टाइप 3 डायबिटीज़ और अल्ज़ाइमर ये दोनों ही बीमारी खतरनाक हैं, वैसे तो मधुमेह बहुत सी बीमारी का कारण बनता है। एक मधुमेह का रोगी ही जनता है की उसे अपने आपको स्वस्थ रखने के लिए कितना परेहज करना पड़ता है। ऐसे बहुत से लोग है जो टाइप 1 डायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़ के बारे में जानते होंगे। जबकि टाइप 3 डायबिटीज़ के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं।
दरअसल डायबिटीज के तीन प्रकार होते है और तीनों में लगभग सभी लक्षण भी काफी हद तक मेल खाते है सबसे पहले आती है टाइप 1 डायबिटीज फिर आती है टाइप 2 डायबिटीज और अंत में आती है टाइप 3 डायबिटीज। आज हम टाइप 3 डायबिटीज के बारे में ही बात करेंगे।
टाइप 3 डायबिटीज क्या है?
टाइप 3-सी डायबिटीज अभी हाल ही में किये गए एक अध्ययन में सामने आई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि टाइप -3 सी डायबिटीज भी लोगों में बहुत आम है, लेकिन समस्या ये है की डॉक्टर भी टाइप 3 डायबिटीज को पहचान नहीं पाते है। दरअसल अभी तक केवल 3 प्रतिशत लोगों में टाइप 3-सी डायबिटीज देखी गई है और इससे अभी तक 2 लाख लोगों ही पीड़ित हैं।
टाइप 3 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 3 डायबिटीज के लक्षणों जो की अल्जाइमर रोग में देखे जाते हैं। लक्षणों में शामिल हैं:
- मेमोरी लॉस के कारण सामाजिक और दैनिक जीवन पर प्रभाव,
- रोजमर्रा के काम को पूरा करने में दिक्कत होना,
- बात का बार-बार गलत होना,
- सोच कर निर्णय लेने में कठिनाई होना,
- व्यक्तित्व और व्यवहार में अचानक परिवर्तन,
- बार बार प्यास लगना,
- कम भूख लगना।
टाइप 3 डायबिटीज का पता कैसे लगाए
टाइप 3 मधुमेह के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं है। अल्जाइमर रोग का निदान निम्न के आधार पर किया जाता है।
- एक न्यूरोलॉजिकल एग्जामिनेशन,
- मेडिकल हिस्ट्री,
- न्यूरोफिज़ियोलॉजिकल टेस्ट।
अल्ज़ाइमर क्या है?
अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) याददाश्त से सम्बंधित है इसमें आपको भूलने की बीमारी होती है। इस बीमारी के लक्षणों में उस व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगती है, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना। इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में कई बार चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।
अल्जाइमर मस्तिष्क से जुड़ा विकार है, क्योंकि यह मस्तिष्क में इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है। बढ़ती उम्र अल्जाइमर रोग के विकास करने में मदद करती है। जबकि मधुमेह और प्रीबायोटिक को छोड़कर इसे दूसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक माना जाता है। जहां मधुमेह और अल्जाइमर का यह लिंक टाइप 2 मधुमेह की ओर इशारा करते है।
अल्ज़ाइमर के लक्षण
- अधिक उम्र,
- सिर पर चोट लगना,
- अधिक तनाव होना,
- कार्यों में रूचि ना होना,
- बातों को समझने में दिक्कत होना,
- नशीले पदार्थ का ज्यादा सेवन करना,
- अनिद्रा,
- क्रोध और भय।
अगर हम टाइप 3 डायबिटीज और अल्ज़ाइमर की बात करें तो दोनों ही बीमारी एक उम्र के बाद बढ़ने लगती है। अगर हम बुजर्गो की बात करें तो उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपके दिमाग पर भी काफी चीजें असर डालती है। जिसकी वजह से आपके सोचने और कोई भी काम करने की क्षमता में कमी आने लगती है।
इसके साथ ही इसके मरीजों में अक्सर कई चीजों में दिलचस्पी ख़त्म होने लगती है और वह काफी सुस्त महसूस करते है। जब रोगी कुछ भी समझने में असमर्थ होता है, तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना शुरू होता है। जो उसके साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी अच्छा नहीं होता।
ऐसे में आपको अपने स्वास्थ का बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है जिसमें सबसे जरुरी है आप अपनी जीवनशैली सही रखें। ऐसा करने पर आपके स्वास्थ में भी काफी सुधार देखने को मिलेगा। इसके साथ ही आप व्यायाम या योग का भी सहारा लें सकते है। जिसके बाद आप खुद को कई बीमारियों से बचा सकते है।
कई बीमारियों में डॉक्टर की सलाह बहुत जरुरी होती है। क्योंकि जब आप बिना सलाह लिए अपनी समझ से कोई दवाई लेते है, तो उसकी वजह से भी आपको काफी नुकसान होता है और वह बीमारी किसी गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। जिसके बाद आपको उसकी वजह से काफी परेशानी होती है। इसलिए इन बीमारियों के लक्षणों को नज़रअंदाज़ ना करें और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेते रहें।
The blogs are well-reviewed and discussed by Dr. Nomita
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।