधी अतिरिक्त थेरेपी भी मुहैया कराई गई। क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में प्रोफेसर व मुख्य शोधकर्ता पीटर हाजेक ने कहा, “धूम्रपान छोड़ने के लिए आधुनिक ई-सिगरेट आपकी मदद कर सकती है।
मुख्य शोधकर्ता पीटर हाजेक ने कहा, “धूम्रपान करने वाले लोगों ने कहा कि उन्होंने ई-सिगरेट की मदद से बहुत ही आसानी से धूम्रपान करना छोड़ दिया। वहीं स्वास्थ्य पेशेवर नियंत्रित, इसके उपयोग की सिफारिश को लेकर अभी भी असंतुष्ट हैं। अब इसमें बदलाव भी आ सकता है।” यह नया अध्ययन 886 धूम्रपान करने वाले लोगों पर किया गया, जो ब्रिटेन नेशनल हेल्थ सर्विस स्टॉप स्मोकिंग सेवाओं में शरीक हुए थे।
ई-सिगरेट क्या है ?
- यह एक इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (एंडस) बैटरी संचालित उपकरण होते हैं , जो इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग करके शरीर में निकोटिन पहुँचता हैं.
- इसे बाहर से सिगरेट के आकर का ही बनाया जाता है. इसके अंत में एक एलईडी बल्ब लगाया जाता है, जिसकी ज़रूरत नहीं होती है, पर जब कश लगाने पर जब ये जलता है तो लगता है कि सिगरेट का तंबाकू जल रहा हो .
- इसका आविष्कार चीनी फार्मासिस्ट हॉन लिक ने किया था. 2003 में डिवाइस को पेटेंट करवा लिए था और 2004 में इसे बाजार में पेश किया था.
- इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में निकोटीन लिक्विड नहीं जलने से धुआं नहीं बनता. वो गर्म होकर भाप बनता है. इसलिए इसे पीने से मुँह के अंदर धुआं नहीं भाप जाता है.
तीन मुख्य भाग होते हैं , ई-सिगरेट में –
- रिचार्जेबल लिथियम बैटरी,
- निकोटीन कार्टेज़,
- वाष्पीकरण चैम्बर (जिसमें एक छोटा सा हीटर होता है, जो बैटरी से एनर्जी पाकर जलता है और निकोटिन को भाप बनाता है. धुआं नहीं भाप).
सिगरेट और ई-सिगरेट में सबसे मुख्य अंतर क्या है
- इनमें और सामान्य सिगरेट में सबसे मुख्य अंतर ये है कि ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होता. इससे आपको निकोटिन से होने वाले नुकसान होंगे.
- ई-सिगरेट को अक्सर धूम्रपान छोड़ने या तम्बाकू के स्वस्थ विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है. इसमें सिगरेट में पाए जाने वाले जहरीले बाई-प्रोडक्ट्स तो नहीं होते लेकिन इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि ई-सिगरेट धूम्रपान छुड़ावाने में लाभदायक है.
ई-सिगरेट्स के नुकसान
- ऐसा बहुत से अलग-अलग सर्वे से पता चला है कि सिगरेट से ई-सिगरेट में स्विच करने वाले बहुत कम लोग हैं , पर ई-सिगरेट से धूम्रपान का सफ़र शुरू करने वाले लोग बहुत अधिक और तो , ई-सिगरेट के हज़ारों फ्लेवर मार्केट में उपलब्ध हैं, जो सिगरेट छुड़ाने के लिए नहीं उसे शुरू करने के लिए प्रेरित करते हैं.
- एक स्टडी के जरिये हमें ये पता चला है कि ई-सिगरेट में केवल निकोटिन ही नहीं होता . इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट भी होते हैं, जैसे फॉर्मेडिहाइड , जो की हमारे शरीर में किडनी की समस्या , सास लेने में परेशानी , आदि जैसी बीमारियां होने लगती है.
यह अध्ययन निकोटिन प्रतिस्थापन उपचार की रेंज की तुलना में नई रीफिलेबल ई-सिगरेट की दीर्घकालिक प्रभावकारिता के परीक्षण के लिए किया गया था।
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