ओस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) एक आर्थराइटिस (arthritis) का प्रकार है जिसमें एक या अधिक जोड़ों के कार्टिलेज (Cartilage) या तो टूट जाते हैं, अथवा धीरे-धीरे घिसते हैं। आम भाषा में इसे टूट-फूट (Wear and tear) वाला आर्थराइटिस कहा जाता है। कार्टिलेज वह चिकना ऊतक होता है जो किसी जोड़ में हड्डी (bone) के अंतिम सिरे को ढके हुए रहता है। जब कार्टिलेज की क्षति हो जाती है, हड्डियाँ आपस में रगड़ती हैं और इस रगड़ के कारण जोड़ को क्षति हो सकती है। ओस्टियोआर्थराइटिस अधिकतर घुटनों, कूल्हों, हाथों, और पैरों में होता है और यह महिलाओं में आम समस्या है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त (damage) कर देता है। कार्टिलेज मजबूत तथा लचीले ऊतक (Flexible tissue) होते हैं, जो जोड़ों में पाए जाते हैं, और दो हड्डियों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। एक स्वस्थ कार्टिलेज हड्डियों की गति के झटकों को अवशोषित कर लेता है। जोड़ों में हड्डी या कार्टिलेज जब टूटना शुरू हो जाते हैं, यह स्थिति समय धीरे-धीरे विकसित होती है और समय के साथ-साथ बद्तर हो जाती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस दर्द, अकड़न, सूजन जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, और इसके परिणाम स्वरूप विकलांगता भी हो सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण
- ओस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण एक रोगी से दूसरे रोगी में अलग अलग होते हैं। ज्यादातर पाए जाने वाले लक्षण हैं.
- दिनभर की गतिविधि के बाद शाम को जोड़ों में दर्द, जो बढ़ता ही जाता है।
- लम्बे उपयोग के या लम्बे आराम के बाद जोड़ के प्रभावित क्षेत्र में पीड़ा।
- लम्बी निष्क्रियता के बाद दर्द और जकड़न जो गतिशील होते ही तुरंत चली जाती है।
- मांसपेशियों की कमजोरी और जोड़ को घुमाने में कठिनाई।
- दर्द और जकड़न के कारण संतुलन, शारीरिक भंगिमा (Physiognomy)
और चलने की स्थिति में गिरावट आना।
- प्रभावित जोड़ में सूजन।
- कई बार काम करने का तरीका भी बदल सकता है, क्योंकि मांसपेशियां अधिक कमजोर हो जाती है और जोड़ों की संरचनाओं की स्थिरता में कमी आ जाती है।
- प्रभावित जोड़ों पर हुई सूजन को खुद नोटिस किया जा सकता है, सूजन (swelling) कठोर या नरम भी हो सकती है (जोड़ों में अतिरिक्त द्रव पदार्थ होने के कारण)। जोड़ों के आस पास की मांसपेशियां पतली व कमजोर दिखाई दे सकती हैं।
- कुछ लोगों में मौसम के अनुसार भी कुछ बदलाव होते हैं, जो स्थिति को बद्तर बना देते हैं, खासकर बारिश के दिनों में।
- अधिक गंभीर मामलों में दर्द में कोई बदलाव नहीं आता, यह नींद बाधा डालता है और अन्य रोजाना की गतिविधियां करने में भी परेशानी उत्पन्न कर देता है। उदाहरण के लिए अगर ऑस्टियोआर्थराइटिस नें कूल्हों (Hips) और घुटनों (Knees) के जोड़ों को प्रभावित किया है, तो सीढ़ीयां चढ़ने या कुर्सी पर बैठने के बाद खड़ा होने जैसी गतिविधियों में कठिनाई व दर्द अनुभव होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण
सामान्य जीवन के एक हिस्से के रूप में आपके जोड़ निरंतर होने वाले नुकसान में कम स्तर के संपर्क में आते हैं। ज्यादातर मामलों में आपका शरीर नुकसान को खुद ही ठीक कर लेता है और आपको किसी प्रकार का लक्षण अनुभव नहीं होता है।
