रेड मीट खाने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है, रिसर्च में हुआ खुलासा

रेड मीट, जो कि लंबे समय से पोषण और स्वास्थ्य के मुद्दों के केंद्र में रहा है, अब एक और गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जुड़ गया है। हाल ही में प्रकाशित एक व्यापक शोध ने यह खुलासा किया है कि रेड मीट का अत्यधिक सेवन करने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी बढ़ जाता है।

 

शोध की पृष्ठभूमि

 

यह अध्ययन अमेरिका के हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किया गया। इस शोध में लाखों लोगों के आहार और स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें यह पता चला कि जो लोग नियमित रूप से रेड मीट का सेवन करते हैं, उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना काफी अधिक होती है। इस शोध को पूरा करने के लिए शोधकर्ताओं ने लगभग 20 सालों तक विभिन्न आहार पैटर्न का अध्ययन किया और उनके परिणामस्वरूप होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों का मूल्यांकन किया।

 

रेड मीट और डायबिटीज के बीच संबंध

 

रेड मीट, विशेषकर प्रोसेस्ड मीट, जैसे कि बेकन, सॉसेज, और हैम, में उच्च मात्रा में सैचुरेटेड फैट्स, कोलेस्ट्रॉल और हेम आयरन पाया जाता है। ये तत्व शरीर में इंसुलिन के प्रभाव को कमजोर कर सकते हैं, जिससे ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है। शोध में यह भी पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से रेड मीट का सेवन करते हैं, उनमें इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने की संभावना अधिक होती है, जो कि टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण है।

 

शोध के नतीजे

 

शोध के परिणामों से यह स्पष्ट हुआ कि सप्ताह में तीन बार से अधिक रेड मीट का सेवन करने वाले व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 30% तक बढ़ सकता है। इसके विपरीत, जिन लोगों ने अपने आहार में रेड मीट की मात्रा को कम किया और पौध-आधारित प्रोटीन स्रोतों को अपनाया, उनमें इस बीमारी का खतरा काफी कम देखा गया।

 

प्रोसेस्ड मीट का विशेष प्रभाव

 

इस शोध में प्रोसेस्ड रेड मीट, जैसे कि हॉट डॉग्स और सलामी, के प्रभावों का भी गहराई से अध्ययन किया गया। परिणामस्वरूप यह पाया गया कि इन प्रकार के मीट का सेवन टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को और भी बढ़ा देता है। इसका कारण इनमें मौजूद उच्च मात्रा में सोडियम, नाइट्राइट्स और अन्य प्रिज़र्वेटिव्स हैं, जो शरीर के मेटाबोलिक फंक्शंस पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय

 

इस शोध के परिणामों को देखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रेड मीट का सेवन कम करने की सलाह दी है। डॉ. रमा शर्मा, जो कि एक प्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ हैं, का कहना है, “रेड मीट का अत्यधिक सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकता है। न केवल यह टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है, बल्कि हृदय रोग और कैंसर जैसी अन्य गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए, हमें अपने आहार में विविधता लाने और पौध-आधारित प्रोटीन, जैसे कि दालें, बीन्स, और टोफू को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

 

लोगों के लिए सलाह

 

विशेषज्ञों ने इस बात पर भी जोर दिया कि रेड मीट को पूरी तरह से त्यागना आवश्यक नहीं है, लेकिन इसके सेवन को सीमित करना महत्वपूर्ण है। सप्ताह में एक या दो बार रेड मीट का सेवन करना सुरक्षित माना जा सकता है, बशर्ते कि व्यक्ति स्वस्थ आहार और जीवनशैली का पालन कर रहे हों।

 

आहार में बदलाव की जरूरत

 

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि लोग अपने आहार में रेड मीट की मात्रा को कम करके इसे स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों से बदल सकते हैं। जैसे कि अधिक सब्जियां, फल, और साबुत अनाज का सेवन, जो न केवल पोषण में समृद्ध हैं बल्कि टाइप 2 डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को भी कम कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष

 

रेड मीट का अत्यधिक सेवन टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। इस नए शोध के परिणामों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि हमारे आहार और स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। इसलिए, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना न केवल जरूरी है, बल्कि यह हमारे दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकता है।


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