विश्व आर्थराइटिस दिवस 2018 : ऐसे दूर करें आर्थराइटिस का दर्द

12 अक्टूबर को ”वर्ल्ड अर्थराइटिस डे (World Arthritis Day 2018 In Hindi)” मनाया जाता है। आज अर्थराइटिस से दुनिया भर में लाखों लोग परेशान हैं। अर्थराइटिस यानी गठिया, जो जोड़ों की बीमारी है। जब चलने में तकलीफ हो, जोड़ों में दर्द रहे तो समझ लें कि आप अर्थराइिटस के शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर यह रोग बढ़ती उम्र में होता है। हालांकि, आज जिस तरह की दिनचर्या लोग अपना रहे हैं, उससे हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। सिर्फ भारत की बात करें तो यहां लगभग 15 प्रतिशत लोगों में अर्थराइटिस पाया जाता है। इसलिए जरूरत है इसके बारे में सही जानकारी और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानने की। अर्थराइटिस के बारे में इस लेख में हम विस्‍तार से जानते हैं।

 

विश्व आर्थराइटिस दिवस का उद्देश्य

 

विश्व आर्थराइटिस दिवस चिकित्सा समुदाय, मरीजों और आम जनता के बीच इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

 

विश्व आर्थराइटिस दिवस से संबंधित मुख्य तथ्य

 

• विश्व आर्थराइटिस दिवस प्रतिवर्ष 12 अक्टूबर को विश्व भर में मनुष्य में गठिया रोग से संबंधित भिन्न-भिन्न विष्यों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु मनाया जाता है.

 

• विश्व आर्थराइटिस दिवस हमें जागरूक बनाता है कि जोड़ों के दर्द से निबटने का किस प्रकार प्रबंध किया जाए, ताकि हम दर्द रहित जीवन जी सकें.

 

• विश्व आर्थराइटिस दिवस की स्थापना एआरआई (Arthritis and Rheumatism International) ने वर्ष 1996 में की थी.

 

 

अर्थराइटिस क्या है?

 

अर्थराइटिस को संधि शोथ या जोड़ों में दर्द के रोग के रूप में भी जाना जाता है. अर्थराइटिस के तहत रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है. इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है. इसके तहत रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है. इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है. स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है.

 

अर्थराइटिस के कारण

 

अर्थराइटिस का मुख्य कारण है, हमारी आरामतलब जीवनशैली, मादक पदार्थों का सेवन और कंप्यूटर पर बैठकर घंटों काम करना, खाने में जरूरी पौष्टिक तत्‍वों की कमी। इसके अलावा जंक फूड का सेवन, व्यायाम की कमी आदि के कारण इसके मरीजों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। पहले ऐसा माना जाता था कि केवल उम्रदराज लोग ही इसकी चपेट में आते हैं, लेकिन वर्तमान में इसकी गिरफ्त में नौजवान भी आ रहे हैं।

 

अर्थराइटिस के लक्षण

 

शुरूआत में अर्थराइटिस के खास लक्षण नहीं होते हैं। अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। कुछ प्रकारों जैसे – रूमेटाइटड अर्थराइटिस में सुबह के वक्‍त यह दर्द बहुत बढ़ जाता है। कुछ मामलों में अर्थराइटिस का दर्द असहनीय हो जाता है। इसके कारण चलने-फिरने में दिक्‍कत हो सकती है। मानसून और ठंड के वक्‍त भी इसका दर्द बढ़ जाता है।

 

आर्थराइटिस का घरेलू उपचार

 

1. सेब का सिरका (एप्पल साइडर विनेगर)

 

सेब के सिरका में कई मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस पाए जाते हैं। इसलिए यह जोड़ों के दर्द में राहत प्रदान करता है। साथ ही यह जोड़ों और कनेक्टिव टिश्यू में विषाक्त पदार्थों को बनने से रोकता है।

 

  • दो कप गर्म पानी लें।

 

  • अब इसमें एक-एक चम्मच सेब का सिरका और शहद मिला दें।

 

  • इसे रोज सुबह सेवन करें। इसका शरीर पर क्षारकारी प्रभाव होता है।

 

2. अदरक

 

अदरक भी गठिया के उपचार में फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं।

 

  • 6 चम्मच सूखा अदरक, 6 चम्मच जीरा का पाउडर और 3 चम्मच काली मिर्च को आपस में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को दिन में तीन बार आधा-आधा चम्मच लेकर पानी के साथ सेवन करें।

 

  • अदरक के तेल से जोड़ों की मालिश करने से दर्द, सूजन और कठोरता कम होगी।

 

  • इसके साथ ही कच्चे अदरक का नियमित सेवन करें। यह ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करके दर्द को करने में मदद करता है। कच्चे अदरक को स्लाइसेस में काटकर खाने के साथ सलाद की तरह सेवन करें।

 

3. सरसों के तेल की मालिश

 

गठिया के इन्फ्लामेशन और जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए सरसों के तेल की मालिश को काफी फायदेमंद माना जाता है। सरसों का तेल प्राकृतिक मरहम की तरह काम करता है और रक्त के प्रभाह को ठीक करता है।

