अधिक खाने का विकार (Binge eating disorder) एक प्रकार का फीडिंग और ईटिंग डिसऑर्डर है। आपको बता दें की इससे दुनिया भर में अभी तक लगभग 2 प्रतिशत लोग ही प्रभावित है जब आप बहुत अधिक खाते है तो ये आपके स्वास्थ्य के लिए और भी खतरानक हो सकता है।
अधिक खाने का विकार यह उसके मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित होता है जिसके बाद इसका असर उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसकी वजह से आमतौर पर उन्हें एक गहरी समस्या या अन्य मनोवैज्ञानिक स्थिति से निपटना पड़ता है, जैसे कि चिंता या अवसाद।
जब कोई इंसान एक टाइम मैं बहुत ज्यादा खाना खाता हैं तो उस स्थिति को ईटिंग डिसऑर्डर और बीइंग ईटिंग डिसऑर्डर भी कहा जाता हैं। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति अपने खाने पर नियंत्रण नहीं रख पाते। हमारा शरीर एक इंजन की तरह काम करता है जैसे एक इंजन में उसकी जरुरत के हिसाब से आयल भरते हैं उसी प्रकार आप अपने भूख के अनुसार पेट भरते हैं।
अगर आप ज्यादा आयल भरेंगे तो वो बाहर निकल जायगा। ठीक उसी प्रकार इंसान के साथ भी होता है जब हमारे द्वारा खाया हुआ ज्यादा खाना शरीर मैं ग्लाइकोजन, फैटी सेल और फैटी टिश्यू के रूप में इकठा हो जाता हैं।
अधिक खाने का विकार क्या है?
यह ऐसा विकार है जिसमें एक व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में भोजन करता है। इस विकार में, लोग खुद पर खाने को लेकर नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं फिर चाहे वो पतले हो या मोटे इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अधिक खाने का विकार होने पर लोग एक समय में बहुत अधिक भोजन खाते हैं। यह एक तरीके की गंभीर समस्या है। दरअसल इसे कई लोग बीइंग ईटिंग डिसऑर्डर के रूप में भी जानते हैं। कुछ लोग ऐसा कभी-कभी करते हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे है जिन्हें ऐसा करना रोजाना अच्छा लगता है। वहीं कुछ लोग ऐसे है जो छुप कर खाना खाते है।
अधिक खाने का विकार के लक्षण
- बार-बार भूख लगना,
- थोड़ी-थोड़ी देर में खाते रहना,
- भूख न होने पर भी खाना खाते रहना,
- बहुत तेजी से खाना,
- हमेशा पेट से ऊपर खाना,
- पेट भरने के लिए खाने के साथ पानी पीना,
अधिक खाने के विकार के कारण
- उम्र के साथ भी इंसान की भूख बढ़ती है तो उम्र को भी आप इसका एक कारण मान सकते हैं।
- अगर आपके माता-पिता या भाई-बहनों में से किसी को खाने की ऐसी बीमारी है, तब आप भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। ओवर ईटिंग डिसऑर्डर कुछ लोगों को अपने परिवार के इतिहास की वजह से भी इस बीमारी का शिकार होना पड़ता है।
- अधिकांश लोग बहुत अधिक खाने के विकारों से पीड़ित तब होते है, जब बचपन से उनके माता पिता उनमें ये आदत डालते हैं।
- डाइटिंग करने से भी उस व्यक्ति को ऐसी बीमारी हो सकती है, जो लोग पतले होने के लिए लम्बे समय तक डाइटिंग करते हैं। उनके साथ ऐसा हो सकता है।
- जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा तनाव में रहता है तब उसके साथ भी ऐसा होता है। उन्हें अपने दिमाग को चलाने के लिए बहुत अधिक खाना खाने की जरुरत होती है।
- ये जरुरी नहीं है की आप मोटे हो या पतले, अधिक खाने के विकार एक पतले व्यक्ति में भी हो सकते हैं। आपने ऐसे बहुत से लोगों को देखा होगा जो पतले तो है लेकिन बहुत अधिक खाना खाते हैं।
- बहुत जायदा शारीरिक श्रम या जिम करने से भी ऐसा हो सकता है। जो लोग जिम जाते हैं उनके साथ ऐसा हो सकता है।
अधिक खाने के विकार से बचाव
- बच्चों से लेकर बड़ो तक को अपने खाने की आदतों पर नियंत्रण रखना आना चाहिए अगर बच्चों में ज्यादा खाना खाने की आदत है तो उसे ऐसा करने से रोकें।
- अपनी दिनचर्या में बदलाव करें बाहर का खाने से बचें, क्योंकि आज कल फ़ास्ट फ़ूड के सेवन से इस तरह की बीमारी हो सकती है।
- अपना भोजन समय अनुसार ही करें और हमेशा भूख लगने पर ही खाना खाएं, वरना आप इस बीमारी के शिकार हो सकते है।
- तनाव लेने से बचे क्योंकि तनाव आपकी मानसिक स्थिति को ख़राब कर सकता है। इसलिए अपने भोजन में पौष्टिक भोजन का ही सेवन करें।
- ज्यादा समय तक भूखे ना रहे, क्योंकि इसकी वजह से भी आपके रुटीन में बदलाव हो सकता है इसलिए ऐसा ना करें।
आज के समय में बहुत से लोग अपनी खान पान की आदतों को लेकर कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जिसकी वजह से वह अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, अपना आहार संतुलित रखें और यही कोशिश करें की थोड़ा समय व्यायाम को भी दें। यदि आप ऐसे किसी विकार से परेशान है तो आप हमारे डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।