विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस 2018 : सिजोफ्रेनिया के कारण, लक्षण और उपचार

दिमाग की गंभीर बीमारी स्किजोफ्रेनिया (मनोविदलता) बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। विश्व की एक प्रतिशत आबादी स्किजोफ्रेनिया (Schizophrenia) इसकी चपेट में है। यह बीमारी 15 से 16 आयु में से शुरू होकर धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।

इलाज में मार्डन तकनीकी की वजह से पहले की तुलना में अब सिजोफ्रेनिया बीमारी कम पायी जाती है। सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बजाय कैटेटोनिक को न्यूरोडेवलेपमेंटल (एक ऐसी स्थिति जो बच्चे के तंत्रिका तंत्र को विकसित करने के समय प्रभावित करती है), साइकोटिक बाइपोलर, और डिप्रेसिव डिसऑर्डर जैसे मानसिक बीमारियों मे ज्यादा देखा जाता है। कैटेटोनिया को रोगी को अत्यधिक और कम मोटर गतिविधि के बीच में देखा जा सकता है। माडर्न तकनीकी की वजह से कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया के मरीज अपने लक्षणों को आसानी से समझने लगे है, जिससे उनकी जिंदगी पहले से बेहतर हो गई है।

 

सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) बीमारी के कारण

 

जेनेटिक्स (Zenetics)

 

सिजोफ्रेनिया पहले से ही परिवार में इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा ज्यादा रहता है।

 

वायरल संक्रमण (Viral Infection)

 

हाल के कुछ अध्ययनों के अनुसार वायरल संक्रमण के कारण बच्चों में एक प्रकार का पागलपन के होने की संभावना ज्यादा रहती है।

 

भ्रूण कुपोषण

 

अगर गर्भावस्था के दौरान भ्रूण कुपोषण से ग्रस्त है, वहाँ एक प्रकार का पागलपन होने का अधिक खतरा है।

 

प्रारंभिक जीवन के दौरान तनाव

 

प्रारंभिक जीवन में गंभीर तनाव के कारण एक प्रकार के पागलपन के विकास होने का खतरा रहता है।

जन्म के समय माता-पिता की आयु

 

ज्यादा उम्र के माता पिता के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना अधिक रहती है।

 

सीजोफ्रेनिया का इलाज (Schizophrenia Treatments)

 

सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक ऐसी बीमारी है जो सारी जिंदगी रहती है। सिजोफ्रेनिया के मरीजों को एक स्थायी तौर पर उपचार की आवश्यकता होती है. यहां तक ​​कि जब लक्षण गायब हो जाये और जब रोगी को लगने लगे वह अच्छा हो गया हैं। सभी प्रकार के सिजोफ्रेनिया का इलाज एक ही तरीके से किया जाता है। बीमारी के तथ्यों, गंभीरता और लक्षणों के आधार पर इसके इलाज के तरीकों में अंतर हो सकता है।

 

बेंजोडियाजेपाइंस (Benzodiazepines)

ये टाइप की दवाईयां ट्रैंक्विलाइज़र कहलाती है जो दिमाग को शांत रखने में मदद करती है। ये खासतौर से कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया के ली होती है। यह नसों में इंजेक्शन के जरिए दी जाती है और बहुत तेजी से अपना असर दिखाती है। इस दवा का सेवन लत का शिकार भी बना सकता है। इस का प्रयोग कुछ समय के लिए ही करना चाहिए।

 

बार्बीटयूरेट्स (Barbiturates)

इस तरह की दवाएं दर्दनाशक और मन में शांति देने वाली होती है। इसका प्रभाव हल्की बेहोशी से लेकर एनेस्थीशिया जितना होता है। बार्बीटयूरेट्स का प्रयोग कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया के इलाज के तौर पर किया जाता है।

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