अकसर छाती में जलन होना सामान्य माना जाता हैं परन्तु यह कभी कभी घातक साबित हो जाता हैं यह बीमारी अचानक ही आती हैं जिसे की हार्ट बर्न यानि की छाती में जलन कहा जाता हैं। यह बीमारी थोड़ी बहुत हार्ट अटैक से भी मिलते-जुलते हैं। यह बहुत असहज स्थिति हो जाती हैं ऐसा महसूस होता हैं जैसे की छाती में दर्द हो रहा है वह चारो और से बंद हो गयी हैं। ज्यादातर यह बीमारी बुजुर्गो में देखी जाती हैं क्योकि उम्र बढ़ने पर शरीर के अंग धीमीगति से कम करना शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से अन्य बीमारियाँ हो जाती हैं।
हार्ट बर्न क्या होता हैं ?
हार्ट बर्न की स्थिति में छाती में दर्द और जलन होती हैं माना जाता हैं की यह परेशानी पेट के एसिड के कारण होती हैं। इससे पेट के ऊपरी हिस्से में या उरोस्थि के नीचे जलन होती है। यह परेशानी जीवनशैली में आम भी मानी जाती हैं पर यह बीमारी होने पर अधिक परेशानी हो तो डॉक्टर से संपर्क करना अत्यधिक आवश्यक होता हैं।
हार्ट बर्न के लक्षण क्या हो सकते हैं ?
हार्ट बर्न के लक्षण निम्नलिखित होते हैं –
- खाना खाने के बाद या रात के समय सीने में जलन या फिर दर्द होना।
- अधिक खासी आना।
- मुँह में कड़वा और अम्लीय स्वाद होना।
- लगातार गले में खराश होना।
- खाना निगलने में दिक्कत होना।
- छाती के बीच हिस्से या ब्रेस्ट बोन के आस-पास अचानक जलन महसूस होना।
- झुकने, मुड़ने पर छाती में दर्द की शिकायत होना।
- गर्म, एसिडिक, नमकीन और खट्टा टेस्ट।
- मतली आना।
हार्ट बर्न होने के कारण क्या होते हैं ?
हार्ट बर्न के कई कारण हो सकते हैं यह बीमारी किसी में भी देखने को मिल सकती हैं हार्ट बर्न की स्थिति में डॉक्टर के पास जाने के बाद वह इसका कारण जानने की पूरी कोशिश करते हैं डॉक्टर्स का मानना हैं की कई बार हार्ट बर्न के कारण कुछ इस प्रकार निकल कर आ जाते हैं जैसे की –
- अधिक मसालेदार भोजन खाना।
- खाने के तुरंत बाद लेटना (खाना न हज़म होना)।
- अधिक शराब पीना तथा धूम्रपान करना।
- फैटी फूड, स्पाइसी फूड, फ्राइड फूड और कुछ एसिडिक फूड जैसे ओरेंज, ग्रेपफ्रूट, टमाटर आदि से हार्टबर्न की परेशानी हो सकती है।
- कुछ लोगों में लहसुन, प्याज, चॉकलेट और पुदीना से भी हार्टबर्न की समस्या हो सकती है।
- कॉफी, ओरेंज और दूसरे एसिडिक जूस: ये कुछ ऐसी ड्रिंक्स हैं, जो हार्टबर्न को बदतर या ट्रिगर कर सकता है।
हार्ट बर्न के निदान कैसे किये जाते हैं ?
हार्ट बर्न के निदान कुछ इस प्रकार से होते हैं –
- अपर डायजेस्टिव सिस्टम का एक्स-रे (X-Ray of Upper Digestive System)
- एंडोस्कोपी (Endoscopy)
- एंब्यूलेट्री एसिड टेस्ट (Ambulatory acid test)
- इसोफेगल इमपीडेंस टेस्ट (Esophageal impedance test)
- हार्टबर्न की जांच करने के लिए ही बर्नस्टेन टेस्ट किया जाता है।
हार्ट बर्न का इलाज क्या हैं ?
हार्ट बर्न की स्थिति में सर्जरी करना बहुत कठिन माना जाता हैं परन्तु सर्जरी की जरुरत भी अधिक नहीं होती। डॉक्टर्स हार्ट बर्न का इलाज कुछ इस प्रकार करते हैं –
- एंटीएसीड्स: इसकी वजह से पेट के अम्ल को बेअसर करा जा सकता हैं, एंटीएसीड्स दवाएं तुरंत असर करती हैं। लेकिन ये पेट के अम्ल के कारण इसोफेगस मैं हुई क्षति को ठीक नहीं कर पाती।
- एच् 2 रिसेप्टर एंटागोनिस्ट्स: इसकी मदद से पेट में अम्ल की मात्रा को कम किया जा सकता हैं यह एंटीएसीड्स दवाइयों को तरह तुरंत राहत नहीं पहुंचाता हैं परन्तु इसमें लम्बे समय तक आराम मिलता हैं।
- प्रोटोन पंप इन्हिबिटर: यह भी पेट के अम्ल को कम करने के लिए होती हैं।
हार्ट बर्न के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल।
हार्ट बर्न के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल –
- मैक्स मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल, पंचशील पार्क, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत दिल्ली
- बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल नई दिल्ली
- फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग, दिल्ली
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल नई दिल्ली
- वेंकटेश्वर अस्पताल, नई दिल्ली
- बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर नई दिल्ली
- फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
- आईबीएस अस्पताल, नई दिल्ली
- सीके बिरला अस्पताल, पंजाबी बाग, दिल्ली
- फोर्टिस ला फेमे अस्पताल, नई दिल्ली
- एससीआई इंटरनेशनल हॉस्पिटल, नई दिल्ली
- आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली
- फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल, वसंत कुंज, दिल्ली
हार्ट बर्न से बचने के उपाय।
- खाना खाने के बाद दाई करवट सोए: जब आप खान खा के लेटते है तो आपके शरीर में एसिड ज्यादा मात्रा में बनता है, फिलाडेल्फिया में हुए एक शोध के अनुसार जिन लोगों को रात में सोने के समय एसिडिटी की समस्या है अगर वह दायीं करवट से सोएं तो उन्हें इसकी समस्या से छुटकारा मिलेगा। सीधे व कमर के बल सोने पर एसिड वापस फिसलकर सांस की नली में आ जाता है जिसकी वजह से एसिडिटी होने लगती है।
- ठंडा दूध: जिन लोगों को अक्सर एसिडिटी या हार्टबर्न की प्रॉब्लम होती है उन्हें रोज 1 गिलास ठंडा दूध पीना चाहिए, ठंडा दूध पेट में जाकर एसिड को न्यूट्रिलाइज करता है और ठंडक पहुंचाता है।
- पुदीना: यदि आप पुदीने के पत्तों को अच्छी तरह चबाकर खाते है तो इससे आपका डाइजेशन सिस्टम अच्छा रहता है और आपके शरीर में बढ़ी एसिड की मात्रा को कम करने में मदद करता है अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है तो पुदीने की पत्तियों को अच्छी तरह से चबाकर खाएं।
- खाना ढंग से चबाए: भोजन करते समय ये जरूरी है कि हर कौर को ठीक तरीके से चबाया चाहिए, किसी भी तरह की जल्दबाजी खाना खाते समय नहीं करनी चाहिए। इसकी वजह से आपको पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं लेकिन बाद में यही हार्ट बर्न होने का कारण बनती है। इसके अलावा पानी कम पीना भी इसका एक बहुत बड़ा कारण है।
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