विटिलिगो (Vitiligo) एक प्रकार का त्वचा रोग (skin disease) है। दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी (Population) लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है। देश में इस बीमारी को समाज में कलंक के रूप में भी देखा जाता है। विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है।
25 जून को विश्व विटिलिगो दिवस ( World Vitiligo Day) मनाया जाता है।
क्या होता है विटिलिगो
विटिलिगो एक प्रकार का त्वचा विकार (skin disorder) है, जिसे सामान्यत: ल्यूकोडर्मा के नाम से जाना जाता है। इसमें आपके शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। इस बीमारी का क्रम बेहद परिवर्तनीय है। कुछ रोगियों में घाव स्थिर रहता है, बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि कुछ मामलों में यह रोग बहुत ही तेजी से बढ़ता है और कुछ ही महीनों में पूरे शरीर को ढक लेता है। वही कुछ मामलों में, त्वचा के रंग में खुद ब खुद पुनर्निर्माण भी देखा गया है।
जब आपके शरीर में मेलेनोसाइट्स (Melanocytes) मरने लगते हैं, तब इससे आपकी त्वचा पर कई सफेद धब्बे (White spots) बनने शुरू होते हैं। इस स्थिति को सफेद कुष्ठ रोग (leprosy) भी कहा जाता है। यह आमतौर पर शरीर के उन हिस्सों जो कि सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आते हैं, चेहरे, हाथों और कलाई के क्षेत्र इससे ज्यादा प्रभावित होते है।
कारण
विटिलिगो के होने का सटीक कारण को अभी तक पहचाना नहीं जा सका है, हालांकि यह आनुवांशिक (Genetic) एवं पर्यावरणीय(Environmental) कारकों के संयोजन का परिणाम प्रतीत होता है। कुछ लोगों ने सनबर्न या भावनात्मक तनाव जैसे कारकों को भी इसके लिए जिम्मेवार बताया है। आनुवंशिकता विटिलिगो का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है, क्योंकि कुछ परिवारों में विटिलिगो को बढ़ते हुये देखा गया है।
इलाज
विटिलिगो के इलाज के लिए, टोपिकल, विभिन्न सर्जरी, लेजर चिकित्सा एवं अन्य वैकल्पिक उपचार (Alternative treatment) उपलब्ध हैं।
मिथक
विटिलिगो के बारे में लोगों में एक भ्रम है कि यह छूने से फैलता है। जबकि ऐसा नहीं होता है। इसलिए विटिलिगों को पीडि़तों के साथ सामान्य व्यवहार कर उनके जीवन में उमंग भरना चाहिए।
सामाज में अछूत की नजर से देखे जाने के कारण अक्सर सफेद दाग के पीड़ितों में हीन भावना औऱ मानसिक अवसाद (Mental depression) घर कर लेता है। ऐसे में लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।
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