लेकिन ऑस्टियोआर्थराइटिस में हड्डियों के सिरे पर बने सुरक्षात्मक कार्टिलेज टूट जाते हैं, जिस कारण से सूजन, दर्द अनुभव होता है, और जोड़ों को हिलाने-ढुलाने में भी तकलीफ होती है। इससे हड्डियां बढ़ने लग जाती हैं और प्रभावित जगह लाल होने लगती है और उसमें सूजन आने लग जाती है।
इसके वास्तविक कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन कुछ चीजें हैं, जो ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने के जोखिम को बढ़ाती हैं, जैसे:
उम्र
उम्र बढ़ने के साथ-साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने का जोखिम भी बढ़ता रहता है।
जोड़ों में चोट लगना
जोड़ों को सीमित सीमा से अधिक प्रयोग करना, जब चोट या ऑपरेशन के बाद उसे ठीक करने का पर्याप्त समय ना हो।
पारिवारिक समस्या
ऑस्टियोआर्थराइटिस परिवार में किसी के होने पर दूसरे व्यक्ति में भी इसके जोखिम बढ़ जाते हैं।
मोटापा
अधिक मोटापा होने के कारण घुटनों, टखनो व कूल्हे आदि के जोड़ों पर अत्याधिक वजन पड़ना।
अन्य परिस्थितियां
गाउट जैसी किसी स्थिति के कारण जोड़ गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे जोड़ों में दर्द हो सकता है। कोई भी गतिविधि जो आपके जोड़ों पर तनाव डालती है.
ऑस्टियोआर्थराइटिस की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
ऑस्टियोआर्थराइटिस की पूरी तरह से रोकथाम करना संभव नहीं है। हालांकि चोट आदि लगने से बचकर और संभावित रूप से स्वस्थ रहकर ऑस्टियोआर्थराइटिस के जोखिम को कम किय जा सकता है।
व्यायाम
जिन व्यायाम से जोड़ों में तनाव (Stress in joints) बढ़े या जिन व्यायामों में अत्याधिक वजन उठाना पड़े, उन व्यायामों को ना करें, दौड़ना या वेट लिफ्टिंग (Weightlifting) आदि। इनकी बजाए, तैरने या साइकिल चलाने जैसे व्यायाम करें। इसके अलावा आप वे व्यायाम भी कर सकते हैं जहां आपके जोड़ बेहतर समर्थित होते हैं और आपके जोड़ों पर तनाव अधिक नियंत्रित होता है।
मुद्रा (आसन)
एक अच्छा और सुरक्षित आसन मेंटेन करके रखने और काफी लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने से बचाव कर सकता है। अगर आप किसी कुर्सी पर बैठ के काम करते हैं, तो सुनिश्चित कर लें की आपकी कुर्सी ठीक उंचाई पर है, और साथ ही इधर-उधर घूम कर समय-समय पर ब्रेक लेते रहें।
वजन कम करना
मोटा होने या वजन बढ़ने से शरीर को जोड़ों में तनाव बढ़ जाता है, जिस कारण से ऑस्टियोआर्थराइटिस के जोखिम भी बढ़ जाते हैं। अगर आपका वजन ज्यादा है, तो वजन कम करके इस स्थिति के विकसित होने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
ओस्टियोआर्थराइटिस उपचार
ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई इलाज नहीं है, पर इसकी स्थिति में समय-समय पर सुधार किया जा सकता है, और इसके लक्षणों को कम करने के लिए भी कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के मुख्य उपचारों में निम्न उपलब्ध हैं:
जीवन शैली में बदलाव – जैसे स्वस्थ वजन बनाए रखना और नियमित रूप से व्यायाम करना।
दवाएं – लक्षणों और दर्द को कम करने के लिए।
सहायक थेरेपी – दैनिक गतिविधियों को आसान बनाने में मदद करने के लिए।
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