जब हमारे शरीर में दिल तक खून को पहुँचने में रुकावट आती है, तब हृदय रोगियों के लिए हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ठंड के प्रति संवेदनशील होने के कारण बच्चे, बुजुर्ग और हृदय रोगियों में सर्दियों के मौसम में हाइपोथर्मिया का भी खतरा रहता है। सर्दियों में कोरोनरी हृदय रोग से पीड़ित लोग अक्सर एनजाइना (सीने में दर्द या बेचैनी) से पीड़ित रहते हैं।
असल में तापमान में गिरावट होने की वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों में शरीर के तापमान में कमी, विटामिन डी की कमी, और रक्त के गाढ़ेपन में वृद्धि होना हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा देती है । जबकि तेज हवा और बारिश शरीर के तापमान को और कम कर देते हैं। इस कारण रक्तचाप अचानक बढ़ जाता है, जिससे दिल के दौरे का जोखिम उत्पन्न हो जाता है।
क्या हैं कारण
ठंड के मौसम में धुआं और प्रदूषण वातावरण में जमीनी स्तर पर घिरे रहने से छाती में संक्रमण और सांस लेने की समस्याएं पैदा करते हैं.
सर्दियों में बीपी बढ़ा रहता है और रक्त की आपूर्ति की कमी के कारण रक्त वाहनियां सिकुड़ जाती हैं. चूंकि इस मौसम में पसीना नहीं होता, अतिरिक्त पानी फेफड़ों में जमा होने से हार्ट फेल्योर के मामले होते हैं.
सर्दियों में हम ज्यादा कैलोरीयुक्त आहार लेने लगते है. इस कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की संभावना अधिक होती है तथा ब्लड सर्कुलेशन अवरुद्ध होने लगता है.
कैसे रखे सर्दियों में दिल को सुरक्षित :
सर्दी का तापमान दिल के रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है। इस दौरान दिल के प्रति अधिक सावधान रहना चाहिए क्योंकि ठंडा तापमान हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देता है। साथ ही ठंड के मौसम में ज्यादातर समय बाहर व्यतीत करने वाले लोगों को अधिक सावधान रहना चाहिए। खासकर उन लोगों को जो हृदय रोग से पीड़ित है । ये बात जानना आपके लिए बहुत आवश्यक है की ठंड का मौसम आपके दिल को किस तरह प्रभावित करता है।
ठंड का मौसम आपके दिल को किस तरह प्रभावित करता है :
ठंडा तापमान, तेज हवाएं, बर्फ और बारिश शरीर की गर्मी को खत्म कर देता है । ठंडी हवाएं बहुत ही ज्यादा खतरनाक होती है क्योंकि यह शरीर के चारों ओर से गर्म हवा की परत को हटा देती है। जिससे, ठंड के मौसम में बाहरी गतिविधियां किसी भी व्यक्ति के दिल और आकस्मिक हाइपोथर्मिया पर दबाव डाल सकती है। इसके अलावा, सर्दियों में रक्तवाहिनियां सिकुड़ जाने का असर हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनी पर भी पड़ता है। इसलिए हृदय रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
हाइपोथर्मिया क्या है :
हाइपोथर्मिया एक ऐसी बिमारी है , जिसमे मनुष्य के शरीर का तापमान सामान्य तापमान से कम हो जाता है । ऐसा तब होता है, जब शरीर के तापमान को गर्म रखने के लिए आपका शरीर पर्याप्त ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर पाता।
हाइपोथर्मिया के लक्षण –
- मानसिक भ्रम,
- धीमी गति से प्रतिक्रिया,
- बुखार और आलसीपन हैं।
दिल का दौरा पड़ने के लक्षण –
आपको ये बता दे की हार्ट अटैक एक-दम से आता जरूर है, लेकिन इसके लक्षण महीने भर पहले से ही पहचाने जा सकते है। अगर आपको निम्न लक्षणों में से एक भी लक्षण महसूस हो तो उसे नज़र अंदाज़ न करे और डॉक्टरों की सलाह ले ।
बिना मेहनत किये थकान होना :
