हार्ट ब्‍लॉकेज क्या है जानिए इसका इलाज कैसे होता है ?

पहले के समय में केवल मध्यम आयु वर्ग या बुजुर्ग लोगों को ही हृदय रोग की समस्या होती थी। लेकिन आज कल की बदलती जीवनशैली के कारण युवाओं और किशोरों में भी हृदय रोग जैसी समस्या देखने को मिलती है। इसके पीछे हमारी कोई एक आदत नहीं है। हम आरामदायक जीवन जीने के इतने आदी हो गए हैं कि हम अपने शरीर को बीमारियों का घर बनाने लगे हैं। हार्ट ब्लॉकेज भी आपकी ख़राब जीवनशैली का नतीजा है। इस अवस्था में हृदय रुक-रुक कर धड़कता है। आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। पहले जानिए हार्ट ब्लॉकेज क्या है ?

 

हार्ट ब्‍लॉकेज क्या है? (What is Heart Blockage in Hindi)

 

जब कफ आपके हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में जमा हो जाती है तो इससे होने वाले विकार को हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage) कहते हैं। आजकल की लाइफस्टाइल और खान-पान में लापरवाह की वजह से ज्यादातर लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कंजेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहा जाता है। इसके बाद में होने वाली इस समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। जैसा की हम सबको मालूम है कि हृदय पूरे शरीर में रक्त पहुंचाने का काम करता है। लेकिन जब आपके हृदय के ऊपरी भाग (अट्रिया) से ये इलेक्ट्रिकल सिग्नल हृदय के निचले भाग (वेंट्रिकल्स) तक ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाता है। तब यह समस्या उत्पन्न होती है जिसे हम हार्ट ब्लॉकेज के नाम से जाना जाता है।

 

हार्ट ब्लॉकेज क्यों होता है?

 

रोजाना हम ऐसे बहुत से काम करते हैं जिनसे हमारे हार्ट को नुकसान पहुँचता है। धीरे धीरे यही समस्या हार्ट ब्लॉकेज में बदल जाती है। आखिर क्यों होता है ऐसा :

 

 

  • कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट

 

  • ह्रदय से संबंधित रोग होना

 

 

  • किसी तरह के संक्रमण का होना

 

 

हार्ट ब्लॉकेज के प्रकार (Types of Heart Blockage in Hindi)

 

 

दरअसल हार्ट ब्लॉकेज मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं, जिन्हें हृदय के विभिन्न भागों के आधार पर परिभाषित किया जाता है। जो इस प्रकार हैं:

 

सिनोट्रियल नोड ब्लॉक: आपको बता दें कि सिनोट्रियल नोड हृदय का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है जो प्राकृतिक पेसमेकर के रूप में कार्य करता है। यह हृदय को संकेत देता है जिसके बाद हृदय धड़कता है। जब यह भाग किसी कारण से प्रभावित हो जाता है और हृदय को उचित संकेत नहीं भेज पाता है, तो इसे सिनोट्रियल नोड ब्लॉक कहा जाता है।

 

एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड ब्लॉक: एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड ब्लॉक की स्थिति में, हृदय में उत्पन्न होने वाले संकेत या तो धीमा हो जाते हैं या हृदय के ऊपरी हिस्से (एट्रिया) से निचले हिस्से (वेंट्रिकल्स) तक नहीं जाते हैं।

 

बंडल ब्रांचेज ब्लॉक: आपको बता दें की बंडल ब्रांचेज ब्लॉक दो प्रकार के होते हैं, जो हृदय के निचले दाएं और बाएं हिस्से से संबंधित होते हैं। जो प्रकार है :

 

राइट बंडल ब्लॉक: इस स्थिति में मायोकार्डियम (यानि आपकी हृदय की मांसपेशी) में उचित रक्त प्रवाह नहीं होता है यही वजह है की इसे राइट बंडल ब्लॉक कहा जाता है।

 

लेफ्ट बंडल ब्लॉक: यह स्थिति मायोकार्डियम (हृदय की मांसपेशी) को चोट या अन्य क्षति के कारण होती है। कभी कभी आपको इस स्थिति में अचानक आपको हृदय में दर्द हो सकता है। हमने आपको हार्ट ब्‍लॉकेज क्या है ये तो बता दिया लेकिन इसकी जांच कैसे होती है यह भी जानिए।

