अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, हर साल हम 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान में मनाते हैं। यह 28 फरवरी, 1909 में सबसे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था।
जहां हम एकतरफ महिलाओं के लिए महिला दिवस मनाते है। वहीं महिलाओं की बायोलॉजिकल गतिविधियों (पीरियड्स) को शर्मिंदगी का कारण भी समझा जाता है। बहुत से लोग इसे आज भी एक बीमारी के रूप में ही मानते है।
बदलते समाज में महिलाओं की स्थिति
- पीरियड्स के न जाने कितने नाम है , जैसे की – महावारी , महीना आना या मासिक धर्म और भी न जाने कितने नाम है। भारत के बहुत से गाँव में आज भी इसे एक टैबू के तौर पर ही माना जाता है, जिस प्रकार हमारे समाज में सेक्स के ऊपर खुलकर बात करना एक टैबू है , वैसे ही कुछ लोग पीरियड्स को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते है और इस बारे में खुलकर बात भी नहीं करते। लेकिन बदलते वक्त के साथ पीरियड्स को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया ने इस मिथ्यों को तोड़ा है।
- सोशल मीडिया वालों ने पीरियड्स को लेकर फिल्म , जैसे की पैडमैन के जरिए या फिर सोशल मीडिया पर पैड के इस्तेमाल को लेकर कैंपेन के जरिए लोगो में जागरूक की हैं।
- फिल्म “पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस” हाल ही में इस फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट का खिताब मिला है। जिसमे पीरियड्स को लेकर चल रही समस्या को दिखाया गया है , जो की उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में एक काठी खेड़ा गांव की रहने वाली महिला (स्नेहा) पर बनी थी। और इस फिल्म को पुरे देशभर में बहुत पसंद किया गया।
- पैडमैन फिल्म में भी पीरियड्स को लेकर मुद्दा उठाया गया था। इस फिल्म में यह बताया गया की , बहुत से गांव में आज भी महिलाएं पीरियड्स में कपड़े का इस्तेमाल करती है , जो की नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अभिनेता अक्षय कुमार ने मुंबई के चर्च गेट रोड पर पैड की वेंडिंग मशीन लगवाई जिससे की महिलाएं पीरियड्स को लेकर जागरूक हो और कपड़े की जगह पैड का इस्तेमाल करे।
- इस मुद्दे पर महिलाएं खुलकर बात करने में शर्मिंदंगी महसूस करती है। कई महिलाएं शर्म की वजह से दुकान से सैनेटरी नैपकीन लाने में हिचकिचाती हैं। पर आजकल सरकार की योजनाओं और सरकारी संस्थाओं के जागरुकता अभियान की वजह से महिलाओं में सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करने की संख्या बढ़ी है। लेकिन, अभी भी पीरियड को लेकर लोगों को जागरुक करने की बहुत जरूरत है।
पीरियड से जुडी बातें, जिनके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए
अक्सर महिलाएं पीरियड से जुडी बातें करने से बचती हैं, जबकि ऐसा करना उनके लिए बहुत नुकसानदेह हो सकता है। पीरियड से जुडी कुछ बातें है, जिसके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए।
पैड इस्तेमाल करें
पीरियड में हमेशा पैड का ही इस्तेमाल करें। बाजार से सैनिटरी पैड्स खरीद रही हैं, तो उसकी क्वॉलिटी में समझौता न करें।
दिन में कम-से-कम 3 बार बदलें
पैड को दिन में कम-से-कम 3 बार बदलें। पीरियड्स के शुरुआती दिनों में खून का बहाव ज्यादा होता है, तो इस वजह से पुरे दिन में 3-6 बार पैड जरूर बदलें। नहीं तो इन्फेक्शन भी हो सकता है।
डांस और तेज एक्सरसाइज से बचें
पीरियड्स में डांस या एक्सरसाइज न करें। इस दौरान कपालभाति या पेट अंदर-बाहर करने वाले आसन या उठने-बैठने वाले आसन नहीं करने चाहिए और ऐसे में शरीर को आराम देना चाहिए। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम और ध्यान कर सकते है, ऐसा करने से तनाव और चिड़चिड़ापन कम होता है।
सेक्स से दूरी ही बेहतर
पीरियड्स के दौरान सेक्स न करना ही बेहतर है। ऐसे में इन्फेक्शन का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। पीरियड्स में सेक्स करने से प्रेग्नेंसी के चांस भी बहुत ज्यादा होते है। इस दौरान सेक्स करना पूरी तरह सेफ नहीं होता है।
ले सकते हैं पेनकिलर
शरीर में बहुत थकान और बुखार जैसा भी पीरियड के समय महसूस होता है, तो आप दवाइयां भी ले सकती है। ज्यादा दर्द होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
पीरियड्स में क्या खाना चाहिए
प्री-मेन्सट्रुअल सिंड्रोम और पीरियड्स के दौरान खाने का खास ख्याल रखना चाहिए। इस सिंड्रोम में बार-बार मूड बदलना, चिड़चिड़ापन और चटपटा खाने की इच्छा बढ़ जाती है। इस दौरान जंक फूड का सेवन न करे और पानी खूब पिएं। इससे कई तरह के लक्षणों से लड़ने में मदद मिलती है।
फल खाये
ऐसे में सेब, अनार, संतरा आदि इन सब फलो को खाएं। इनसे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है। और आप चाहे तो डार्क चॉकलेट भी खा सकती है, इससे मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन कम होता है।
खाने में विटामिन और आयरन जरुरी है
विटामिन ई की कमी को दूर करने के लिए अंडा का सेवन करे। आलू में विटामिन बी6 पायी जाती है, जो की खून की क्लॉटिंग यानी थक्कों को कम करता है। हरी सब्जियां खाने से भी शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है।
ज्यादा चाय औऱ कॉफी का सेवन न करे
पीरियड के दौरान दर्द बहुत ज्यादा होती है। इस दर्द को भगाने के लिए दिन में 2-3 बार अदरक और तुलसी वाली चाय पी सकते हैं, लेकिन ज्यादा न पिएं। कैफीन का अधिक सेवन तकलीफ को और भी बढ़ा सकती है। इस दौरान एसिडिटी और कब्ज होना आम बात है।
जरूरी फैटी एसिड्स
शरीर में होने वाली ऐंठन से निजात दिलाने के लिए जरूरी है फैटी एसिड्स, इसका सेवन जरूरी है। मछली, लौकी, सूरजमुखी के बीजों आदि में फैटी एसिड्स की मात्रा अधिक होती है।
इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें पीरियड को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए और इसे एक बीमारी या टैबू के रूप नहीं लेना चाहिए। महिलाओं को इस बारे में लोगो से खुलकर बात करनी चाहिए,और इन्हे पीरियड्स के दौरान सेनिटरी पैड्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे की उन्हें किसी प्रकार का इन्फेक्शन न हो। और अगर कोई भी समस्या हो तो, तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करे।
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