क्या है रिकेट्स के लक्षण, कारण और बचने के उपाय

 

रिकेट्स हिंदी में इसे सूखा रोग भी कहा जाता है, जो की बहुत ही गंभीर बीमारी है। यह विटामिन डी की कमी के कारण होती है। यह बीमारी ज़्यादातर बच्चों को प्रभावित करती है। रिकेट्स की समस्या में विटामिन डी की कमी के कारण शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के पर्याप्त स्तर को बनाए रखना मुश्किल होता है।

 

आज इस लेख में आप जानेगें कि रिकेट्स क्या है, इसके लक्षण, कारण और जटिलताएँ क्या हैं और बचाव कैसे किया जा सकता है।

 

 

रिकेट्स के लक्षण

 

 

 

  • शारीरिक विकास का रूक जाना और छोटा कद होना

 

  • मांसपेशी में कमज़ोर हो जाना

 

  • बोन फ्रैक्चर (bone fractures)

 

  • रिकेट्स के कारण झुके हुए पैर

 

  • माथे का बड़ा होना

 

 

  • मांसपेशियों में ऐंठन

 

  • कैविटी होना

 

  • स्तनों का उभरा हुआ होना

 

 

रिकेट्स के लिए डॉक्टर को कब दिखाएं

 

 

अगर आपको छोटे बच्चे में रिकेट्स (सूखा रोग) के लक्षण दिखाई दे रहें है, तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाए। अगर इसका सही समय पर  इलाज नहीं किया जाता है, तो बच्चा वयस्कता में बहुत छोटे कद का हो सकता है तथा हड्डियों में विकृति भी स्थायी हो सकती है।

 

 

रिकेट्स के कारण

 

 

  • विटामिन डी की कमी

 

  • जीन या वंशानुगत

 

 

रिकेट्स (सूखा रोग) के जोखिम कारक

 

 

रिकेट्स (सूखा रोग) के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

 

  • आयु (Age)

 

  • सांवली त्वचा (Dark skin)

 

 

  • समय से पहले जन्म (Premature birth)

 

  • दवाएं (Medications)

 

 

रिकेट्स (सूखा रोग) की जटिलताएँ

 

 

  • हड्डी के फ्रैक्चर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

 

  • रक्त में कैल्शियम की कमी

 

  • दंत दोष (Dental defects)

 

 

 

रिकेट्स रोग की जांच

 

 

डॉक्टर द्वारा रिकेट्स का निदान करने के लिए कुछ परीक्षणों का भी आदेश दिया जा सकता है, जैसे:

 

  • रक्त परीक्षण (Blood tests)

 

  • आर्टिरियल ब्लड गैस टेस्ट(Arterial blood gases)

 

  • एक्स-रे (X-rays)

 

  • बोन बायोप्सी (Bone biopsy)

 

 

रिकेट्स से बचाव

 

 

कुछ तरीके ऐसे है जो रिकेट्स की रोकथाम में व्यक्ति की मदद कर सकते हैं, जैसे कि:

 

  • रिकेट्स (सूखा रोग) से बचने का सबसे अच्छा तरीका एक आहार है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी शामिल होते हैं

 

  • किडनी रोग वाले व्यक्तियों को नियमित रूप से शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर पर निगरानी रखने के लिए डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए

 

  • रिकेट्स से बचने और पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य के प्रकाश को लेना चाहिए,

 

  • गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को पराबैंगनी किरणों (सूर्य प्रकाश) के संपर्क में लंबे समय तक रहना चाहिए

 

  • शिशुओं को स्तनपान के साथ-साथ विटामिन डी पूरक देने के बारे में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए

 

  • विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में कॉड लिवर ऑयल (Cod liver oil), हलिबूट-लिवर तेल (Halibut-liver oil) और विस्टारिल (Vistaril) के सेवन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

 

रिकेट्स आहार

 

 

रिकेट्स (सूखा रोग) की स्थिति में विटामिन डी से परिपूर्ण आहार का सेवन लाभकारी होता है। रिकेट्स में फायदेमंद खाद्य पदार्थों के रूप में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

 

  • मछली या मछली का तेल

 

  • ऑयस्टर (Oysters)

 

  • मशरूम (Mushrooms)

 

  • अंडा या अंडे की जर्दी

 

  • दूध या अन्य डेयरी उत्पाद

 

  • विटामिन डी फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods) जैसे- गाय का दूध, सोया मिल्क, संतरे का रस, इत्यादि

 

  • अनाज और दलिया

 

  • कुछ फलों के रस

 

  • पालक (Spinach)

 

  • पनीर, इत्यादि।

 

 

रिकेट्स यानी की सूखा रोग यह रोग मुख्य रूप से विटामिन डी की कमी से होता है, इस रोग में मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। ऐसी कोई समस्या होने पर तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करे।

 

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