क्या है डिस्लेक्सिया – जाने इसके लक्षण, कारण और बचाव

क्या आपने कभी सुना है कि किसी भी बच्चे को पढ़ने और लिखने में समस्या हो रही है, जबकि आपका बच्चा अन्य गतिविधियों में काफी स्मार्ट है? यदि हाँ, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह पढ़ या लिख नहीं सकता है,  यह भी हो सकता है की वह डिस्लेक्सिया नामक बीमारी से ग्रसित हो।

 

यही बीमारी महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, टेलीफोन के जनक एलेक्जेंडर ग्राहम बेल और अभिनेता टॉम क्रूज और बोमन ईरानी को भी थी।

 

इस बीमारी को ‘तारे जमीन पर’ आमिर खान की फिल्म में भी दिखाया गया है। जिसमें दर्शील सफारी ‘डिस्लेक्सिया’ बीमारी से पीड़ित था।

 

क्या है डिस्लेक्सिया?

 

डिस्लेक्सिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमे बच्चो का पढ़ना, लिखना और शब्दों का बोल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। जिन लोगो को यह समस्या होती है, उन्हें पढ़ने, लिखने, बोलने और कई चीजों को समझने में बहुत परेशानी होती है।

 

डिस्लेक्सिया के प्रकार 

 

प्राइमरी डिस्लेक्सिया

 

इस प्रकार की बीमारी में बच्चें अक्षर और संख्या की पहचान नहीं कर पाते है, और पढ़ना, मापना, समय देखना और भी अन्य गतिविधियां नहीं कर पाते।

 

सेकेंड्री डिस्लेक्सिया

 

इसमें शब्दों की पहचान और उन्हें बोलने में समस्या आती है।

 

ट्रॉमा डिस्लेक्सिया

 

  • यह समस्या बच्चों के दिमाग में चोट लगने के कारण होती है।

 

  • इसमें बच्चे सही से शब्दों की ध्वनि नहीं सुन पाते हैं, इसलिए उन्हें शब्द बोलने, पढ़ने  और सीखने में कठिनाई होती है।

 

डिस्लेक्सिया के लक्षण

 

इस बीमारी के कई लक्षण होते हैं। जो की बच्चे के स्कूल जाने से पहले पहचान पाना बहुत मुश्किल हो सकता हैं। इसके लक्षण हर बच्चो में एक जैसे नहीं होते है।

 

  • सोचने-समझने में कठिनाई होना,

 

  • किसी बात को सही से याद न रख पाना,

 

 

  • सीखने में कठिनाई होना,

 

  • बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं,

 

  • नए शब्दों को धीरे-धीरे सीख पाते हैं,

 

  • उम्र के हिसाब से कम पढ़ पाना,

 

  • समय प्रबंधन करने में कठिनाई होना,

 

  • अक्षरों और शब्दों के बिच अंतर को देखने में कठिनाई होना,

 

  • स्पेलिंग गलत बोलना और पढ़ने में मुश्किल होना,

 

डिस्लेक्सिया जैसी समस्या ज्यादातर 3-15 साल उम्र के बच्चों में अधिक पायी जाती है। इन बच्चों को अक्षरों को मैच करने या उन्हें बोलने में बहुत कन्फ्यूजन रहता है।

 

जो इस बीमारी से ग्रस्त होते है,  वे लोग शब्दों या अक्षरों को उल्टा या गलत पढ़ते है। जैसी की, वह b को d समझ लेते हैं या 6 को 9 समझते है। ऐसे लोग  7 वर्ष की आयु से पहले तक अक्षरों को उल्टा लिखते हैं।

 

डिस्लेक्सिया के कारण?

 

इस बीमारी का मुख्य कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों के अनुसार डीसीडीसी 2 नामक एक जीन बच्चों और वयस्कों में डिस्लेक्सिया बनाने के लिए ज़िम्मेदार होती है।

 

डिस्लेक्सिया से बचाव

 

  • जो बच्चे डिस्लेक्सिया से ग्रसित होते है, वे एक ही चीजों को काफी बार रिपीट करते हैं। ऐसे में उनके पेरेंट्स और टीचर्स को बच्चो से  परिणाम की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, उन्हें धैर्य रखना चाहिए।

 

  • जिन बच्चो को यह समस्या होती है, उनके पढ़ने का तरीका बदलें। उन्हें आसान तरीकें से और खेल-खेल में सीखाने की आदत डालें। इससे उन्हें आपकी बात जल्दी समझ आएगी। आप उन्हें पढ़ाने या कुछ भी समझाने के लिए पेंटिंग या कहानियों का सहारा ले सकते हैं।

 

  • जिस अक्षर को पहचानने या लिखने में दिक्कत होती हैं, वह उन्हें बार-बार लिखवाएं। इसके अलावा उन्हें खिलौने के माध्यम से भी आप सिखा सकते हैं।

 

  • डिस्लेक्सिया का कोई खास इलाज नहीं है। इसे रोकने के लिए भी ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता, खासकर अगर यह अनुवांशिक है , तो यह मुश्किल हो सकता है। लेकिन शुरूआती चरण में निदान और उपचार शुरू कर दिया जाए तो,  इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चों को जितनी जल्दी विशेष शिक्षा सुविधाएं मिलती है, वह उतनी ही जल्दी पढ़ना और लिखना सीखने लग जाते हैं।

 

डिस्लेक्सिया जैसी बीमारी में अक्षरों और शब्दों के बीच अंतर को देखने में कठिनाई होती है। हर बच्चो में सीखने की क्षमता अलग होती है। लेकिन अगर आपको लगता है, कि आपके बच्चे को पढ़ने, लिखने या पहचानने में कुछ समस्या हो रही है, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

 

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