टाइटेनियम प्लेट एक प्रकार का इम्प्लांट होता है जो टाइटेनियम धातु से बना होता है। ये प्लेटें आमतौर पर हड्डियों को मजबूत करने या जोड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। टाइटेनियम एक बहुत ही हल्की और मजबूत धातु होती है। इसलिए टाइटेनियम से बनी प्लेटें शरीर में आसानी से लगाई जा सकती हैं और वे हड्डियों को मजबूती प्रदान करती हैं। टाइटेनियम प्लेटें किसी भी शरीर के हिस्से में लगाई जा सकती हैं – जैसे हाथ, पैर, छाती, पीठ आदि। ये प्लेटें आमतौर पर हड्डी के टूटने या फ्रैक्चर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी कब की जाती है?
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी मुख्य रूप से निम्न स्थितियों में की जाती है:
हड्डियों को जोड़ने के लिए: जब किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है और एक साथ जुड़ने में समस्या होती है, तो डॉक्टर टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए टाइटेनियम प्लेट और स्क्रू का उपयोग कर सकते हैं।
हड्डी टूटने पर: टाइटेनियम प्लेट का उपयोग टूटी हुई हड्डियों को मजबूती से जोड़ने के लिए किया जाता है ताकि वे ठीक से भर सकें। यह ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डी कमजोरी के मामलों में भी उपयोगी हो सकता है।
दुर्घटना में चोट लगने पर: कार दुर्घटना, गिरने या खेल के दौरान चोट के कारण हड्डी टूट जाने पर डॉक्टर टाइटेनियम प्लेट सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं। यह तेजी से हड्डी को ठीक करने और दर्द से राहत पाने में मदद करता है।
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी की प्रक्रिया क्या होती हैं ?
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी में सबसे पहले मरीज को एनेस्थीसिया दी जाती है। इससे मरीज को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता। फिर सर्जन टूटी हुई हड्डी को सही करता है और उसे मूल स्थिति में लाता है। इसके बाद टाइटेनियम प्लेट को टूटी हुई हड्डी पर रखा जाता है और स्क्रू की मदद से उसे हड्डी से जोड़ दिया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद सावधानीपूर्वक की जाती है ताकि हड्डी को मजबूती से जोड़ा जा सके और मरीज को जल्द राहत मिल सके।
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी के फ़ायदे क्या हो सकते हैं ?
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है। टाइटेनियम प्लेट को हड्डी में लगाने से वह भंग हुई हड्डी को सहारा देती है और उसे मजबूत बनाती है। इस तरह यह हड्डी को टूटने से बचाती है। टाइटेनियम प्लेट सर्जरी उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है जिनकी हड्डी पहले से ही कमजोर या भंग हुई होती है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। ऐसे में टाइटेनियम प्लेट लगवाकर उन्हें मजबूत किया जा सकता है।
इसके अलावा, टाइटेनियम प्लेट सर्जरी दुर्घटना में हुई हड्डी की चोट के इलाज के लिए भी कारगर होती है। दुर्घटना में हड्डी टूट जाने पर उसे जोड़ने के लिए टाइटेनियम प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है। यह टूटी हुई हड्डी को मजबूती प्रदान करती है और उसके फिर से टूटने की संभावना को कम कर देती है।
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी के लिए अच्छे अस्पताल-
- मैक्स मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, पंचशील पार्क, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाघ, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, दिल्ली
- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राजेंदर पैलेस, दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल, द्वारका, दिल्ली
- इन्द्रप्रस्ठा अपोलो अस्पताल, जसोला विहार, दिल्ली
- वेंकटेश्वर अस्पताल, द्वारका, दिल्ली
- मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम
- मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम
- आर्टिमिस अस्पताल, गुरुग्राम
- फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम
- नीलकंठ अस्पताल, गुरुग्राम
- फोर्टिस अस्पताल, बन्नेरघट्टा, बैंगलोर
- अपोलो अस्पताल, नागा, बैंगलोर
- एस्टर सीएमआई अस्पताल, सहकर नगर, बैंगलोर
टाइटेनियम प्लेट सर्जरी के साइड इफेक्ट्स किस प्रकार होते हैं ?
इन सभी साइड इफेक्ट्स के बारे में सर्जरी से पहले डॉक्टर से पूरी जानकारी लेनी चाहिए। ज्यादातर मामलों में ये साइड इफेक्ट्स नहीं दिखते। लेकिन अगर कोई भी ऐसी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। टाइटेनियम प्लेट सर्जरी के कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
- इंफेक्शन का खतरा: शल्य चिकित्सा के बाद इंफेक्शन होने का खतरा हमेशा रहता है। टाइटेनियम प्लेट लगाने की सर्जरी के बाद भी इसका खतरा बना रहता है। अगर इंफेक्शन हो जाए तो एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करके इसे ठीक किया जा सकता है।
- खून बहने का खतरा: सर्जरी के दौरान या बाद में खून बहने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर तुरंत इस पर ध्यान देंगे और खून बहने को रोकने के लिए कदम उठाएंगे।
- एलर्जी का खतरा: कुछ मामलों में टाइटेनियम प्लेट से एलर्जी हो सकती है। ऐसे में एलर्जी के लक्षण दिखाई देंगे जैसे चकत्ते, खुजली आदि। एलर्जी की गंभीरता के आधार पर उपचार किया जाएगा।
- निचले हिस्से में कमजोरी: कभी-कभी टाइटेनियम प्लेट लगने के बाद पैरों या निचले हिस्से में कमजोरी महसूस हो सकती है। यह अस्थायी होता है और आराम और दवाओं से ठीक हो जाता है। लेकिन अगर यह ज्यादा समय तक रहता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- अन्य रोग: अगर ऑपरेशन के बाद बुखार, लालिमा, दर्द या पस निकलना जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर जांच करेंगे और अगर इंफेक्शन होने का पता चलता है तो एंटीबायोटिक दवाएं देंगे। एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स लेना बहुत जरूरी है।
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