Flu Vaccine बुजुर्गों में कम करता है मौत का खतरा: स्टडी

 

Flu Vaccine क्या है

 

स्वाइन फ्लू वैक्सीन का नाम नैसोवैक है जो नाक के माध्यम से दिया जाता है। इस वैक्सीन की 0.5 मिली की एक बूंद किसी भी व्यक्ति को लगभग दो साल तक इस बीमारी से दूर रखती है।

 

 

यह टीका विशेष रूप से तीन साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए उपयोगी है। हालांकि, इसे गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और कम प्रतिरक्षा वाले लोगों द्वारा भी लिया जा सकता है। नैसोवैक बिना किसी दुष्प्रभाव के भारतीय वैज्ञानिकों का एक उत्पाद है।

 

अध्ययनो के अनुसार

 

इन्फ्लुएंजा टीकाकरण न केवल फ्लू से बचाता है, बल्कि यह बुजुर्गों में मृत्यु के जोखिम को भी कम करता है। यह बात हाल ही में हुई एक स्टडी में सामने आई है।

 

 

एक अध्ययन में पाया गया है कि इन्फ्लूएंजा का टीका न केवल इस बीमारी से लड़ने में मदद करता है, बल्कि यह इन्टेंसिव केयर यूनिट में भर्ती बुजुर्ग मरीजों के मौत के खतरे और ब्लड क्लॉट व दिमाग में रक्तस्त्राव के खतरे को भी कम करता है। वैक्सीन का यह प्रभाव उन रोगियों पर भी देखा गया, जिन्हें उम्र से संबंधित कई बीमारियाँ थीं।

 

 

डेनमार्क में 2005 से 2015 तक हुई इस स्टडी में इन्टेंसिव केयर यूनिट में भर्ती 89,818 बूढ़े मरीजों को शामिल किया गया। इसके साथ ही, स्वास्थ्य रजिस्टर में लिखी गई अन्य जानकारी को भी डेटा में जोड़ा गया। इन रोगियों में से केवल कुछ को इन्फ्लूएंजा के कारण सीधे अस्पताल लाया गया था।

 

 

अध्ययन से पता चला है कि भले ही रोगी को इन्फ्लूएंजा या किसी अन्य समस्या के कारण आईसीयू में भर्ती कराया गया हो, लेकिन जिन्होंने पहले से इन्फ्लूएंजा वैक्सीनेशन लगवाया हुआ था उनमें स्ट्रोक होने की संभावना 16 प्रतिशत कम पाई गई थी। साथ ही, इस समूह के लोगों की मृत्यु का प्रतिशत अन्य रोगियों की तुलना में 8 प्रतिशत कम था।

 

 

डेनमार्क के आर्हस विश्वविद्यालय अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्चियन फिनबो क्रिस्टियन के अनुसार, “हर साल, डेनमार्क के अस्पताल के आईसीयू में 30,000 रोगियों का नामांकन होता है और हमें पता है कि पहला साल काफी अहम होता है। चार में से तीन मरीजों की जान बचाई जाती है, और उन्हें छुट्टी दे दी जाती है। लेकिन डिस्चार्ज किए गए मरीजों में से भी पांच में से एक की मौत एक साल के भीतर हो जाती है। हमारी स्टडी में सामने आया कि जिन मरीजों को इन्फ्लूएंजा का वैक्सीन लगा हुआ था उनमें डिस्चार्ज होने के बाद भी हेल्थ से जुड़ी कम समस्याएं आईं और उनमें मृत्युदर भी कम रही। ये नतीजे उस सुझाव का समर्थन करते दिखते हैं जिनमें बुजुर्गों को भी वैक्सीनेशन के लिए कहा जाता है।’

 

 

यह पहली बार है जब शोधकर्ताओं ने वैक्सीन का अध्ययन किया है, खासकर बुजुर्गों में। परिणामों के बाद, शोधकर्ताओं का कहना है कि टीका और अन्य संबंधित चीजों का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि अन्य आयु समूहों के बारे में भी जानकारी सामने आ सके।

 

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