फेफड़ों के बीमारी कई प्रकार की होती हैं और मनवा शरीर में फेफड़े बहुत एहम भूमिका निभाते हैं, हम फेफड़े की मदद से ही सांस ले पाते हैं। यदि किसी को सांस की बीमारी है तो उसे स्वास्थ्य सम्बन्धी कई तरह की समस्याएं होती हैं। यदि फेफड़ों की बीमारी का इलाज सही समय पर नहीं किया जाए तो यह फेफड़ों के कैंसर में भी बदला सकती है। लेकिन इसके कई प्रकार होते हैं। इस प्रकार के फेफड़ों के रोग आपके वायुमार्ग, फेफड़ों के ऊतकों, या आपके फेफड़ों के अंदर और बाहर रक्त के संचलन को प्रभावित कर सकता हैं। यदि आपको ऐसी कोई भी समस्या है तो आप Dr. Sandeep Nayar से ऑनलाइन कंसल्ट कर सकते हैं।
जानिए Dr. Sandeep Nayar को कितना अनुभव है? (Know the experience of Dr.Sandeep Nayar in Hindi)
यदि किसी को फेफड़ों से सम्बंधित कोई बीमारी है तो आप अपने इलाज के करवाने के लिए डॉ संदीप नायर से हमारे माध्यम संपर्क कर सकते हैं। उन्हें उनके बहुमुखी और रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए काफी प्रसिद्ध डॉक्टर माना जाता है। उन्होंने एमबीबीएस और एमडी की डिग्री प्राप्त है।
अगर हम उनके अनुभव की बात करें तो वह वर्तमान में वह बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नई दिल्ली में श्वसन चिकित्सा, एलर्जी और नींद विकार विभाग में वरिष्ठ निदेशक और एचओडी के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें कुल 31 वर्ष का अनुभव है।
अगर हम उनके पहले के अनुभव की बात करें तो उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया है:
- वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख – फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग, नई दिल्ली
- सीनियर कंसल्टेंट – जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल
- सीनियर कंसल्टेंट – महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल
- सीनियर रेजिडेंट – एल.आर.एस. टी.बी. संस्थान और संबद्ध रोग
कितनी तरह की फेफड़े की बीमारी होती है? (How many types of lung disease are there in Hindi)
आपकी सांस की नली (श्वासनली) ब्रांकाई नामक नलियों में शाखाएँ बनाती है, जो बदले में आपके पूरे फेफड़ों में छोटी नलियाँ बन जाती हैं। इन वायुमार्गों को प्रभावित करने वाले रोगों में शामिल हैं:
- अस्थमा: आपके वायुमार्ग में लगातार सूजन रहती है और ऐंठन हो सकती है, जिससे घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। एलर्जी, संक्रमण या प्रदूषण अस्थमा के लक्षणों को बहुत तेजी से बढ़ाता है।
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD): इस बीमारी में फेफड़ों की स्थिति काफी ख़राब हो जाती है और वह व्यक्ति पहले जैसे साँस नहीं छोड़ सकता है, उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी होती है।
- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस: यह सीओपीडी का वह रूप होता है जिसमें उस व्यक्ति को लंबे समय तक गीली खांसी होती है।
- इम्फीसीमा (Emphysema): इस स्थिति में फेफड़े डैमेज हो जाते हैं और फेफड़ों में हवा को फंसाने लगती है और व्यक्ति ठीक से सांस नहीं ले पाता है।
- एक्यूट ब्रोंकाइटिस (Acute bronchitis): आपके वायुमार्ग का यह अचानक संक्रमण आमतौर पर एक वायरस के कारण होता है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis): इस स्थिति में फेफड़ों में बलगम ज्यादा बनता है और इसे साफ करने में परेशानी होती है। इससे फेफड़ों में बार-बार संक्रमण होता है।
- क्रोनिक निमोनिया: निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है जो बैक्टीरिया, वायरस या कवक के कारण होता है। कुछ बैक्टीरिया फेफड़ों में पनपते हैं, जिससे सांस लेने में मुश्किल पैदा होती हैं। क्रोनिक निमोनिया में हवा की थैली में सूजन हो जाती है और तरल पदार्थ से भर सकता है, जो ऑक्सीजन के प्रवाह को बाधित करता है।
- फेफड़े का कैंसर: फेफड़े का कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपके फेफड़ों की कोशिकाएं अप्रत्याशित रूप से बढ़ती हैं, धीरे-धीरे ट्यूमर विकसित होता है। जैसे-जैसे ट्यूमर बढ़ता जाता है और बाद में यह कैंसर का रूप ले लेता है।
फेफड़े की बीमारी के संकेत क्या होते हैं? (What are the signs of lung disease in Hindi)
यदि हम फेफड़े की बीमारी के लक्षण की बात करें तो इसमें शामिल हैं:
- लंबे समय से खांसी होना
- सांस नहीं ले पाना
- बलगम बनना (Chronic mucus production)
- सांस लेने में आवाज आना (Wheezing)
- खाँसी में खून आना
- सीने में दर्द
फेफड़ो की बीमारी की जांच के लिए कौन से टेस्ट किये जाते हैं? (What tests are done to check for lung disease in Hindi)
फेफड़ो की बीमारी का निदान करने के लिए आपका डॉक्टर कुछ टेस्ट का सुझाव देगा जिनमें शामिल हैं:
- पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट
- छाती का एक्स-रे,
- छह मिनट का वॉक टेस्ट
- ब्लड टेस्ट
- ईसीजी (ईकेजी)
- इकोकार्डियोग्राम
इनमें से कोई भी टेस्ट की रिपोर्ट देखने के बाद ही डॉक्टर यह निर्णय लेते हैं की मरीज के लिए कौन सा इलाज सही रहेगा।
फेफड़ों के रोगों के लिए उपचार के विकल्प क्या हैं? (What are the treatment options for lung diseases in Hindi)
इनहेलर
इम्म्यूनोसप्प्रेसेंट्स (Immunosuppressants)
ऑक्सीजन थेरेपी : यदि फेफड़ों की बीमारी के कारण आपके रक्तप्रवाह के माध्यम से आपके अंगों, मांसपेशियों और अन्य ऊतकों तक ऑक्सीजन की मात्रा नहीं पहुँच पाती है, तो आपको ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है।
पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन(Pulmonary rehabilitation): पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रतिबंधित फेफड़ों की बीमारी और फेफड़ों से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए डॉक्टर इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। यह आमतौर पर एक आउट पेशेंट प्रोसीजर होता है।
लंग ट्रांसप्लांट : सबसे गंभीर मामलों में, डॉक्टर आखिरी विकल्प के तौर पर लंग ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी जाती है।
यदि किसी को फेफड़ों से सम्बंधित कोई भी समस्या है तो आप डॉक्टर Dr. Sandeep Nayar से सलाह ले सकते हैं या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी। हम आपका सबसे अच्छे हॉस्पिटल में इलाज कराएंगे।
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