किडनी, मूत्राशय और प्रोस्टेट ग्रंथि सहित खराब मूत्र प्रणाली के उपचार के लिए मेदांता का एक अलग किडनी और यूरोलॉजी संस्थान है। मेदांता, उत्तर भारत में प्रमुख तृतीयक देखभाल केंद्र होने के नाते, नेफ्रोलॉजिकल और यूरोलॉजिकल विकारों के इलाज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करता हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर दा विंची रोबोटिक सर्जरी जैसी न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। यदि आप मेदांता हॉस्पिटल में इलाज कारना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।
मेदांता को क्यों चुनें?
मेदांता इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी एंड यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में अनुभवी डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है। अस्पताल परिसर में 24 * 7 ब्लड बैंक, पैथोलॉजी सुविधाएं और नर्सिंग देखभाल प्रदान की जाती हैं। मेदांता हॉस्पिटल में डायलिसिस और ट्रांसप्लांट सेवाओं के लिए चौबीसों घंटे देखभाल देने के लिए एक प्रसिद्ध जगह है।
मेदांता हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट का कितना खर्च आता है?
यूरोलॉजिकल देखभाल नवीनतम तकनीक का उपयोग करके प्रदान की जाती है, जिसमें पथरी की बीमारी, प्रोस्टेट, प्रोस्टेट के कैंसर, मूत्राशय, और किडनी, जन्मजात बीमारियों, संक्रमण, पुरुष बांझपन, स्तंभन दोष (erectile dysfunction), मूत्र असंयम (urinary incontinence), और किडनी फेलियर आदि रोगों के लिए रोबोटिक सर्जरी से भी इलाज किया जाता है। यदि आप किन्ने ट्रांसप्लांट का खर्च जानना चाहते हैं तो इसके लिए आपको पहले हमारे डॉक्टर से कंसल्ट करना होगा उसके बाद ही हम आपको इसके पूरे खर्च बताएंगे। डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
किडनी ट्रांसप्लांट क्यों किया जाता है?
स्वस्थ रहने के लिए आपके शरीर को ताजा और साफ खून की जरूरत होती है, लेकिन किडनी फेल होने से शरीर में विषाक्त पदार्थों और तरल पदार्थ का निर्माण हो सकता है, जिससे शरीर के अन्य हिस्सों में समस्या हो सकती है। किडनी ट्रांसप्लांट के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- किडनी फेलियर के कारण गंभीर और लगातार कमजोरी, क्योंकि इस स्थिति में शरीर कम लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है
- फ्लूइड रिटेंशन की वजह से सांस लेने में की तकलीफ
- ऑक्सीजन की कमी के कारण बेहोशी आना
- टखनों, चेहरे, आंखों के नीचे, पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन
- सांसों की दुर्गंध, भूख न लगना और भोजन के स्वाद में कमी
- पूरे शरीर में बहुत खुजली होना
- पेशाब करने में कठिनाई या पेशाब न होना: अगर किडनी फेल होने के कारण पेशाब नहीं होता है, तो पूरी मूत्र प्रणाली बदल जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक असंयम और बार-बार पेशाब आता है
- उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप)
- मधुमेह (मधुमेह)
- स्तवकवृक्कशोथ (glomerulonephritis)
- एक प्रकार का वृक्ष (a type of tree)
- किडनी का ट्यूमर
किडनी ट्रांसप्लांट से पहले टेस्ट
एक बार जब डॉक्टर और मरीज यह तय कर लेते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है, तो इतनी बड़ी सर्जरी करने के लिए काफी तैयारी करनी पड़ती है। यह वह समय है जब रोगी को मृत दाता या जीवित दाता जैसे किसी मित्र या परिवार के सदस्य से किडनी का मूल्यांकन करने के लिए इंतजार करना पड़ता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह सर्जरी के बाद पूरी तरह से फिट है और दवाओं के प्रभाव को सहन करने में सक्षम है, रोगी को निम्नलिखित चिकित्सा टेस्ट से गुजरना पड़ता है:
ब्लड टेस्ट:
ब्लड टेस्ट के साथ डॉक्टर रीनल प्रोफाइल भी करते हैं, जिसमें BUN, क्रिएटिनिन और ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) और यूरिन टेस्ट शामिल होते हैं।
डायग्नोस्टिक टेस्ट (डायग्नोस्टिक टेस्ट):
ये टेस्ट समग्र स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए किए जाते हैं। इन टेस्ट में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, किडनी बायोप्सी आदि शामिल हो सकते हैं। महिलाओं में मैमोग्राम, पैप टेस्ट और स्त्री रोग संबंधी मूल्यांकन हो सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी से पहले आप डायलिसिस करवा सकते हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है?
किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया इस तरह की जाती है:
- शरीर के जिस हिस्से में सर्जरी की जाती है, उसे एंटीसेप्टिक घोल से साफ किया जाता है। इससे पहले इस हिस्से के बाल मुंडवाए जाते हैं
पेट के निचले हिस्से में एक लंबा कट लगाया जाता है, जहां ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। ट्रांसप्लांट से पहले डोनर किडनी की जांच की जाती है।
- इस ट्रांसप्लांट में मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है ताकि पूरी प्रक्रिया के दौरान उसे कोई दर्द और बेहोशी महसूस न हो। यह प्रक्रिया आमतौर पर 2 से 4 घंटे तक चलती है।
- इस प्रक्रिया में नई किडनी को उस स्थान पर नहीं लगाया जाता है जहां पहले किडनी मौजूद थी। इसे पेट के निचले हिस्से में श्रोणि में रखा जाता है।
- बायीं ओर की किडनी को दायीं ओर और दाता की दायीं ओर की किडनी को बायीं ओर ट्रांसप्लांट किया जाता है। इससे मूत्राशय को मूत्रमार्ग से जुड़ने में आसानी होती है।
- बाहरी इलियाक धमनी और नस किडनी की धमनी और दाता किडनी की नस से जुड़ी होती हैं।
- अगला, रक्त प्रवाह की जाँच यह देखने के लिए की जाएगी कि क्या सिवनी लाइन पर रक्तस्राव हो रहा है।
- डोनर किडनी से मूत्रवाहिनी रोगी के अपने मूत्राशय से जुड़ी होती है।
- चीरा टांके या सर्जिकल स्टेपल के साथ बंद कर दिया जाएगा।
- जिस स्थान पर कांटा बना है उस स्थान पर एक नली लगाई जा सकती है ताकि गंदा खून बाहर निकल सके और सूजन कम हो सके।
अंत में किसी भी प्रकार के घाव से बचने के लिए पट्टी या ड्रेसिंग की जाएगी।
यदि आप माइट्रल वाल्व रिपेयर कराना चाहते हैं, या इस बीमारी से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकता हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724 और +91 9599004811) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।