हार्ट अटैक आने के 20 – 25 दिन पहले से ही शरीर में थकान महसूस होने लगती है। बिना किसी मेहनत के काम किये थकान होने लगती है। इसका सीधा सा अर्थ यह है की हार्ट अटैक आपको दस्तक दे रहा है। दरअसल हृदय की धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद हो जाती है, या फिर सिकुड़ जाती है। जिससे हृदय (Heart) को अपने काम करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। जो की हमारे शरीर पर थकान के रूप में हावी होने लगता है । इस स्थिति में रात को आप कितनी भी गहरी नींद से क्यों न सोये हो सुबह जागने पर फ्रेशनेस महसूस नहीं होती। आपको लगातार आलस और थकान महसूस होती रहेगी ।
पैरों या शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन :
जब दिल को शरीर के सभी अंगो में रक्त पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है, तब शरीर में मौजूद शिराएं फूल जाती है । उनमे सूजन आने की आशंका बढ़ जाती है। खासतौर पर ये सूजन पैरों के पंजो में या फिर टखनों में दिखाई पड़ती है।
सांस लेने में परेशानी होना :
यदि आपको सांस की बिमारी नहीं है, पर फिर भी आपको सांस से जुड़ी समस्या हो रही है, तो तुरंत ही कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क कर अपनी समस्या का कारण पूछ ले, ताकि हार्ट अटैक जैसी समस्या से बच सके ।
- पसीना ज्यादा आना।
- छाती में जलन होना।
- हार्ट अटैक होने के कारण।
- शुगर ।
- हाई कोलेस्ट्रॉल ।
- हाई ब्लड-प्रेशर ।
- जेनेटिक प्रॉब्लम ।
दिल का दौरा पड़ते ही तुरंत करें ये उपाय :
अगर दिल का दौरा पड़े तो जोर-जोर से खासे , ताकि दिल पर दबाव पड़े और रक्त का प्रवाह काफी तेज़ हो । खांसने के बाद लम्बी सांस ले ।
अगर अचानक आये हार्ट अटैक से मरीज़ की चेतना चली जाये तो सीपीआर और नाक दबा कर मुँह से सांस देने जैसी प्रक्रिया करे । और उसे डॉक्टर के पास तुरंत ले जाएँ ।
दिल का दौड़े पड़ने पर मरीज़ को तुरंत लिटाएं और उसे एस्प्रीन की टेबलेट चूसने को दे । एस्प्रीन की गोली इसलिए दे क्योंकि ये शरीर में खून को जमने नहीं देता और दिल के दौड़े में मृत्यु दर को 15 प्रतिशत होने से कम करती है ।
इमरजेंसी फ़ोन करे :
मरीज़ को लिटाने और एस्प्रीन की टेबलेट देने के बाद तुरंत ही इमरजेंसी नंबर पर फ़ोन करे , एम्बुलेंस को फ़ोन कर स्तिथि के बारे में बताये।
सीने को दबायें :
दिल के दौरे में धड़कने बंद हो सकती हैं। यह बहुत आसान है और इससे धड़कने फिर से शुरू हो जाती हैं। इसे सीपीआर तकनीक कहते हैं।
हार्ट अटैक से बचने के लिए करे ये उपाए –
नियमित रूप से व्यायाम करे :
हार्ट अटैक से बचने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप रोजाना व्यायाम करें। कम से कम 15 मिनट तक शारीरिक कसरत करें। दिल को तंदुरुस्त रखने के लिए वॉक करना भी एक अच्छा व्यायाम है।
ऑयली या ज्यादा चिकनाई वाले खाने से बचें :
जंक फूड में ज्यादा ऑयल होता है इसलिए ये हार्ट के लिए सही नहीं हैं। दिल के दौरे से बचने के लिए इस तरह के खाने से तौबा करें।
वजन ज्यादा होना :
यदि आप मोटे हैं तो आपको हार्ट अटैक का खतरा है। इसलिए सही डाइट लेना बेहद जरूरी है। हार्ट अटैक से बचने के लिए संतुलित आहार ले ।
पेशाब और शौच को ना दबाएँ :
पेशाब और शौच दबाने से दिल पर प्रभाव पड़ता है और यह संक्रमण का कारण भी बनता है।
तनाव से बचें :
हार्ट अटैक से बचने के लिए तनाव से दूर रहें।
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