वायरल बुखार बहुत संक्रामक रोग है, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय और कहीं भी ग्रस्त हो सकता है। हालाँकि बच्चे और बुजुर्ग इसकी चपेट में अधिक आते हैं। इस बुखार वैसे तो हर मौसम में होता है, लेकिन बरसात में अधिकतर होता है, इसलिए इस मौसम में इसके प्रति विशेष सावधान रहने की जरूरत होती है। आम बोलचाल की भाषा में फ्लू, इंफ्लुएंजा, कॉमन कोल्ड या साधारण सर्दी के बुखार अथवा हड्डी तोड़ बुखार के नाम से पुकारे जाने वाले इस वायरल बुखार के वायरस का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक साँस के जरिए होता है। इस बुखार का मरीज जब खाँसता है तो इसके वायरस पास के व्यक्ति के शरीर में साँस के जरिए और मुँह के रास्ते प्रवेश कर जाते हैं और एक-दो दिन में वह व्यक्ति भी इस बुखार से पीडि़त हो जाता है।
वायरल बुखार के लक्षण (Symptoms of Viral Fever In Hindi)
- वायरल बुखार कई प्रकार के वायरसों से होने वाला बुखार है, जिनमें लगभग एक ही तरह के लक्षण पाए जाते हैं। ये वायरस नाक, गले, और मुख्य सांस नली पर धावा बोलते हैं, पैठ करते हैं, पलते-बढ़ते हैं और रोगी के खाँसने, छींकने और नाक छिनकने पर वातावरण में पहुँच जाते हैं, जहाँ से ये अन्य व्यक्तियों में फैल जाते हैं। किसी एक परिवार में यदि एक व्यक्ति को यह बुखार हो जाए, तो प्रायः सभी परिवारजनों को एक-एक कर बुखार हो जाता है।
- वायरल बुखार के लक्षण भी अन्य बुखार की तरह ही हैं। अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, सूखी तेज खाँसी, जुकाम, गले में खराश, नाक से पानी, छींक आदि इस बुखार के सामान्य लक्षण हैं।
- वायरल बुखार में कई बार कमर में भी दर्द होता है, जी मिचलाता है, भूख नहीं लगती और उल्टी होती है। इसमें शरीर का तापमान 101 से 103 डिग्री या और ज्यादा हो जाता है। बुखार धीरे-धीरे चढ़ता है और बीच में उतरता नहीं है।
- हाथों-पैरों, सिर और पीठ में दर्द होता है, कुछ करने को दिल नहीं चाहता, भूख नहीं लगती, जी मिचलाता है और ठंड देकर बुखार आता है। शरीर का तापमान बढ़कर 39° सेल्सियस (102 से 103° फारेनहाइट) तक चला जाता है। चेहरा और आँखों की पुतलियाँ लाल हो जाती हैं और नब्ज तेज हो जाती है। नाक, आँखों और गले में सूजन होने से नाक और आँखों से पानी निकलने लगता है और गले में खराश हो जाती है।
- बुखार की दवाइयाँ लेने पर ही बुखार कुछ समय के लिए उतरता है। कुछ वायरल बुखार तीन दिन में, कुछ पाँच दिन में और कुछ सात दिन में उतरते हैं। सात दिन से अधिक समय तक बहुत कम वायरल बुखार रहते हैं।
- प्रायः तीन से पाँच दिनों में ही लक्षणों में फर्क आने लगता है। बुखार उतर जाता है, नाक और गले को आराम आ जाता है। लेकिन फिर भी अगले एक-दो हफ्ते तक थकान और तनाव शरीर और मन को घेरे रहते हैं। एडिनोवायरस, कोक्ससेकी वायरस, इको वायरस, इनफ्लूएंजा वायरस, पेराइनफ्लूएंजा वायरस, आर. एस. वी. और राइनोवायरस कुछ ऐसे प्रमुख वायरस हैं जिनसे वायरल बुखार फैलता है। इनमें से हर वायरस का संक्रमणकाल अलग-अलग है : सबसे कम-एक से तीन दिन-इनफ्लूएंजा वायरस का है और अधिक से अधिक-सात से चौदह-दिन कोक्ससेकी वायरस का है।
वायरल बुखार के कारण (Causes of Viral Fever In Hindi)
1. यह एक व्यक्ति से दूसरें में फैलता है| जब संक्रमित व्यक्ति छींकता है, खास्ता है या बात करता है तो तरल पदार्थ के छोटे फुहार निकलते है| जो सांस द्वारा आप के शरीर में प्रवेश कर सकते है| यदि एक वायरस भी शरीर में प्रवेश कर लेता है तो वह 16 से 48 घंटे में पुरे शरीर को संक्रमित कर देगा|
2. वायरस द्वारा दूषित किसी भी पदार्थ या पैय का प्रयोग करना|
3. संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क मे आने से या तो रक्त द्वारा या यौन रूप से|
वायरल बुखार के घरेलू उपचार ( Viral Fever Home Remedies in Hindi )
- वायरल बुखार के इलाज में सबसे कामयाब औषधि तुलसी है | तुलसी के पत्ते बैक्टीरियलविरोधी, कीटाणुनाशक गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उचित है । इसका काढ़ा बनाने के लिए आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।
- वायरल बुखार के दौरान संतरे का जूस भी लाभकारी है |
- इसके अतिरिक्त बिना दूध वाली काली चाय में अदरक का रस मिलाएं और एक चम्म्च शहद का डालकर पियें |
- अदरक में एंटी आक्सिडेंट गुण बुखार को ठीक करते हैं. एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण औरएक चम्मच सौंठ यानी अदरक के पाउडर को एक कप पानी और हल्की सी चीनी डालकर गर्म कर लें. जब यह पानी उबलने के बाद आधा रह जाए तो इसे ठंडा करके पिएं. | इससे वायरल फीवर से आराम मिलता है स्रोत
वायरल बुखार से बचाव (Prevention of Viral Fever in Hindi)
वायरल बुखार से बचाव के लिए यह जरूरी है कि जब वायरल बुखार की महामारी फैली हो तो भीड़- भाड़ वाली जगहों जैसे स्कूल-कॉलेज, बस, ट्रेन आदि में मुँह और नाक पर साफ कपड़ा या रूमाल रख लें। नाक पर रखने वाले सर्जिकल पैड कीटाणु रहित होते हैं, इसलिए इन्हें लगाना अधिक लाभप्रद रहता है।
मौसम के अनुसार कपड़े पहनने चाहिए। सर्दी के मौसम में गरम कपड़े पहनने और मुँह तथा नाक को छोड़कर शरीर के बाकी हिस्से को ढककर रखें। इसके अलावा भोजन प्रोटीन एवं विटामिन युक्त ग्रहण करना चाहिए।
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