फ्लैट हेड सिंड्रोम को प्लैगियोसेफली भी कह सकते है। यह एक ऐसी स्थिति है , जो बच्चे के सिर को एक फ्लैट स्पॉट (फ्लैट सिर सिंड्रोम) होने का कारण बनती है। यह तब होता है , जब बच्चे एक ही पोजीशन में सोते है तो उनके सिर पर दबाव पड़ता है , और इस वजह से बच्चे फ्लैट हेड सिंड्रोम से ग्रसित हो जाते है. क्योकि बच्चे के सिर की हड्डियां बहुत कोमल और कमजोर होती हैं और वह बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है.
फ्लैट हेड सिंड्रोम के कुछ लक्षण हैं
- चेहरे पर असंतुलित रूप,
- सिर का पिछला भाग चपटा दिखाई देना,
- बच्चो में सिर का एक तरफ उभड़ा हुआ होना,
- एक हिस्सा सपाट दिखाई देता है, जबकि दूसरा सामान्य दिखाई देता है,
- समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में भी सिर की असामान्यताएं होने की संभावना अधिक होती है,
फ्लैट हेड सिंड्रोम के क्या कारण हैं?
कभी-कभी गर्भ में शिशु का सिर अस्थायी रूप से विकृत हो जाता है। इस वजह से भी बच्चो में फ्लैट हेड सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में सिर के असामान्य आकार की संभावना अधिक होती है , क्योंकि उनका सिर कम विकसित होता है।
मांसपेशियों की समस्या – कभी-कभी किसी बच्चे की गर्दन (टर्रिसोलिस) में मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं, जिस वजह से वो अपना सिर मोड़ नहीं पाते और इस वजह से बच्चे का सिर चपटा हो जाता है।
फ्लैट हेड सिंड्रोम के जोखिम कारक क्या हैं?
यह स्थिति उन शिशुओं में आमतौर पर दिखाई देती है जो:
- पहला बच्चा होना,
- असामान्य रूप से बड़े सिर का होना,
- समय से पहले बच्चे का होना , या जुड़वाँ बच्चा होना , इस वजह से भी फ्लैट हेड सिंड्रोम की समस्या हो सकती है.
- जो बच्चे इस सिंड्रोम की शुरूआती दौर में होते हैं उनका सिर फ्लैट हो जाता है। यह समस्या या तो गलत पोजिशन में सोने की वजह से होता है या फिर गर्दन की मांसपेशियों में होने वाली किसी समस्या की वजह से होती है।
फ्लैट सिंड्रोम का इलाज क्या है?
आइए जानते हैं फ्लैट हेड सिंड्रोम से अपने बच्चों को कैसे बचाया जा सकता है।
नींद की स्तिथि को बदले
अगर बच्चा रोज एक ही स्थिति में सोता है तो उसके पोजिशन को बदलने की जरूरत है। बच्चे को पीठ के बल सुलाना चाहिए और साथ ही हर कुछ समय में अपने बच्चे के सिर के पोजिशन को बदलते रहे , ताकि उसके सिर पर ज्यादा दबाव ना पड़े।
पेट का समय
छोटे बच्चो के लिए पेट का समय महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह सिर, गर्दन और ऊपरी शरीर को मजबूत करता है। बच्चे को थोड़ी देर के लिए पेट के बल सुलाएं ताकि सिर पर बहुत ज्यादा दबाव ना पड़े। लेकिन ध्यान रहे कि पेट पर भी ज्यादा दबाव ना पड़े क्योंकि , इससे उल्टी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हर थोड़ी देर पर सोने का पोजीशन बदलते रहे।
यात्रा करते समय उन्हें अच्छी तरह पकड़ें
जब आप यात्रा कर रहे होता हैं तो बच्चे को एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठने ना दें। इससे उनके सिर के तरफ दबाव पड़ेगा।
सिर की पोजिशन को बदलें
- अगर आपके कमरे में कुछ ऐसा है जो आपके बच्चे की आंखों को आकर्षित कर रहा या फिर खिलौने की वजह से आपका बच्चा अपने सिर को एक ही पोजिशन में रखें हुए है , तो आपको उस वस्तु के पोजिशन को बदलते रहना चाहिए । ऐसा करने से आपके बच्चे को फ्लैट हेड सिंड्रोम की समस्या नहीं होगी।
- फ्लैट हेड सिंड्रोम से बचने के लिए आप जो महान काम कर सकते हैं वह यह है कि आपके बच्चे को जन्म से ही सही उपाय करें।
- अपने बच्चो की सोने स्थिति को बार-बार बदलें। बच्चो को ऐसी जगहों पर ज़्यादा सोने न दें, जैसे कि कार की सीट।
फ्लैट हेड सिंड्रोम हानिकारक नहीं होती है , लेकिन फिर भी इस समस्या का इलाज जल्द से जल्द ठीक करवाना बहुत आवश्यक होता है। आपको अपने बच्चे में इस समस्या को ठीक करने के लिए सेफ्टी मेजर्स लेने की जरूरत है , ताकि उसे फ्लैट हेड की समस्या ना हो। और अगर आपके शिशु को बार-बार बेचैनी होती है या वह रोता है, तो उन्हें अपनी गर्दन में समस्या हो सकती है, ऐसा होने पर आप अपने डॉक्टर से बात कर सकती है और उनसे सलाह भी ले सकती है.
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