 

हार्ट ब्लॉकेज की जांच कैसे की जाती है? (Diagnosis of Heart Blockage in Hindi)

 

निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से हार्ट ब्लॉकेज का निदान कैसे करें? इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए एक इसे जरूर पढ़ें।

 

  • दरअसल सबसे पहले, डॉक्टर रोगी से उसके बीमारी के इतिहास और नियमित रूप से ली जाने वाली दवाओं के बारे में पूछ सकता है।

 

  • उसके बाद, डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षा करता है, डॉक्टरहार्ट ब्लॉकेज के लक्षण देख सकते हैं, जैसे कि टखनों और पैरों में सूजन।

 

  • वहीं, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर मरीज को ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) की भी सलाह दे सकता है।

 

  • इसके अलावा यदि, समस्या काफी गंभीर है तो डॉक्टर मरीज को 24 से 48 घंटे तक हार्ट मॉनिटर (हृदय गति मापने वाला उपकरण) पहनने की सलाह भी दे सकते हैं, ताकि हृदय की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा सके।

 

 

हार्ट ब्लॉकेज ट्रीटमेंट (Heart Blockage Treatment in Hindi)

 

 

यदि लेफ्ट बंडल ब्लॉक हुआ है तो उस व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ सकता है, इस के लिए डॉक्टर मरीज को रीपरफ्यूजन थेरेपी देते हैं। इसके अलावा डॉक्टर मरीज को कुछ दवाएं भी देता है।

एक अर्टिफिकल पेसमेकर, एक छोटा, बैटरी से चलने वाला उपकरण होता है। कुछ मरीजों के लिए डॉक्टर इसे इस्तेमाल करते हैं। प्रक्रिया के दौरान इसे मरीज के कॉलरबोन के पास रखा जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात पेसमेकर वाले व्यक्ति को चुंबकीय उपकरणों से दूर रहना चाहिए जैसे इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन से नहीं गुजरना चाहिए।

 

हार्ट ब्लॉकेज ट्रीटमेंट में आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव और कुछ चिकित्सा प्रक्रियाएं शामिल हैं। जो इस प्रकार है:

 

एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट (Angioplasty and stent placement)

 

आपका डॉक्टर आपकी धमनी के संकुचित हिस्से में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) डालता है। एक डिफ्लेटेड बैलून के साथ एक तार कैथेटर के माध्यम से संकुचित क्षेत्र में डाला जाता है। फिर इस गुब्बारा को फुलाया जाता है। दरअसल धमनी को खुला रखने के लिए अक्सर धमनी में एक स्टेंट छोड़ा जाता है। धमनियों को खुला रखने में मदद के लिए अधिकांश स्टेंट धीरे-धीरे दवा छोड़ते रहते हैं।

 

कोरोनरी धमनी की बाईपास सर्जरी (coronary artery bypass surgery)

 

एक सर्जन आपके शरीर के दूसरे हिस्से से एक ग्राफ्ट का उपयोग करके हार्ट ब्लॉकेज वाली धमनियों को बायपास करने के लिए एक ग्राफ्ट बनाता है। यह रक्त को अवरुद्ध या संकुचित कोरोनरी धमनी के चारों ओर बहने देता है। क्योंकि इसके लिए ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है, यह सर्जरी अक्सर उन लोगों के लिए होती है जिनके पास कई संकुचित कोरोनरी धमनियां (narrowed coronary arteries) होती हैं।

 

हमने आपको हार्ट ब्लॉकेज क्या है, इसका ट्रीटमेंट और सर्जरी से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। यदि आप हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage) सर्जरी करवाना चाहते हैं तो आप GoMedii को इसके लिए चुन सकते हैं। हम भारत में एक चिकित्सा पर्यटन कंपनी के तौर पर काम करते हैं। इसके साथ ही हम शीर्ष श्रेणी के अस्पतालों और डॉक्टरों से जुड़े हैं। अगर आप इलाज पाना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। हमसे संपर्क करने के लिए  हमारे इस व्हाट्सएप नम्बर (+919654030724)  या हमें connect@gomedii.com पर ईमेल कर सकते हैं।


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