आजकल थायराइड की समस्या बहुत आम हो गयी है। इसके लक्षणों का आसानी से पता नहीं चल पाता है। इसलिए इसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। पुरुषो की तुलना में यह महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। थायराइड की ग्रंथि गले के बिलकुल सामने होती है, जो की शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रित करती है।
थायराइड होने की वजह से आपको और भी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे की – हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल आदि।
थायराइड किन कारणों से होता है?
- जीवन शैली में परिवर्तन और दवाओं के साथ चल रहे इलाज के कारण हो सकता है।
- थायराइड की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है।
- रजोनिवृत्ति में असमानता भी थायराइड का कारण बनती है।
- अगर आप सोया उत्पादों का सेवन जरूरत से ज्यादा करते है, तो यह भी थायराइड होने का कारण हो सकता है।
- आयोडीन की कमी या इसका ज्यादा सेवन करने से भी थायराइड की समस्या हो सकती है।
- विकिरण थैरेपी भी थायराइड होने का कारण बन सकता है।
- तनाव का स्तर बढ़ता है, तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।
- अनुवांशिक, यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।
थायराइड के लक्षण
- जल्दी थकान होना,
- हर वक़्त शरीर सुस्त रहना,
- थोड़ा काम करते ही एनर्जी खत्म हो जाना,
- बाल झड़ना,
- किसी भी काम में मन न लगना,
- याद्दाश्त कमजोर होना,
- बहुत ठंडा या गर्म महसूस करना,
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
इन सभी समस्याओं को ज्यादातर लोग नजरअंदाज करते हैं, जो बाद में खतरनाक साबित हो सकता है और कई बार तो जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए इन सभी समस्याओं को नजरअंदाज न करके तुरंत ही डॉक्टर से जांच कराएं।
थायराइड के प्रकार
इसके दो प्रकार है –
हाइपरथायरायडिज्म
हाइपरथायरायडिज्म से एट्रियल फिब्रिलेशन, ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर होने की संभावना रहती है। हाइपरथायरायडिज्म महिलाओं में भी अधिक आम है।
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण और संकेत शामिल हो सकते हैं:
- घबराहट,
- तेज हृदय गति,
- थकान,
- अधिक पसीना आना,
- एकाग्रता की समस्या,
- वजन कम होना।
हाइपोथायरायडिज्म
हाइपोथायरायडिज्म, मायक्सेडेमा कोमा और मृत्यु का कारण बनती है। हाइपोथायरायडिज्म थाइराइड ग्रंथि से थाइराइड हार्मोन की अपर्याप्त मात्रा का परिणाम है। यह थाइराइड ग्रंथि, पिट्यूटरी ग्रंथि, या हाइपोथैलेमस के भीतर की समस्याओं से विकसित हो सकता है। हाइपोथायरायडिज्म 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- थकान,
- रूखी त्वचा,
- कब्ज,
- ठंड लगना,
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द,
- डिप्रेशन,
- महिलाओं में लंबे समय तक या अत्यधिक मासिक धर्म रक्तस्राव,
थाइराइड एक वंशानुगत यानी जेनेटिक स्थिति है। जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी उत्पन्न करती है। ये थायराइड ग्रंथियों को अधिक हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित करती है।
थायराइड विकारों का निदान कैसे किया जाता है?
पूरी तरह से चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षा के अलावा, थायराइड विकारों के निदान के लिए विशेष परीक्षणों का उपयोग किया जाता है।
- रक्त परीक्षण,
- इमेजिंग परीक्षण,
- थायराइड स्कैन,
- बायोप्सी।
थायराइड विकारों के लिए उपचार क्या है?
थाइराइड का उपचार विशेष बीमारी पर निर्भर करता है। थायराइड विकारों का इलाज दवाओं द्वारा भी किया जा सकता है और अगर बीमारी अधिक बढ़ गयी हो तो सर्जरी भी की जा सकती है।
थायराइड की दवाएं
दवाओं का उपयोग थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने के लिए किया जा सकता है। यदि हाइपरथायरायडिज्म को दवाओं के साथ नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो रेडियोधर्मी पृथक्करण (Radioactive dissociation) किया जा सकता है।
थायराइड सर्जरी
अगर किसी को थायराइड कैंसर है, तो उसे सर्जरी कराने की आवश्यकता हो सकती है। थायराइड के ऑपरेशन एंडोक्राइन सर्जन द्वारा किये जाते हैं, और यह मरीज की स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है। थायराइड सर्जरी का उपयोग ग्रेव्स डिजीज (सबटोटल थायरॉयडेक्टॉमी) में भी किया जा सकता।
थायराइड गर्दन की जाँच
डॉक्टर से गर्दन की जांच करवाएं। अगर आपको उभार या गांठ दिखे तो तुरंत ही डॉक्टर से मिलें।
डॉक्टर के बारे में – डॉ अंकित ओम दिल्ली में (Family Medicine) विशेषज्ञ हैं। अगर आपको थायराइड से संबंधित कोई समस्या हैं। तो आप निशुल्क अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं और डॉ अंकित ओम से परामर्श ले सकते है।
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।