किशोरावस्था में तनाव, यानी 13 से 19 वर्ष की आयु के सभी बच्चों पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसी उम्र के बच्चों में उनके दिमाग का बहुत तेजी से मानसिक विकास होता है और इसी अवस्था मे बच्चों का शारीरिक बदलाब होने लगते हैं जिसमें सबसे पहले बदलाव आता है, क्रोध का बढ़ना, शराब का सेवन करना ये आम बात नहीं है सभी बच्चों के माँ-बाप को उनके इस व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए। जैसे छोटी-छोटी सी बातों पर परेशान होना और टेंशन लेना उसके बाद चिड़चिड़ा महसूस करना ये सब किशोरावस्था में तनाव के कारण होते है।
जिनके कारण जीवन में तनाव, चिंता और अन्य भावनात्मक कठिनाइयों सामने आने लगती है। अमेरिकी मनोरोग एसोसिएशन ने एक शोध में पाया है की ज्यादातर मानसिक रोग लगभग 14 वर्ष की आयु से शुरू होने लगते है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वे के अनुसार बीस फीसदी बच्चों व किशोरों को मानसिक तनाव से ग्रसित पाया है।
क्या है किशोरवस्था में तनाव के कारण ?
अपने माता पिता से किसी बात को लेकर अनबन होना या माता पिता द्वारा अपने बच्चे पर पूर्ण रूप से ध्यान नहीं देना ये सभी कारण किशोर में मानसिक तनाव को बढ़ाते है।
बच्चों के मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन होने या वंशानुगत खराबी होने से या खान पान में पोषक तत्वों की कमी की वजह से मानसिक तनाव होता है।
स्वयं पर विश्वास ना होना जल्दी तरक्की की चाह रखना, आम परिस्थितियों से घबराना, सही निर्णय ना ले पाना मानसिक तनाव के प्रभाव को दर्शाता है।
बुरी लत का शिकार होना, दूसरों की बातों को न समझना, परिवार, दोस्तों से दूरी बना लेना, ज्यादातर अकेले समय बिताना, पढाई-लिखाई के खराब नतीजे, दोस्त-यार से झगड़ा या तकरार।
क्या है इसके लक्षण ?
- बच्चों को भूख न लगना या भोजन भरपेट न करना
- यदि बच्चे का सिरदर्द या पेटदर्द और दस्त की शिकायत है तो ये भी इसके लक्षण हो सकते है।
- बच्चे का अचानक वजन बढ़ना और मोटापा
- नींद में कमी, कच्ची नींद और बुरे सपने आना
- जल्दी-जल्दी बीमार होना
कैसे करें इसके निदान
बच्चों से दैनिक कार्य करवाए : बच्चो और बच्चियों को जब अकेला पन महसूस हो तब, उन्हें ये करने के लिए प्रेरित करें जैसे डांस, म्यूजिक क्लास या उसका पंसदीदा खेल। ऐसा करने से वह खुशमिजाज रहेगा, यह बच्चों की भावनओं को जगाता है और ऐसा करने से उनका तनाव भी कम होता है।
माता पिता रखे दोस्ताना व्यावहार : अपने बच्चो से दोस्ताना व्यावहार करें ऐसा करने से उन्हें आपसे बात करने में कोई हिचक नहीं होगी और अगर उन्हें कोई समस्या हो तो वे आपसे खुल कर बात कर सकते हैं जिससे उनकी परेशानी और तनाव की वजह का पता लगाना आसान हो जाता है।
बच्चो से करें अच्छा बर्ताव : अपने बच्चो से अच्छे से पेश आए और उनकी बातों को नजरअंदाज न करें, उसे प्यार दें और उसका सम्मान करें। ऐसा करना से बच्चो का आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे वह तनाव की समस्या से बाहर आ जाता है।
बच्चो को दें अच्छा आहार : अपने बच्चो को ऐसा खाना दें जो पौष्टिक और प्रोटीन से भरपूर हो। उसके खाने में फल भी शामिल करें। कोशिश करें कि खाना बच्चे की पसंद के मुताबिक हो, जिससे वह इसे खा सके क्योंकि तनावग्रस्त होने पर खाने की इच्छा बहुत कम या बहुत ज्यादा हो जाती है।
यदि आपको भी अपने बच्चे या किसी अन्य बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई देते है, तो आप हमारे डॉक्टर से संपर्क कर सकते है। बच्चो में तनाव का होना ज्यादातर तब देखा गया है जब वह अकेले रहते है, तो आप यही कोशिश करें की उन्हें अकेले न रहने दें, उनसे अच्छे से बर्ताव करें, उन्हें प्यार करें और उनकी दिक्कतों के बारें में उनसे बात करें तो इससे किशोरावस्था में तनाव कम होगा।
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