अग्नाशय यानी पाचक ग्रंथि मानव शरीर का महत्वपूर्ण अंग है।अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं से होता है। अधिकतर 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में यह पाया जाता है। उम्र बढ़ने के साथ डीएनए में कैंसर पैदा करने वाले बदलाव होते हैं।
ग्लूकागन और इंसुलिन नाम के हार्मोन को अग्नाशय पैदा करता है। ये हार्मोन ग्लूकोज (चीनी) चयापचय को नियंत्रित करता हैं। इंसुलिन कोशिकाओं को ऊर्जा बनाने के लिए ग्लूकोज को चयापचय करने में मदद करता है और , जब ग्लूकोज की शरीर में मात्रा बहुत कम होती हैं , तब ग्लूकागन ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
अग्नाशय के कैंसर का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। इसका पता सही समय पर न चल पाने पर कई बार ये जानलेवा हो सकता है। पैंक्रियाज कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षण इतने साधारण होते हैं, कि इस बड़ी बीमारी की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है और कैंसर अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। बाद में जब इसका पता चलता है , तब तक कई मरीजों में कैंसर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।
आजकल पैंक्रियाज के कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण अनियमित और अस्वस्थ खान-पान आदि है। आइये आपको बताते हैं क्या हैं इसके लक्षण।
अग्नाशय कैंसर के लक्षण
इसे ‘मूक कैंसर’ भी कहा जाता है , क्योंकि इसके लक्षण आसानी से नजर नहीं आते। फिर भी अग्नाशय कैंसर के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं।
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द,
- रक्त के थक्के होना,
- पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना,
- स्किन, आंख और यूरिन का कलर पीला हो जाना,
- जी मिचलाना और उल्टियां होना,
अग्नाशय कैंसर होने का कारण
कुछ जोखिम कारक हैं , जो अग्नाशय कैंसर को बढ़ा सकते हैं।
- धूम्रपान सिगरेट – कैंसर के 30 प्रतिशत मामले सिगरेट पीने से होता है ,
- ज्यादा मोटापा भी पैनक्रीएटिक कैंसर का कारण बन सकता है,
- नियमित व्यायाम न करना,
- वसा युक्त चीजों का अधिक सेवन करें,
- अधिक मात्रा में शराब पीना,
- अग्नाशय कैंसर का खतरा आनुवंशिक भी हो सकता है,
- रेड मीट का सेवन करने से पैनक्रीएटिक कैंसर होने का खतरा रहता है,
- लंबे समय तक अग्नाशय में जलन भी इसका कारण हो सकती है,
- कीटनाशक दवाईयों की फैक्ट्री या इससे संबंधित काम करने वालों को भी अग्नाशय कैंसर होने की आशंका रहती है।
क्यों मुश्किल है पैंक्रियाज के कैंसर की पहचान
- अग्नाशय हमारे शरीर में बहुत अंदर स्थित होता है। पेट के काफी अंदर होने के कारण बाहर से देखने पर या छूकर इस कैंसर का पता नहीं लगाया जा सकता है।
- ज्यादातर पैंक्रियाज कैंसर होने पर पेट में दर्द की समस्या होती है, मगर लोग साधारण दर्द समझ कर दर्द निवारक दवा ले लेते है जिससे कुछ समय के लिए दर्द रुक जाता है ।
- पैंक्रियाज कैंसर का ट्यूमर या गांठ पेट के काफी अंदर होता है और कई अंगों से ढका होता है इसलिए आमतौर पर इसके कारण होने वाली सूजन या त्वचा पर किसी तरह का परिवर्तन शुरुआत में नहीं दिखाई पड़ता है।
- पैंक्रियाज कैंसर के कुछ लक्षण अन्य बीमारियों से भी मिलते हैं, जैसे- पीलिया, हेपेटाइटिस, गॉल स्टोन आदि के कारण भी बढ़ सकता है। पेट में एसिडिटी, कब्ज, दर्द, अपच आदि की समस्या बहुत साधारण होती है , इसलिए इनके होने पर किसी का भी ध्यान पैंक्रियाटिक कैंसर की तरफ नहीं जाता है।
