ब्लैडर कैंसर होने के बारे में कम ही लोग जानते हैं। यह एक गम्भीर बीमारी होती है। इसके रोगी को शारीरिक व मानसिक कष्ट सहन करना होता है | प्रति एक लाख की आबादी में भारतवर्ष में तीन से पांच पुरुषों को तथा एक से दो महिलाओं को ब्लैडर कैंसर होता है। ब्लैडर कैंसर के शिकार 50 प्रतिशत लोग धूम्रपान करने के कारण इस इस रोग की गिरफ्त में आ जाते हैं, लेकिन धूम्रपान न करने वालों के लिए भी जोखिम बराबर है | यह कैंसर महिलाओं से अधिक पुरुषों में होता है क्योंकि पुरुष कैंसर पैदा करने वाले रसायनों के अधिक संपर्क में रहते हैं और आंतरिक रूप से भी वे अधिक संवेदनशील होते हैं |
ब्लैडर कैंसर (bladder cancer in hindi)
ब्लैडर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को ब्लैडर कैंसर कहते है। ब्लैडर की बाहरी दीवार की मांसपेशियों की परत को सेरोसा कहते हैं जो कि फैटी टिश्यू, एडिपोज़ टिश्यूज़ या लिम्फ नोड्स के बहुत पास होता है। ब्लैडर वो गुब्बारेनुमा अंग है जहां पर यूरीन का संग्रह और निष्कासन होता है। ब्लैडर की आंतरिक दीवार नये बने यूरीन के सम्पर्क में आती है और इसे मूत्राशय की ऊपरी परत कहते हैं। यह ट्रांजि़शनल सेल्स द्वारा घिरी होती है जिसे यूरोथीलियम कहते हैं।
इन लोगों को रहता है ज्यादा खतरा
- बहुत ज्यादा स्मोकिंग करने से
- लंबे समय तक यूरिनरी ब्लैडर में स्टोन का पड़ा रहना.
- जिन लोगों को बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्श्न होता है
- जो लोग कपड़े रंगने का काम करते हैं उन्हें बहुत रिस्क रहता है.
- बहुत ज्यादा सैकरीन आर्टिफिशयल स्वीटनर्स के सेवन से
- 60 से 70 साल तक के लोगों को अधिक रिस्क रहता है.
- एल्कोहल भी इसका एक कारण हो सकता है लेकिन ये इतना बड़ा कारण नहीं है.
ब्लैडर कैंसर के कारण
- ब्लैडर कैंसर तब होता है जब ब्लैडर में टिशु अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. कैंसर कोशिकाओं के ज्यादा होने पर ट्यूमर बन सकता है जो शरीर के अन्य अंगो में फैल सकता है. यह ब्लैडर की अंदरूनी परत से शुरू होता है और आखिरकार गहरी परतों पर हमला करता है. यह कई बार लंबे समय तक म्यूकोसा तक सीमित रह सकता है. यह कैंसर आकार में छोटा हो सकता है या नोड्यूल के रूप में दिखाई दे सकता है |
- पेशाब में घुले हुए तमाम तरह के एसिड थोड़ी-बहुत देर के लिए मूत्राशय की दीवार के सम्पर्क में आते हैं। इस प्रकार मूत्राशय की अदंरूनी कोशिका की सतह को नुकसान पहुँच सकता है। सामान्य तौर पर थोड़े नुकसान को शरीर की प्रतिरक्षात्मक प्रणाली अपने आप ही सुधार लेती है। लेकिन यदि कुछ कैंसर पैदा करने वाले रसायन लगातार ब्लैडर को नुकसान पहुंचाते रहें तो मूत्राशय का कैंसर बन सकता है। प्रमुख रूप से इसके निम्न कारण हो सकते हैं।
- खाद्य पदार्थों में बढ़ता रंगों का सेवन मूत्राशय, पेट और पित्त की थैली के कैंसर को बढ़ावा देता है।
- ब्लैडर या पेशाब मार्ग के रास्ते में किसी रोग के कारण पेशाब की मात्रा लगातार थोड़ी-बहुत बनी रह जाती है तो मूत्राशय कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
- सिगरेट-बिड़ी पीने वालों में मूत्राशय का कैंसर होने की सम्भवना अधिक होती है। ऐसा इसलिए होता है कि सिगरेट के धुएं में मौजूद नाइट्रोसोमीन्स के शरीर में घुल जाने कारण इसकी संभावना बढ़ जाती है।
- यदि लगातार मूत्राशय में जलन बनी रहे, किसी संक्रमण के कारण रक्त आए या कैंसर जैसी बीमारियों के लिए अग्रेजी दवाएं लगातार लेनी पड़े तो ब्लैडर का कैंसर हो सकता है।
- पुरुषों और महिलाओं में मूत्राशय कैंसर का 50 प्रतिशत खतरा तो धूम्रपान के कारण होता है. अन्य जोखिम कारकों में कैंसर पैदा करने वाले रसायन, क्रोनिक मूत्राशय इन्फैक्शन, तरल पदार्थों का कम सेवन, उम्र, अधिक फैट वाले आहार का सेवन, ब्लैडर कैंसर बीमारी का पारिवारिक इतिहास, कुछ कीमोथेरैपी दवाओं के साथ पहले कभी उपचार या इलाज के लिए पहले कभी रेडिएशन थेरैपी प्रयोग आदि प्रमुख हैं |
ब्लैडर कैंसर के लक्षणः
- ब्लैडर कैंसर का प्रमुख लक्षण पेशाब में लगातार रक्त स्राव होना है।
- रक्त स्राव के साथ रक्त के थक्के भी आ सकते हैं।
- पेशाब मार्ग में लगातार जलन बनी रहती है।
- कैंसर की गांठ के कारण रोगी का पेशाब रुक सकता है।
- पेशाब रुक जाने के कारण रोगी बेहोश हो सकता है।
- मूत्राशय का कैंसर रोग में मरीज के पेशाब में रक्त के साथ मवाद भी आ सकती है।
- ब्लैडर कैंसर के कुछ अन्य लक्षण ये भी हैं :- थकान, लगातार वजन घटना, पेशाब में रक्त आना, पेशाब करते समय दर्द होना, लगातार पेशाब आना, पेट में दर्द और निचले हिस्से में दर्द होना |
ब्लैडर कैंसर से बचाव
- ब्लैडर कैंसर की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
- अगर आप धूम्रपान करते हैं तो उसे तुरंत छोड़ दें, हालांकि इससे ब्लैडर कैंसर के जोखिम पूरी तरह से कम नही होते।
- अपने कार्यस्थल पर खतरनाक केमिकल के संपर्क में आने से बचें, अगर आपके काम में केमिकल का प्रयोग शामिल है, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने आप को सुरक्षित रख रहे हैं।
- खूब मात्रा में तरल पदार्थ पीयें, क्योंकि तरल पदार्थ कैंसर का कारण बनने वाले शरीर के अंदर मौजूद तत्वों को पतला कर देते हैं, और उनके हानि पहुंचाने से पहले उनको पेशाब के साथ शरीर से बाहर कर देते हैं।
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