मेनिएर की बीमारी कान की भीतरी स्थिति को प्रभावित करती है जो आगे चल कर वर्टिगो का कारण भी बन सकती है, एक विशेष प्रकार का चक्कर आना। ऐसा होने पर उस इंसान को सुनाई देना कम होने लगता है। आमतौर पर, ये केवल कान को ही प्रभावित करता है। ऐसा होने पर उस इंसान का काफी मजाक भी बनाया जाता है आइये इसके बारे में जानते है की आखिर ये है क्या ?
मेनिएर रोग क्या है ?
मेनिएर बीमारी कान से संबंध रखती है और ये किसी भी इंसान को हो सकती है। इसके होने पर उस इंसान की सुनने की शक्ति प्रभावित होने लगती है। आपको बता दें की यह पहली बार 1861 में फ्रांसीसी चिकित्सक मेनिएर द्वारा खोजी गई बीमारी है। इसका नाम मेनिएर इसलिए रखा क्योंकि इस बीमारी की खोज मेनियर नाम के डॉक्टर ने की थी। इस रोग के होने की ज्यादा संभावना युवावस्था में होती है। ऐसा होने पर कानों में झनझनाहट की आवाज आती है, उल्टी आती है और चक्कर भी आते है।
मेनिएर रोग के लक्षण
कान में झनझनाहट होना : अचानक कानों में झनझनाहट होना भी इसके लक्षणों को दर्शाता है।
कान भरा हुआ लगना : जब आप सोते समय अपने कान को दबा कर सो जाते है तो उसकी वजह से भी कान में भारी पन महसूस होने लगता है।
कान में दर्द होना : जब चोट लगे तब तो कान में दर्द स्वाभाविक है। लेकिन बिना वजह कान में दर्द होना ये इसके लक्षण हो सकते है।
कान में खुजली होना : कान में अजीब सी उलझन होना ऐसा तब होता है जब आपके कान में खुजली होती है।
कान में हमेशा सीटी बजना : कान में सीटी तब बजती है जब कान के पास किसी तरह की तेज आवाज होती है उसके के बाद ऐसी सीटी बजती है।
कान से खून आना : कान से खून आना ये तब होता है जब कान में चोट लगी हो।
चक्कर आना : चक्कर आना भी इसके लक्षण हो सकते है। आमतौर पर चक्कर तब आते है जब आपको कमजोरी महसूस होती है।
कान में सूजन होना : कान में अचानक सूजन आना ऐसा तब होता है जब आपको कान से जुड़ा कोई रोग हुआ हो।
एक कान का बंद होना : एक कान के बंद होने पर दूसरे से तो सुनाई देता है। लेकिन आपके साथ ऐसा अक्सर होता है तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
गर्मियों में कान में ठंड लगना : गर्मियों के दिनों में भी आपको कान में ठंड लगने लगे तो ये कान में संक्रमण होने के लक्षण हो सकते है।
उलटी आना : ऐसा होने पर आपको उलटी की समस्या भी हो सकती है।
तेज आवाज से दर्द होना : जब कानों में तेज आवाज आती है तो उसकी वजह से आपको कानों में दर्द होता।
मेनिएर होने का कारण
आमतौर पर यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसके होने का खतरा ज्यादा तब होता है जो लोग युवा होते है। आज के समय में लोग इसका शिकार इसलिए ज्यादा हो रहे है क्योंकि वो इयार फ़ोन्स का इस्तेमाल करते है। पहले के समय में यह बीमारी काफी उम्र दराज लोगों को होती थी।
लेकिन आज के समय में युवा इसके ज्यादा शिकार हो रहे है। वैसे तो इयार फोन का इस्तेमाल करना गलत नहीं है लेकिन आजकल की जनरेशन इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने लगी है इसलिए उन्हें ये समस्या ज्यादा हो रही है। ये बीमारी किसी व्यक्ति को तब होती है जब उसके परिवार में यह बीमारी पहले किसी को रही हो।
मेनिएर के लिए उपचार
इसके लिए डॉक्टर कान की सर्जरी करते है और इसे ठीक करने की कोशिश करते है। सबसे पहले डॉक्टर इस प्रक्रिया में उस व्यक्ति की सुनने की क्षमता को देखते है की वो कितना ज्यादा सुन सकता है। उसके बाद ही डॉक्टर उसका इलाज करते है।
वीडिओनिस्टागमोग्राफी (वीएनजी) Videonystagmography (VNG): इस परीक्षण में डॉक्टर आंतरिक कान में संतुलन से संबंधित सेंसर मांसपेशियों को देखते है और यह सुनश्चित करते है की कोई भी मांसपेशी क्षतिग्रस्त तो नहीं हुई।
रोटरी-चेयर परीक्षण (Rotary-chair testing) : एक VNG की तरह, यह आंख की गति के आधार पर आंतरिक कान के कार्य को मापता है। आप एक कंप्यूटर नियंत्रित कुर्सी पर बैठते हैं, जो आपके आंतरिक कान की जाँच करती है।
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