गर्भावस्था के दौरान किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए?

गर्भावस्था यकीनन एक महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत चरण है, लेकिन इस अवधि के दौरान एक महिला को खुद का अतिरिक्त ख्याल रखना पड़ता है। उसका आहार न केवल उसे प्रभावित करता है, बल्कि यह उसके अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इसलिए, यह कहा जाता है कि एक गर्भवती महिला को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हर कोई आपको बताता है कि क्या खाएं ताकि आप स्वस्थ रहें और आपका बच्चा स्वस्थ रहे। लेकिन किसी को इस बात की परवाह नहीं है कि आपको किन चीज़ो का परेहज करना चाहिए।

 

गर्भावस्था के दौरान किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए

 

बिना धूली हुयी फल सब्जी ना खाये

 

खाने से पहले किसी भी फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना सुनिश्चित करें। अनुपचारित सब्जियों और फलों में टॉक्सोप्लाज्मा नामक बैक्टीरिया हो सकता है, जो बच्चे के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।

 

आइसक्रीम न खाएं

 

गर्भावस्था के दौरान घर का बना आइसक्रीम खाने से भी बचना चाहिए। आमतौर पर कच्चे अंडे का इस्तेमाल इसे बनाने के लिए किया जाता है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कच्चे अंडे गर्भवती महिलाओं को साल्मोनेला संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

 

कच्चे मांस का सेवन न करें

 

अगर आप गर्भवती हैं, तो कच्चा मांस बिल्कुल न खाएं। ध्यान रखें कि यदि आप मांस खा रहे हैं, तो यह पूरी तरह से पकाया जाता है। कच्चा मांस आपको टोक्सोप्लाज्मोसिस से संक्रमित कर सकता है। इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।

 

क्रीम दूध से बने पनीर न खाएं

 

गर्भावस्था के दौरान क्रीम दूध से बना पनीर नहीं खाना चाहिए। चूंकि इस प्रकार के पनीर को बनाने के लिए पाश्चुरीकृत दूध का उपयोग नहीं किया जाता है, इसमें लिस्टेरिया नामक एक जीवाणु होता है। इस बैक्टीरिया से गर्भपात और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकता है।

 

अनानास का सेवन ना करे

 

गर्भावस्था के दौरान अनानास का सेवन हानिकारक हो सकता है। अनानास में ब्रोमेलिन मौजूद होता है, जिसके कारण शुरुआती प्रसव की अवधारणा बढ़ जाती है।

 

चाइनीज फूड का सेवन ना करे

 

मोनो सोडियम ग्लूटामेट (MSG) चीनी भोजन में मौजूद है, जिसके कारण जन्म के बाद शिशु में कुछ शारीरिक कमी हो सकती है। इसके अलावा, सोया सॉस में नमक की मात्रा अधिक होने के कारण, गर्भवती महिला को उच्च रक्तचाप के कारण गर्भावस्था में कठिनाई हो सकती है।

 

तुलसी के पत्तों को ना खाये

 

तुलसी के पत्ते गर्भवती महिला के भ्रूण के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इसमें एस्ट्रोजल की मौजूदगी गर्भपात का कारण भी बन सकती है। तुलसी के पत्ते एक महिला के मासिक धर्म चक्र को भी प्रभावित करते हैं।

 

अंगूर का सेवन ना करे

 

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अंगूर नहीं खाना चाहिए, क्योंकि अंगूर गर्म होता है, जो भ्रूण के लिए हानिकारक होता है। अंगूर के सेवन से समय से पहले प्रसव होने का खतरा भी रहता है।

 

पपीता ना खाये

 

पपीता गर्भपात में लेटेक्स मौजूद होता है, जिससे गर्भावस्था में गर्भपात का खतरा जल्दी बढ़ जाता है। पपीते में पपैन भी होता है, जो भ्रूण के विकास को रोकता है। इस अवस्था में पपीता खाने से बचें। डिलीवरी के बाद ही पपीता खाएं।

 

मछली का सेवन ना करे

 

गर्भावस्था के दौरान मछली से दूरी बनाए रखना भी बहुत अच्छा होगा। दरअसल, मछली में अधिक मात्रा में मरकरी पाया जाता है और अगर गर्भावस्था में मरकरी का सेवन किया जाता है, तो यह बच्चे के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, साथ ही मस्तिष्क की क्षति की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। विशेष रूप से, कच्ची मछली बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। वैसे, मछली जैसे अन्य समुद्री भोजन को बिल्कुल भी कच्चा नहीं खाना चाहिए। इसमें मौजूद बैक्टीरिया आपके और आपके बच्चे के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते हैं।

 

साथ इन चीज़ो का ध्यान रखे।

 

– गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनके सेवन से बच्चे पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

– गर्भावस्था के दौरान कॉफी और चाय न पिएं। इनमें अधिक मात्रा में कैफीन होता है जो अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है।

– गर्भावस्था के दौरान कच्चे स्प्राउट्स या कच्चे नॉनवेज जैसे कच्चे भोजन न खाएं। पौष्टिक पका हुआ भोजन ही खाएं।

– गर्भावस्था के दौरान गर्म चीजों के सेवन से बचें। चाहे गर्मी हो या कुछ भी हो, बच्चे के लिए हानिकारक है।

Doctor Consutation Free of Cost=

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।