क्या है एओर्टिक स्टेनोसिस जाने इसके लक्षण और उपचार

एओर्टिक स्टेनोसिस हृदय (Heart) से सम्बंधित गंभीर रोग होता है । जब आप के हृदय (Heart) को शरीर में रक्त पहुंचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़े और दिल कमजोर हो जाए तो समझ जाइए आप एओर्टिक स्टेनोसिस जैसी बिमारी से पीड़ित हैं। एओर्टिक स्टेनोसिस में एओर्टिक (महाधमनी) की वॉल्व ठीक तरीके से खुल नहीं पाती, जिसके कारण हृदय शरीर के अंगो तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचा पाता है और जिससे एओर्टिक स्टेनोसिस जैसे रोग होने लग जाते है ।

 

एओर्टिक स्टेनोसिस क्या है ? (Aortic Stenosis in Hindi)

 

हमारे हृदय में चार वॉल्व होते है, जो हमारे खून की बहाव को कण्ट्रोल करते है । जब हृदय पंप करता है तो दिल के वॉल्व खुल जाते हैं जिससे रक्त आगे जाता है और हृदय की धड़कनों के बीच तुरंत ही वे बंद हो जाते हैं ताकि रक्त पीछे की तरफ वापस न आ सके। एओर्टिक वॉल्व रक्त को बाएं लोअर चैंबर (बायां वैंट्रिकल) से एओर्टिक में जाने का निर्देश देते हैं।

 

एओर्टिक मुख्य रक्तवाहिका है जो बाएं लोअर चैंबर से निकल कर शरीर के बाकी हिस्सों में जाती है । अगर सामान्य प्रवाह में व्यवधान पड़ जाए तो हृदय सही तरीके से पंप नहीं कर पाता। गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस यानी एएस में एओर्टिक वॉल्व ठीक से खुल नहीं पाते।

 

डा. बरिंदर सिंह थिंद का ये कहना है कि गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस की स्थिति में आप के हृदय को शरीर में रक्त पहुंचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिसकी वजह से दिल कमजोर हो जाता है। यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है और इस वजह से सामान्य गतिविधियां करने में दिक्कत होती है. जटिल एएस एक बहुत गंभीर समस्या है। अगर इस का इलाज समय से न किया जाए तो इस से जिंदगी को खतरा हो सकता है। यह हार्ट फेल्योर व अचानक कार्डिएक मृत्यु का कारण बन सकता है।

 

एओर्टिक स्टेनोसिस क्यों होता है :

 

 

कुछ स्तिथिया है जो एओर्टिक स्टेनोसिस का कारण बन सकती है, जैसे –

 

 

1. धमनी के अंदर कैल्शियम बनना :

 

खून हृदय की वॉल्व के अंदर से गुजरता रहता है और खून में मौजूद कैल्शियम धीरे धीरे वॉल्व के अंदर जमने लगता है । कैल्शियम के जमने की वजह से वॉल्व कठोर हो जाता है और ठीक से खुल नहीं पता ।

 

2. जन्म के दौरान हृदय में किसी प्रकार का दोष :

 

हृदय की वॉल्व में तीन फ्लैप और कप्स होते है जो एक दूसरे में अच्छे से फिट हो जाते है । लेकिन कुछ लोगो में जन्म के समय से ही एक,दो या चार फ्लैप होते है जो एक दूसरे में ठीक से फिट नहीं पाते जिसकी वजह से उनको एओर्टिक स्टेनोसिस जैसी बिमारी हो जाती है ।

 

3. रुमेटिक फीवर :

 

ऐसे रोग में एओर्टिक वॉल्व में स्टार्च बन जाता है । वॉल्व में स्टार्च बनने की वजह से उसमे आसानी से कैल्शियम जैम जाता है।

 

एओर्टिक स्टेनोसिस के लक्षण :

 

एओर्टिक स्टेनोसिस जैसी बीमारियों में लक्षण तब तक नजर नहीं आते जब तक रक्त का प्रवाह तेजी से गिरने नहीं लगता। इसलिए यह बीमारी काफी खतरनाक है और बहुत गंभीर है। हालांकि यह बेहतर रहता है कि बुजुर्गों में सामने आने वाले विशिष्ट लक्षणों पर खासतौर से नजर रखनी चाहिए।

 

  • छाती में दर्द,

 

  • दबाव या जकड़न,

 

  • सांस लेने में तकलीफ,

 

  • बेहोशी,

 

  • कार्य करने में स्तर गिरना,

 

  • पर्याप्त मात्रा में भोजन न कर पाना ।

 

  • शरीर का पर्याप्त वजन न बन पाना ।

 

  • घबराहट या भारीपन महसूस होना और तेज या धीमी दिल की धड़कन होना हैं।

 

बुजुर्ग लोगों को एओर्टिक स्टेनोसिस का बहुत रिस्क रहता है क्योंकि इस का काफी समय तक शुरुआती लक्षण नहीं दिख पता । जब तक लक्षण, जैसे कि छाती में दर्द या तकलीफ, बेहोशी या सांस लेने में तकलीफ, विकसित होने लगते हैं तब तक मरीज की जीने की उम्र सीमित हो जाती है। ऐसी स्थिति में इस का इलाज सिर्फ वॉल्व का रिप्लेसमैंट करना ही बचता है। हाल ही में विकसित ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वौल्व रिप्लेसमैंट (टीएवीआर) तकनीक की मदद से गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस रोगियों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है जिन की सर्जरी करने में बहुत ज्यादा जोखिम होता है।

 

एओर्टिक स्टेनोसिस का उपचार

 

जिन लोगों को गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस है उनको अधिक मेहनत वाले खेल खेलने या अन्य शारीरिक गतिविधि करने से मना किया जाता है, चाहे उनको कोई लक्षण महसूस ना हो रहा हो। यदि एओर्टिक स्टेनोसिस से संबंधित कोई लक्षण महसूस हो रहा है, तो कोई भी अधिक मेहनत वाली गतिविधि नहीं करनी चाहिए।

कुछ दवाओं की मदद से एओर्टिक स्टेनोसिस के कारण होने वाली हार्ट पल्पिटेशन जैसी समस्या का इलाज कर दिया जाता है। यदि एओर्टिक स्टेनोसिस गंभीर रूप से हो गया है, तो उसका इलाज बड़े ध्यानपूर्क किया जाता है, ताकि खून का दबाव गंभीर रूप से कम ना हो पाए।

कुछ मामलों में इस स्थिति का इलाज करने के लिए ऑपरेशनकिया जा सकता है, जिसकी मदद से वाल्व की असामान्य स्थिति में सुधार किया जाता है।

 

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