 

  • सरसों के तेल को हल्का गर्म कर लें। यदि जोड़ों में अत्यधिक सूजन हो तो इसमें सामान मात्रा में प्याज का रस भी मिला लें। अब इसे जोड़ों पर लगाकर धीरे-धीरे मालिश करें। अच्छा रिजल्ट पाने के लिए इस उपचार को रोज सोने से पहले करें।

 

  • आप सरसों के तेल में सामान मात्रा में नीलगिरी का तेल भी मिला सकते हैं। यह भी इन्फ्लामेशन को ठीक करता है।

 

4. हल्दी

 

हल्दी का नियमित सेवन करने से इन्फ्लामेशन और सूजन कम होती है। इसमें करक्यूमिन (curcumin) नामक कंपाउंड पाया जाता है जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं। यह संधिशोथ (rheumatoid arthritis) में ज्यादा फायदेमंद होती है।

 

  • अपने भोजन में हल्दी का नियमित इस्तेमाल करें। रोज सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर सेवन करें। आप हल्दी का जूस बनाकर भी पी सकते हैं।

 

  • यदि समस्या गंभीर हो तो 500 mg से 1000 mg के बीच के हल्दी के कैप्सूल का सेवन दिन में तीन बार करें।

 

5. सेंधा नमक

 

सेंधा नमक मैग्नीशियम का एक अच्छा स्त्रोत होता है। मैग्नीशियम शरीर के pH मान को ठीक करता है। गठिया जैसी इन्फ्लेमेटरी डिजीज से बचने के लिए शरीर के ph मान का नियंत्रित रहना काफी जरूरी होता है क्योंकि शरीर में एसिड लेवल बढ़ने पर यह बीमारी और ज्यादा गंभीर रूप ले सकती है।

 

 

  • सेंधा नमक और निम्बू के रस को बराबर मात्रा में लेकर आधा कप गर्म पानी में मिलाएं। इस मिश्रण को रोज सुबह और रात को सोने से पहले एक-एक चम्मच सेवन करें।

 

  • या फिर, अपने नहाने के टब पानी में दो कप सेंधा नमक डालकर कुछ देर के लिए बैठेंया हॉट बाथ लें।

 

6. दालचीनी

 

दालचीनी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं जो गठिया के दर्द में राहत प्रदान करती हैं।

 

डेढ़ चम्मच दालचीनी के पाउडर और एक चम्मच शहद को एक कप गर्म पानी में मिलाएं और सुबह खाली पेट सेवन करें। इसे कुछ दिनों के लिए रोज करें।
आप दालचीनी और शहद का पेस्ट बनाकर जोड़ो में लगा भी सकते हैं।

 

7. मछली का तेल

 

फिश आयल में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होती हैं जो शरीर में इन्फ्लामेशन और दर्द को कम करने में मदद करती हैं।

 

  • रोज एक से दो चम्मच फिश आयल का सेवन करें।

 

  • रोज सुबह खाली पेट फिश आयल सप्लीमेंट का सेवन करने से सुबह की जकड़न कम होती है।

 

  • आप फिश आयल के आलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड्स युक्त अन्य पदार्थों का सेवन भी कर सकते हैं जैसे अलसी का बीज।

 

8. अल्फला

 

अल्फला को अल्फा-अल्फा और रिजका भी कहते हैं। इसमें मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं और यह pH लेवल को ठीक रखने में मदद भी करता है।

 

  • आप अल्फला के बीजों का इस्तेमाल करके टी बना सकते हैं। एक कप उबलते पानी में एक चम्मच अल्फला के बीज डालें। अब इसे 20 से 30 मिनट के लिए उबलने दें और फिर छान लें। इसे दो-तीन हफ्तों के लिए रोज दिन में दो बार सेवन करें।

 

  • आप अल्फला के कैप्सूल का सेवन भी कर सकते हैं। यह बाजार में आसानी से मिल जाते हैं और इनको रोज सेवन किया जा सकता है।

 

9. चेरी

 

चेरी मैग्नीशियम और पोटैशियम का बहुत ही अच्छा स्त्रोत होती है। यह दोनों पदार्थ आर्थराइटिस के मरीज के लिए फायदेमंद होते हैं। मैग्नीशियम प्राकृतिक दर्द निवारक की तरह काम करता है और पोटैशियम इन्फ्लामेशन को कम करता है।

 

  • रोज 8 से 10 चेरी का सेवन करें।

 

  • आप चेरी सिरप का सेवन भी कर सकते हैं। चेरी को पानी में डालकर तब-तक उबालें जब तक कि यह गाड़े सिरप में न बदल जाये। कुछ महीनों के लिए रोज सेवन करें।

 

10. बोरेज सीड आयल

 

बोरेज सीड आयल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं जो गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। बोरेज आयल आसानी से बाजार में उपलब्ध होता है।

 

  • रोजाना नियमित रूप से बोरेज सीड आयल से अपने जोड़ों की मालिश करें।

 

  • दर्द कम करने के लिए आप रोजाना एक चम्मच बोरेज सीड आयल का सेवन भी कर सकते हैं।

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