सीकेडी (क्रोनिक किडनी डिजीज) को किडनी फेल्योर भी कहा जाता है। यह किडनी की बीमारी है जो धीरे-धीरे मरीज की किडनी को नुकसान पहुंचाती है। इसके साथ ही जब रोगी इस रोग की नियमित जांच नहीं करवा पाता है तो उसकी किडनी 70 से 80 प्रतिशत तक खराब हो जाती है। इस स्थिति में, रोगी को जीवित रहने के लिए या तो डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है।
डायलिसिस एक रक्त शोधन प्रक्रिया है जो विशेष मशीनों द्वारा की जाती है। इसमें शरीर से खराब (अपशिष्ट रक्त को निकालकर) साफ कर शरीर में वापस भेज दिया जाता है। यह किडनी के रोगियों के लिए एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। इसके माध्यम से अनगिनत सीकेडी रोगी एक सुखी जीवन जी रहे हैं लेकिन जीवन भर इसपर निर्भर रहना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि, इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा है और इसे जीवन भर करना पड़ता है। इसलिए किडनी ट्रांसप्लांट को किडनी फेल्योर का स्थायी इलाज माना जाता है।
किडनी ट्रांसप्लांट में एक स्वस्थ व्यक्ति (किडनी डोनर) से एक किडनी ली जाती है और इसे सर्जरी के जरिए मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह किडनी किसी मृत या जीवित व्यक्ति (किडनी डोनर) की हो सकती है। इसके अलावा जो व्यक्ति (किडनी डोनर) देता है वह स्वस्थ किडनी के साथ भी सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है।
टॉप किडनी ट्रांसप्लांट हॉस्पिटल्स (top kidney transplant hospitals in hindi)
- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राजिंदर नगर, दिल्ली (Blk Super Speciality Hospital, Rajinder Nagar, Delhi)
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, सरिता विहार, दिल्ली (Indraprastha Apollo Hospitals, Sarita Vihar, Delhi)
- नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम (Narayana Superspeciality Hospital, Gurugram)
- मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम (Medanta The Medicity, Gurugram)
- मुकत अस्पताल और हृदय संस्थान, चंडीगढ़ (Mukat Hospital & Heart Institute, Chandigarh)
- ग्रेवाल आई इंस्टीट्यूट, चंडीगढ़ (Grewal Eye Institute, Chandigarh)
- स्पर्श अस्पताल, यशवंतपुर, बैंगलोर (Sparsh Hospital, Yeshwantpur, Bangalore)
- क्लाउडनाइन अस्पताल, ओएआर, बैंगलोर (Cloudnine Hospitals, OAR, Bangalore)
- जसलोक अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, पेडर रोड, मुंबई (Jaslok Hospital & Research Centre, Pedder Road, Mumbai)
- लीलावती अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, बांद्रा, मुंबई (Lilavati Hospital And Research Centre, Bandra, Mumbai)
- कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स लिमिटेड, हैदराबाद (Continental Hospitals Limited, Hyderabad)
- यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, सोमाजी गुडा, हैदराबाद (Yashoda Super Speciality Hospital, Somaji Guda, Hyderabad)
- सीके बिड़ला अस्पताल, अलीपुर, कोलकाता (Ck Birla Hospital, Alipore, Kolkata)
- अमरी अस्पताल साल्ट लेक, साल्ट लेक, कोलकाता (Amri Hospital Salt Lake, Salt Lake, Kolkata)
यदि आप इनमें से किसी भी अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्च आता है? (How much does a kidney transplant cost in Hindi)
किडनी ट्रांसप्लांट की औसत लागत 7 से 10 लाख के बीच होती है। इसमें प्री-ट्रांसप्लांट मूल्यांकन, सर्जरी और पोस्ट-ट्रांसप्लांट रिकवरी अवधि शामिल है।
किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता कब होती है? (When you may need a kidney transplant in Hindi)
पांचवां चरण किडनी की विफलता का अंतिम चरण है जब किडनी की विफलता के कारण रक्त में विभिन्न विषाक्त पदार्थ और अपशिष्ट उत्पाद बन जाते हैं, जो रोगी के लिए अस्वस्थता और मृत्यु का कारण बन सकते हैं। इस स्टेज पर पहुंचने के बाद मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। किडनी विशेषज्ञों के मुताबिक अंतिम चरण के मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट डायलिसिस से बेहतर उपाय है। किडनी ट्रांसप्लांट से मरीज की जीवनशैली में बहुत सुधार होता है और साथ ही डायलिसिस के साइड इफेक्ट से बचने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा अगर किसी कारण से मरीज का ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता है तो डायलिसिस एक बेहतर उपाय है।
किडनी ट्रांसप्लांट कैसे होता है? (How kidney transplant is performed in Hindi)
अगर किडनी डोनर जीवित है तो डोनर के मुताबिक ट्रांसप्लांट की तैयारी पहले से की जाती है। अगर किसी मृत व्यक्ति की किडनी लेनी है तो किडनी मिलने के बाद ट्रांसप्लांट के लिए पहले से मरीज को तैयार किया जाता है इसके बाद ट्रांसप्लांट सर्जरी की जाती है, जिसमें आमतौर पर खराब किडनी को नहीं हटा कर उसकी जगह नई किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है।
नई किडनी को मरीज के आंतरिक तंत्र यानी ब्लड वेसल्स और ब्लैडर से जोड़ दिया जाता है। नई किडनी आमतौर पर शरीर के दाहिनी ओर स्थित होती है, साथ ही एक सफल सर्जरी में अभी भी कई जोखिम होते हैं। जैसे खून का थक्का जमना और समय के साथ संक्रमण होना। चूंकि किडनी ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है, इसलिए सर्जरी के बाद मरीज को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए।
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