स्पॉन्डिलाइटिस पीठ और गर्दन के दर्द के सबसे आम कारणों में से एक है। दरअसल यह ऐसी बीमारी है जो आपके शरीर में धीरे-धीरे विकसित होती है और जब यह पूरी तरह से विकसित हो जाती है तब उस व्यक्ति को सामान्य काम काज करने में भी काफी दिक्कत होने लगती है। स्पॉन्डिलाइटिस में दर्द आमतौर पर गर्दन, कंधे और निचली रीढ़ की हड्डी वाले क्षेत्र के आस-पास केंद्रित होता है, जिसमें नीचे की ओर दर्द के साथ तनाव होता है जो समय के साथ बढ़ता जाता है।
स्पॉन्डिलाइटिस के प्रकार
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical spondylitis) : जो सर्वाइकल स्पाइन को प्रभावित करता है, जिसमें दर्द गर्दन के पीछे की ओर फैलता है।
लंबर स्पॉन्डिलाइटिस (Lumbar spondylitis) : जो लंबर का क्षेत्र में दर्द का कारण बनता है।
आंक्यलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing spondylitis) : जो मुख्य रूप से एक बीमारी है जो sacroiliac जोड़ों को प्रभावित करती है, जिससे पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों, घुटनों और छाती में कठोरता होती है।
स्पाइनल स्टेनोसिस (spinal stenosis): यह नहर की एक नस है जो रीढ़ की हड्डी की नसों को ले जाती है। इसके लक्षणों में गर्दन या पीठ में दर्द शामिल है जो पैरों में कमजोरी जैसी समस्या होती है।
सरवाइकल रेडिकुलोपैथी (Cervical Radiculopathy) : डिस्क या हड्डी में परिवर्तन रीढ़ की हड्डी में नसों को इकठ्ठा कर सकता है, जिससे दर्द, सुन्नता और अतिसंवेदनशीलता हो सकती है।
सरवाइकल स्पोंडिलोटिक मायलोपैथी (Cervical spondylotic myelopathy) : इसमें रीढ़ की हड्डी में सिकुड़न आ जाती है। इसके लक्षणों में गंभीर दर्द और सुन्नता और चलने में कठिनाई और बाद के में मूत्राशय की समस्याएं शामिल हैं।
कुछ प्रारंभिक परिवर्तन या लक्षण डॉक्टरों को यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि किसी व्यक्ति को किस प्रकार का स्पॉन्डिलाइटिस है। 2007 में बीएमजे में प्रकाशित शोध के अनुसार, अन्य लोगों में, ये वही समस्याएं जटिलताओं के रूप में विकसित हो सकती हैं।
स्पोंडिलाटिस के लक्षण
आपके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपकी रीढ़ स्पोंडिलाटिस से प्रभावित होती है। जिसे रीढ़ की हड्डी के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के रूप में भी जाना जाता है। इसके लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं जिसमें शामिल है :
- दर्द जो आता है और चला जाता है
- दर्द जो आपके कंधे, हाथ, हाथ की उंगलियों में होना
- बिस्तर से उठने के बाद सुबह के वक़्त गर्दन या कंधे में अकड़न होना
- गर्दन या कंधे में सुन्नता
- गर्दन, कंधे, हाथ में झुनझुनी
- आपके सिर के पीछे तेज दर्द होना
- खाना निगलने में कठिनाई।
स्पॉन्डिलाइटिस के कारण
इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण बढ़ती उम्र और खराब जीवनशैली है। घंटों तक एक ही स्थिति में बैठे रहना और लगातार काम करते रहना जिसकी वजह से गर्दन और कमर पर बुरा असर असर पड़ता है। रोजाना व्यायाम ना कर पाना एक और कारण है। इससे गर्दन पर दबाव बढ़ता है।
जो शरीर की रक्त कोशिकाओं को पूरी तरह से नुकसान पहुँचा सकता है और ऐसा होने पर शरीर के कई जोड़ों में भी परेशानी होती है। इससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। आपके शरीर में हल्के झटके से लकवा भी हो सकता है। यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में देखी जाती है जो गर्दन को झुका कर काम करते हैं। कंप्यूटर पर लगातार काम करने वाले लोग भी इसमें शामिल हैं। जो लोग बहुत ज्यादा भारी चीजे उठाते हैं, उनमें भी कंधे और कमर में स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा रहता है।
स्पॉन्डिलाइटिस का उपचार
यदि कोई व्यक्ति इसके दर्द का अनुभव करता है, तो उसे ये निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं:
- अपने डॉक्टर से उपचार की योजना का पालन करें और अपने घर में व्यायाम करके भी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं, योजना (यदि आप भौतिक चिकित्सा में थे) जारी रखें
- आप जब भी बैठे और ठीक से खड़े हो आपकी बॉडी का पोस्चर बिलकुल सही होना चाहिए
- सोते वक़्त अपना स्ट्रक्चर बिल्कुल सही रखें
- नियमित रूप से व्यायाम करें (एरोबिक व्यायाम विशेष रूप से करें है।)
- अपने वजन पर नियंत्रण बनाए रखें
- स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाएं (अच्छी तरह से संतुलित, कम वसा वाले आहार का सेवन करे साथ मे फल और सब्जियों का भी सेेवन करे)
- धूम्रपान ना करें
- शराब के अधिक सेवन से बचें
- आराम करें
यदि आपको स्पॉन्डलाइटिस की समस्या है तो आपको बहुत सावधान रहने की जरुरत है। यदि आपको हल्का दर्द महसूस होता है, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी की जरुरत है। इसमें लापरवाही करना आपके जीवन भरी की समस्या बन सकता है इसलिए इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें।
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