किनको होता है पैंक्रियाज में कैंसर का ज्यादा खतरा
महिलाओं के मुकाबले पैनक्रीएटिक कैंसर के शिकार पुरुष ज्यादा होते हैं। पुरुषों के धूम्रपान करने के कारण इसके होने का ज्यादा खतरा रहता है। धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर के होने का खतरा दो से तीन गुने तक बढ़ जाता है। रेड मीट और चर्बी युक्त आहार का सेवन करने वालों को भी पैनक्रीएटिक कैंसर होने की आशंका बनी रहती है।
अग्नाशय के कैंसर का इलाज
कैंसर का इलाज़ उसके स्टेज पर निर्भर करता है। इलाज़ कराने के दो कारण होते है : कैंसर कोशिकाओं को मारना और बीमारी के प्रसार को रोकना।
- सर्जरी,
- कीमोथेरपी,
- विकिरण चिकित्सा, के द्वारा डॉक्टर अग्नाशय कैंसर का उपचार करते हैं।
अग्नाशय कैंसर से बचने के घरेलू उपचार
यदि आप नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच और स्क्रीनिंग कराते हैं , तो इस रोग के खतरे से बचा जा सकता है। आजकल कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के द्वारा डॉक्टर अग्नाशय कैंसर का उपचार करते हैं। इससे कई रोगियों को जीवन भी मिला है। फिर भी इस प्रकार के कैंसर से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपाय करना चाहिए।
फलों का रस
ताजे फलों के रस का सेवन करने से अग्नाशय कैंसर में फायदा मिलता है।
ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सब्जियों का भी सेवन करना चाहिए , जैसे की –
ब्रोकोली
- पैनक्रीएटिक कैंसर के उपचार के लिए ब्रोकोली को उत्तम माना जाता है।
- ब्रोकोली में मौजूद फायटोकेमिकल, जो की कैंसर युक्त कोशाणुओं से लड़ने में सहायता करते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं और रक्त के शुद्धिकरण में भी मदद करते हैं।
अंगूर
- यह आपको अग्नाशय कैंसर के खतरे से बचाने में मदद करता हैं।
- इसमें पोरंथोसाईंनिडींस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है और फेफड़ों के कैंसर के साथ अग्नाशय कैंसर के उपचार में भी लाभ मिलता है।
जिन्सेंग
जिन्सेंग एक प्रकार की जड़ी बूटी है और शरीर में बाहरी तत्वों के खिलाफ प्रतिरोधक शक्ति का निर्माण करता है।
ग्रीन टी
यदि आप प्रतिदिन एक कप ग्रीन टी का सेवन करते हैं , तो अग्नाशय कैंसर होने का खतरा कम होता है। साथ ही यह इसके उपचार में भी मददगार है।
एलोवेरा
एलोवेरा बहुत से रोगों में फायदा पहुंचाता है, लेकिन पैनक्रीएटिक कैंसर में भी यह फायदेमंद है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से लाभ मिलता है।
सोयाबीन
सोयाबीन के सेवन से अग्नाशय कैंसर में फायदा मिलता है। इसके साथ ही सोयाबीन के सेवन से स्तन कैंसर में भी फायदा मिलता है।
लहसुन
लहुसन औषधीय गुण होते हैं , यह कई रोगों में फायदा पहुंचाता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट के साथ ही एलीसिन, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी आदि होते हैं। जिसकी वजह से यह कैंसर से बचाव करता है और कैंसर हो जाने पर उसे बढ़ने से रोकता है।
व्हीटग्रास
व्हीटग्रास कैंसर युक्त कोशाणुओं को कम करने में भी सहायक होती है। इसके साथ ही यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है।
अग्नाशय कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए घरेलू उपचार पर ही निर्भर न रहें। घरेलू उपचार के अलावा डॉक्टर से संपर्क करके उचित इलाज भी करवाएं। और किसी तरह की समस्या होने पर सबसे पहले डॉक्टर से मिले।
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