जोड़ों में दर्द का कारण बन सकती है ऑस्टियोआर्थराइटिस – क्या है इसके लक्षण और कारण

ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या होने पर लोगो को ज्यादातर जोड़ो में दर्द होता है और इस रोग में हड्डियों पर जो मौजूद टिशूज होते है, उनमें लचीलापन कम हो जाता है। इस रोग में हड्डियों के एक या एक से ज्यादा जोड़ों के कार्टिलेज टूट जाते हैं या घिसते रहते हैं।

 

यह बीमारी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में ज्यादा होती हैं। लेकिन आजकल यह बीमारी युवाओं और बच्चों में भी बहुत देखी जा रही है।

 

 

क्या है ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण

 

 

  • हमेशा दर्द की शिकायत होना,

 

  • घुटने को हिलाने-डुलाने में दिक्कत होना,

 

  • शरीर में अकड़न महसूस होना,

 

  • जोड़ों में दर्द की समस्या।

 

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस के 5 स्टेज होते हैं

 

 

स्टेज 0

 

इस स्टेज में घुटने पूरी तरह “सामान्य” होते हैं।

 

स्टेज 1

 

आमतौर पर स्टेज 1 ऑस्टियोआर्थराइटिस में दर्द नहीं होता है।

 

स्टेज 2

 

  • इस स्टेज में आमतौर पर हड्डियों में उभार देखा जाता है, मगर कार्टिलेज इस समय तक स्वस्थ होते हैं।

 

  • इस स्टेज में सिनोवियल फ्लूइड (Sinovial fluid) होता है, जो आमतौर पर जोड़ों में पाया जाता है, जिस वजह से चलने-फिरने, उठने-बैठने और घुटनों को मोड़ने में परेशानी नहीं होती है। लेकिन इस स्टेज में मरीजों को जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है या कई बार घंटों एक जगह बैठने के कारण और लेटने के कारण दर्द की शिकायत हो जाती है।

 

स्टेज 3

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों को चलने-फिरने या झुकने के दौरान अक्सर दर्द की शिकायत रहने लगती है।

 

स्टेज 4 

 

  • इस स्टेज में ऑस्टियोआर्थराइटिस “गंभीर” रूप ले लेता है। इस स्टेज में मरीजों को तेज दर्द का सामना करना पड़ता है।

 

  • इस स्टेज में मरीज के लिए चलना-फिरना बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अंगों को इधर-उधर हिलाने-डुलाने से ही तेज दर्द महसूस होता है।

 

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस होने के कारण

 

 

  • अत्यधिक वजन भी बन सकता है, ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण,

 

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बढ़ती उम्र भी हो सकती है,

 

  • अनुवांशिक कारण,

 

  • जोड़ों में चोट लगना,

 

  • पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिला को ज्यादा प्रभावित करती है।

 

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचने के उपाय

 

 

एक्सरसाइज करें

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करें। रोज एक्सरसाइज करने से क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियाँ  मजबूत रहती है।

 

थेरेपी कराएं

 

फिजियोथेरेपी के द्वारा ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को दूर किया जा सकता है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है।

 

मसाज करवायें

 

मसाज ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है।

 

वजन को कम करे

 

अधिक वजन होने से जोड़ों में तनाव बढ़ जाता है, जिस कारण से ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की संभावना भी बढ़ जाती हैं। अगर आपका वजन ज्यादा है, तो वजन कम करके इस स्थिति को कम किया जा सकता है।

 

जीवन शैली में बदलाव लाकर

 

अपने जीवन शैली में बदलाव लाकर भी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है, जैसे की स्वस्थ वजन बनाए रखना और नियमित रूप से व्यायाम करना।

 

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस रोगी को इन आहारों से करना चाहिए परहेज

 

 

कुछ विशेष आहारों के सेवन से परहेज करना चाहिए, जैसे की –

 

नमक का सेवन

 

जरूरत से ज्यादा सोडियम के सेवन से शरीर में सूजन की समस्या हो सकती है, जिस कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या हो सकती है।

 

ज्यादा चीनी का सेवन

 

चीनी वाले पदार्थों का ज्यादा सेवन भी इस रोग को बढ़ावा दे सकता है, इसलिए केक, चॉकलेट, आइसक्रीम, कुकीज, कोल्ड ड्रिंक्स आदि के सेवन से बचें।

 

डेयरी प्रोडक्ट्स

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस होने पर डेयरी प्रोडक्ट्स के सेवन से कोशिकाओं में सूजन होने की संभावना रहती है।

 

सफेद आटा

 

रिफाइन्ड, आटे से बने प्रोडक्ट्स, जैसे – व्हाइट ब्रेड, चपातियां और मैदे से बने प्रोडक्ट्स जैसे पास्ता, बिस्किट, नूडल्स आदि भी ऑस्टियोआर्थराइटिस में नुकसानदायक हैं।

 

तली हुई चीजें

 

तेल से बनी चीजों का अधिक सेवन करने से ऑस्टियोआर्थराइटिस का दर्द बढ़ जाता है। जैसे की – फ्रेंच फ्राइस, समोसे, पकौड़े, डोनट्स आदि में सैचुरेटेड फैट बहुत ज्यादा होता है। इसलिए इन चीजों के सेवन से कोशिकाओं में सूजन आ सकती है।

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई इलाज नहीं है, पर इसकी स्थिति में समय-समय पर सुधार किया जा सकता है। अगर किसी भी तरह का कोई दर्द महसूस हो तो उसे नजरअंदाज न करे, तुरंत ही डॉक्टर से जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह ले।

 

 

अगर आपको जोड़ों में दर्द, चलने-फिरने, उठने-बैठने और घुटनों को मोड़ने में परेशानी हो रही हो या हड्डियों में दर्द से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या हो रही हो, तो आज ही अपने निकटतम स्पाइन सर्जन से अपॉइंटमेंट बुक करें और स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी तरह की जानकारी के लिए सलाह ले।

 


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