वर्टिगो क्या है?
वर्टिगो शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है घूमना या चक्कर आना। यह एक बीमारी है जिसमे मनुष्य को बहुत चक्कर आते हैं। इसमें आँखों के सामने अँधेरा छा जाता है और मस्तिष्क घूमने लगता है। उस वक्त उस मनुष्य को कुछ नज़र नहीं आता और ऐसा लगता है जैसे पूरी धरती घूम रही है।
वर्टिगो किसी को भी हो सकता है, ज्यादातर बुजर्गों में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में वर्टिगो होना एक सामान्य बात है। 15% से 40% लोग अपने जीवन के किसी भी क्षण वर्टिगो के शिकार रहते हैं।
वर्टिगो क्यों होता है?
शरीर में रक्त की कमी हो जाने से ऐसा होता है। रक्त की इस तरह कमी हो जाने से ही वर्टिगो की स्थिति बन जाती है। वर्टिगो की वजह से लोगों को काम करने में परेशानी होती है क्यूंकि लोगों को अपनी आज कल की जिंदगी में काम की कुछ ज्यादा ही चिंता रहती है और ज्यादा चिंता करने की वजह से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। जिस वजह से वर्टिगो अटैक का खतरा बन जाता है। वर्टिगो अटैक कभी भी आ सकता है। डॉक्टर्स की माने तो वर्टिगो अटैक लम्बे समय के लिए भी रह सकता है और थोड़ी देर के लिए भी रह सकता है। जो लोग दिमाग से जुडी बीमारी से ग्रस्त है उन्हें वर्टिगो अधिक प्रभावित करता है।
वर्टिगो के कारण
लेब्रिथीनाइटिस (labyrinthitis)- यह आंतरिक कान की बीमारी है जो आमतौर पर जीवाणु संक्रमण से सम्बंधित होती है। जिस वजह से एक कान में अधिक और दूसरे कान में कम बहरापन आ जाता है।
मेनीयार्स (Menieres)- मेनीयार्स की बीमारी आंतरिक कान का एक विकार है, जिसमे सुनाई देने में दिक्कत आती है। ज्यादातर मामलो में ये दिक्कत कान के अंदरूनी हिस्से में होती है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह युवा और मध्यम आयु वर्ग के व्यस्कों को ज्यादा प्रभावित करती है।
BPPV- BPPV बीमारी में चक्कर आमतौर पर सोने व करवट बदलने पर आते हैं, इसमें कान की शिराओं में कैल्शियम कार्बोनेट का कचरा जमा हो जाता है।
वेस्टीब्यूलर माइग्रेन (Vestibular migraine)- वेस्टीब्यूलर माइग्रेन एक तरीका तंत्र की समस्या है जो उन लोगों में बार बार चक्कर आने का कारण बनती है जिन लोगों में माइग्रेन के लक्षण पहले से रहे हो।
वर्टिगो के लक्षण
- असंतुलित महसूस करना
- चलने वाली चीज़ों जो देख कर चक्कर आना जैसे कार
- मतली और उलटी होना
- कम सुनाई पड़ना
- ज्यादा ऊंचाई से डरना
- ज्यादा तेज़ आवाज़ सुनने से सिरदर्द होना
वर्टिगो का इलाज
डॉक्टर एंटी-इमीटिक्स या एंटी-हिस्टामाइन जैसी दवाओं की सलाह देते हैं मोशन सिकनेस और जी मिचलाने जैसी समस्यों को दूर करने के लिए।
जो वर्टिगो सामान्य होता है वो आपने आप ठीक हो जाता है उसे इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। जिन लोगों को गंभीर रूप से वर्टिगो की शिकायत रहती है उन्हें डॉक्टर जीवाणु संक्रमण को कम करने के लिए एंटीबायोटिक जैसी दवाइयां देते हैं।
वेस्टीब्यूलट परोक्सीमिया (Vestibular Paroxysmia)- यह हड्डी के अंदर संतुलन की नस के दबाव के कारण होने वाली बीमारी है। इस बीमारी का इलाज डॉक्टर स्पान्टेनियस न्यासिटमग्स विद हाइपरवेंटिलेशन के द्वारा करते हैं। यह इलाज इसलिए किया जाता है ताकि हड्डी के अंदर संतुलन नस के दबाव को मुक्त किया जा सके।
चक्कर आना एक सामान्य बात है पर अगर वर्टिगो जैसी स्थिति बन जाये तो यह कई और रोगों को भी जन्म दे सकता है। लेकिन वर्टिगो और उससे जुडी परेशानियों को समझ कर उससे बचाव किया जा सकता है। और इसके लक्षण दिखाई देने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।